(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) विगत पांच दिनों से अनूपपुर रेंज के बड़हर बीट में पहुंचे पांच हाथियों के समूह दो भागों में विभक्त हो गए जिसमें से दो हाथी बुढार रेंज एवं तीन हाथियों का समूह बड़हर बीट के बडहर गांव तथा जंगल में निरंतर पांचवें दिन डेरा जमाए हुए हैं।जो दिन में भी ग्रामीणों के खेतों में लगी धान एवं अन्य तरह की फसलों को अपना आहार बना रहे हैं।वही जंगल में ठहरने दौरान अनेको बड़े-बड़े विभिन्न प्रजाति के पेड़-पौधों को खाकर,तोड़कर नष्ट किए हैं।
हाथियों के द्वारा किए जा रहे नुकसान के कारण निरंतर परेशान आसपास के कई गांव के ग्रामीणों द्वारा हाथियों के समूह को अन्य स्थान पर भगाए जाने हेतु लगभग तीन चार सौ की संख्या में एक ट्रैक्टर के साथ भागने में लगे हुए रहे। इसी दौरान गुरुवार एवं शुक्रवार की रात ग्रामीणों द्वारा तीन हाथियों को बडहर गाव के बीच बस्ती से निकलते हुए बुढार रेंज के खोह बीट अंतर्गत वकान नदी में पुल के पास तक भगाया।इस दौरान दल का सबसे बड़ा कबरा कान वाला हाथी जो दो हाथियों से अलग कुछ दूर पर झाडियो,पेडो के किनारे खड़ा रहा ने अचानक ग्रामीणों की भीड़ को ट्रैक्टर सहित अपने समूह से दूर भगाने के लिए दौड़ाया।जिसमे हाथियों के दौड़ने पर तीन-चार सौ के लगभग की संख्या मैं एकत्रित ग्रामीण जिसमें एक ट्रैक्टर भी शामिल रहा है पलट गया। दौड़ने भागने दौरान पांच व्यक्तियों जिसने बडहर गांव निवासी 18 वर्षीय विकास पिता दरबारी नायक,32 वर्षीय दादूराम पिता देवलाल कोल,38 वर्षीय नोहर पिता बेचू कोल,38 वर्षीय ईश्वरदीन पिता स्व.जय सिंह नायक एवं 40 वर्षीय जगदीश पिता स्व.जयसिंह नायक को कमर,हाथ,पैर एवं शरीर के अन्य स्थानों पर चोट आई है। जबकि विकास बंजारा का दाहिना हाथ भागने एवं गिरने दौरान टूट गया।
विगत रात सभी घायलो को 108 एंबुलेंस से जिला चिकित्सालय अनूपपुर लाने पर ड्यूटी डॉक्टर कमलेश अगरिया ने परीक्षण कर आवश्यक उपचार करते हुए भर्ती कर पुलिस सहायता केंद्र को सूचना दिये जाने पर प्रभारी हरपाल सिंह परस्ते,आरक्षक आशीष तिवारी घायलों के एमएलसी कराकर बयान दर्ज करते हुए कोतवाली थाना अनूपपुर को घटना की जानकारी दी।इस दौरान ग्राम पंचायत लखनपुर सरपंच राम कुमार फुल,वन्य जीव संरक्षक शशिधर अग्रवाल जिला चिकित्सालय पहुंचकर घायलो के उपचार, एक्सरा,सीटी स्कैनर आदि करने में मदद की।
हाथियों का समूह छत्तीसगढ़ राज्य से अनूपपुर जिले में प्रवेश कर गांव में विचरण करते हुए दिन के समय पूर्व में ठहरे स्थल पर विश्राम करने बाद रात्रि में ग्रामीणों की खेतों,बांड़ी में लगे धान,मक्का एवं अन्य तरह की फसलों को नुकसान कर रहे हैं।जिससे ग्रामीण जनों की साल भर के खाने एवं आय के स्रोत को हाथी द्वारा नष्ट किया जा रहा है। वही शासन प्रशासन द्वारा नुकसान के एवज में बहुत ही कम कुछ लोगों को मुआवजा राशि मिलने,निरंतर पटवारियो की हड़ताल के कारण नुकसान का सर्वे नहीं होने जैसे अनेकों कारणो से आमजन भयंकर परेशान एवं दहशत में है।
जिसके चलते आसपास के दर्जनों गांव के ग्रामीण अपने घर,खेत,मोहल्ला एवं गाव में हाथियों के प्रवेश को रोकने के उद्देश्य से निरंतर दिन एवं रात में हाथियों के समूह को भगाने का प्रयास करते हैं।जिस दौरान कभी-कभी समूह का सबसे बड़ा कबरा कान वाला हाथी अपने समूह की सुरक्षा को देखते हुए ग्रामीणों को दूर रखने के लिए तेजी से आवाज कर दौड़ दौडता है,वही ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग का अमला ग्रामीणों के साथ एवं हाथियों के समूह के नजदीक न रहकर गांव के होटल,घरों,रोड,गाड़ियों में मोबाइल देखते,नाश्ता ,चाय करते समय ब्यतीत कर अपनी ड्यूटी पूरा करते रहते हैं।वही दो हाथी वन परिक्षेत्र बुढार के अर्झुली बीट से शनिवार की देर शाम धनौरा,लखबरिया के जंगल से अर्झुला गांव में मनोज सिंह एवं अमित सिंह के घर के पास पक्की बाउंड्री बाल को तोड़ते हुए बैरिहा खेत एवं गांव से गुजरते हुए धनौरा,केरहा,जवारी,कठौतिया से सारंगपुर की ओर जाकर विचरण एवं विश्राम कर रहे हैं।
हाथियों के द्वारा किए जा रहे नुकसान के कारण निरंतर परेशान आसपास के कई गांव के ग्रामीणों द्वारा हाथियों के समूह को अन्य स्थान पर भगाए जाने हेतु लगभग तीन चार सौ की संख्या में एक ट्रैक्टर के साथ भागने में लगे हुए रहे। इसी दौरान गुरुवार एवं शुक्रवार की रात ग्रामीणों द्वारा तीन हाथियों को बडहर गाव के बीच बस्ती से निकलते हुए बुढार रेंज के खोह बीट अंतर्गत वकान नदी में पुल के पास तक भगाया।इस दौरान दल का सबसे बड़ा कबरा कान वाला हाथी जो दो हाथियों से अलग कुछ दूर पर झाडियो,पेडो के किनारे खड़ा रहा ने अचानक ग्रामीणों की भीड़ को ट्रैक्टर सहित अपने समूह से दूर भगाने के लिए दौड़ाया।जिसमे हाथियों के दौड़ने पर तीन-चार सौ के लगभग की संख्या मैं एकत्रित ग्रामीण जिसमें एक ट्रैक्टर भी शामिल रहा है पलट गया। दौड़ने भागने दौरान पांच व्यक्तियों जिसने बडहर गांव निवासी 18 वर्षीय विकास पिता दरबारी नायक,32 वर्षीय दादूराम पिता देवलाल कोल,38 वर्षीय नोहर पिता बेचू कोल,38 वर्षीय ईश्वरदीन पिता स्व.जय सिंह नायक एवं 40 वर्षीय जगदीश पिता स्व.जयसिंह नायक को कमर,हाथ,पैर एवं शरीर के अन्य स्थानों पर चोट आई है। जबकि विकास बंजारा का दाहिना हाथ भागने एवं गिरने दौरान टूट गया।
विगत रात सभी घायलो को 108 एंबुलेंस से जिला चिकित्सालय अनूपपुर लाने पर ड्यूटी डॉक्टर कमलेश अगरिया ने परीक्षण कर आवश्यक उपचार करते हुए भर्ती कर पुलिस सहायता केंद्र को सूचना दिये जाने पर प्रभारी हरपाल सिंह परस्ते,आरक्षक आशीष तिवारी घायलों के एमएलसी कराकर बयान दर्ज करते हुए कोतवाली थाना अनूपपुर को घटना की जानकारी दी।इस दौरान ग्राम पंचायत लखनपुर सरपंच राम कुमार फुल,वन्य जीव संरक्षक शशिधर अग्रवाल जिला चिकित्सालय पहुंचकर घायलो के उपचार, एक्सरा,सीटी स्कैनर आदि करने में मदद की।
हाथियों का समूह छत्तीसगढ़ राज्य से अनूपपुर जिले में प्रवेश कर गांव में विचरण करते हुए दिन के समय पूर्व में ठहरे स्थल पर विश्राम करने बाद रात्रि में ग्रामीणों की खेतों,बांड़ी में लगे धान,मक्का एवं अन्य तरह की फसलों को नुकसान कर रहे हैं।जिससे ग्रामीण जनों की साल भर के खाने एवं आय के स्रोत को हाथी द्वारा नष्ट किया जा रहा है। वही शासन प्रशासन द्वारा नुकसान के एवज में बहुत ही कम कुछ लोगों को मुआवजा राशि मिलने,निरंतर पटवारियो की हड़ताल के कारण नुकसान का सर्वे नहीं होने जैसे अनेकों कारणो से आमजन भयंकर परेशान एवं दहशत में है।
जिसके चलते आसपास के दर्जनों गांव के ग्रामीण अपने घर,खेत,मोहल्ला एवं गाव में हाथियों के प्रवेश को रोकने के उद्देश्य से निरंतर दिन एवं रात में हाथियों के समूह को भगाने का प्रयास करते हैं।जिस दौरान कभी-कभी समूह का सबसे बड़ा कबरा कान वाला हाथी अपने समूह की सुरक्षा को देखते हुए ग्रामीणों को दूर रखने के लिए तेजी से आवाज कर दौड़ दौडता है,वही ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग का अमला ग्रामीणों के साथ एवं हाथियों के समूह के नजदीक न रहकर गांव के होटल,घरों,रोड,गाड़ियों में मोबाइल देखते,नाश्ता ,चाय करते समय ब्यतीत कर अपनी ड्यूटी पूरा करते रहते हैं।वही दो हाथी वन परिक्षेत्र बुढार के अर्झुली बीट से शनिवार की देर शाम धनौरा,लखबरिया के जंगल से अर्झुला गांव में मनोज सिंह एवं अमित सिंह के घर के पास पक्की बाउंड्री बाल को तोड़ते हुए बैरिहा खेत एवं गांव से गुजरते हुए धनौरा,केरहा,जवारी,कठौतिया से सारंगपुर की ओर जाकर विचरण एवं विश्राम कर रहे हैं।
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