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अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा पंडित शंभूनाथ शुक्ल स्मारक लाइब्रेरी अव्यवस्था के माहौल में हो रही संचालित

 

नापा.प्रशासक,सीएमओ 
व्यवस्था में करें आवश्यक सुधार
(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) नगर पालिका परिषद अनूपपुर द्वारा संचालित पंडित शंभूनाथ शुक्ल स्मारक पब्लिक लाइब्रेरी जो कभी दूर-दूर तक अपनी खूबियों के लिए पहचानी जाती थी आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है।वर्ष 1984 में विंध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री व शहडोल जिले के निर्माता पंडित शंभूनाथ शुक्ल के नाम पर खोली गई लाइब्रेरी का उद्घाटन प्रदेश के मुख्य सचिव शरतचंद्र बेहार के कल कमलों द्वारा हुआ था।परिषद के प्रथम अध्यक्ष भाईलाल पटेल,ओम प्रकाश द्विवेदी, प्रेम कुमार त्रिपाठी के द्वारा संरक्षित व प्रोत्साहित लाइब्रेरी के माध्यम से संपूर्ण जिले के हजारों छात्र-छात्राओं ने समाज में नाम कमाते हुए अच्छी नौकरी एवं प्रतिष्ठा प्राप्त की।उक्त लाइब्रेरी में जहां साहित्य का भंडार है पुराने नए लेखकों की पुस्तकें पर्याप्त संख्या में है वही यहां आने वाली प्रतियोगी, साहित्यिक, नारी उत्थान, बाल विकास, स्वास्थ्य से संबंधित पत्रिकाओं के माध्यम से बालक किशोर युवा एवं बुजुर्ग सभी की जिज्ञासा शांत होती है।तथा ज्ञान वर्धन होता है।नगर के साहित्यकार राम नारायण पांडे लाइब्रेरी की अपनी 30 वर्ष की सेवा के उपरांत सेवानिवृत हो गए हैं।श्री पांडे की व्यक्तिगत रुचि के कारण लाइब्रेरी का उत्तरोत्तर विकास हुआ।सैकड़ों युवक तथा अपना बौद्धिक विकास किया।इतना ही नहीं लाइब्रेरियन के द्वारा महापुरुषों की जयंती या आने वाले विद्वानों के सम्मान में परिचर्चा, गोष्ठीया, पंडित शंभूनाथ शुक्ला की जयंती, साहित्यकारों की जयंती, विभिन्न विषयों पर गोष्ठी, कविता ,कहानी, गोष्टी, मासिक गोष्ठी आयोजित कर नगर तथा जिले में साहित्यिक, सांस्कृतिक प्रभाव बनाए रखना गोष्ठियों के माध्यम से कई नए रचनाकारों का उदय हुआ। इसके बाद लाइब्रेरी की कमान कर्मचारी को सौंप दी गई जिसके वश में नहीं है कि वह लाइब्रेरी जैसी संस्था का संचालन कर सकें।इसी वजह से पूरी लाइब्रेरी अस्त व्यस्त हो गई रही सही कसर कोरोना काल ने पूरी कर दी। वर्तमान समय में लाइब्रेरी में किसी शिक्षक की नियुक्ति की गई है वहां कोई चपरासी भी नहीं है। जिसके कारण न तो वहां सफाई हो पाती है और ना ही पाठकों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था हो पाती है।इतना ही नहीं ना तो लाइब्रेरी में पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था है ना ही समाचार पत्रिका आ रही हैं जो पहले आती थी।जिसके कारण पाठकों ने भी लाइब्रेरी से दूरी बना ली है।   
                      30 वर्षों में लाइब्रेरी दोपहर 4 से 10 बजे तक संचालित होती थी रविवार को साप्ताहिक अवकाश के अतिरिक्त पूरे साल लाइब्रेरी खुलती थी हमेशा यह कोशिश होती थी की दोपहर साया 4 बजे के पहले लाइब्रेरी खुल जाए जिससे स्कूल से छुट्टी होने पर छात्र छात्राएं आकर पढ़ सकें।प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राएं भी यहां आकर अपनी पुस्तके लेकर शांत वातावरण में यहां पढ़ाई करते थे।अतः नगरपालिका के प्रशासक महोदय एवं सीएमओ महोदय से अपेक्षा है कि निरीक्षण का लाइब्रेरी की व्यवस्था में सुधार करें तथा नगर की शान पंडित शंभूनाथ शुक्ल पब्लिक लाइब्रेरी की स्वस्थ परंपरा को जीवित रखे।

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