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जिला चिकित्सालय अनूपपुर में विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)  

अनूपपुर (अंचलधारा) जिला चिकित्सालय अनूपपुर में तम्बाखू निषेध दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस मौके पर जिला चिकित्सालय में सम्पन्न हुई कार्यशाला में जन-जन को तम्बाखू के सेवन से होने वाले जीवनदायी नुकसानों से परिचित कराया गया। जिला चिकित्सालय अनूपपुर के सभागार में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एस. सी. राय एवं जिला टीकाकरण अधिकारी की उपस्थिति में सम्पन्न हुई कार्यशाला में चिकित्सकीय स्टाफ एवं आये हुए मरीजों तथा उनके परिजनों को तम्बाखू से मुक्ति के संबंध में शपथ दिलवायी गई।
कार्यशाला में संस्मरणों के माध्यम से बताया गया कि तम्बाखू का सेवन मानव जीवन के लिये नुकसानदेय है। समाज में ऐसे व्यक्तियों को अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता। नवयुवक पीढ़ी तम्बाखू का ज्यादा सेवन करने लगी हैं। हमें गांव-गांव तक जन जागरूकता के माध्यम से तम्बाखू से होने वाले नुकसानों को बता कर नवयुवक पीढ़ी को इसके सेवन से रोकना होगा। जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. शिवेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि तम्बाखू के सेवन से कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी होती हैं। बीड़ी, सिगरेट के सेवन से फेफड़े नष्ट होते हैं। हम सबको मिलकर तम्बाखू के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को जागरूक करना चाहिए। तम्बाखू सेवन की लत घर से शुरू होती है घर का नादान बच्चा जब अपने वरिष्ठजनों को नशा करते देखता है तो वह भी नकल करके नशा करना शुरू कर देता हैं। हमें इस भावी पीढ़ी को तम्बाखू के सेवन से बचाना है। हमें यह संकल्प करना है कि हम न तो व्यसन करेगें और न समाज में किसी को करने देंगें, तभी तम्बाखू निषेध दिवस की सार्थकता सिद्ध होगी। 
 आई.ई.सी सलाहकार मो  साजिद खान ने बताया कि तम्बाखू के सेवन से अनेक प्रकार की शारीरिक परेशानियाँ होती हैं। हमारे इस आदिवासी क्षेत्र में तम्बाखू सबसे सस्ता नशा है जिसके सेवन से लोग अनेक बीमारियों से ग्रसित हो रहे है। तम्बाखू के सेवन पर प्रतिबंध ही एक अच्छा विकल्प होगा, जिससे हमारी भावी पीढ़ी इससे बच सकेगी। तम्बाखू के सेवन से युवा पीढ़ी अनेक बीमारियों से ग्रसित हो रही हैं। उन्होनें कविता-मैनें जिंदगी के तरून्नम को जिया है जानिब, के माध्यम से सभी लोगों का आव्हान कर इससे बचने की अपील की। महिला परामार्शदाता श्रीमती नदीरा बानो ने बताया कि तम्बाखू छोड़ने के लिये दृढ़ इच्छा शक्ति का होना अति आवश्यक है। तम्बाखू का सेवन कैंसर के कई रूपों को जन्म देता है जिसमें मुख का कैंसर, फेफड़े व लीवर का कैंसर प्रमुख हैं। कोविड काल में लोगो में आपस में तम्बाखू का सेवन कई लोगो द्वारा एक साथ करने से किसी व्यक्ति को कोरोना होने के कारण अन्य लोग भी ग्रसित हो सकते है, ऐसी स्थिति में हमें इस नशे का त्याग कर देना चाहिये।
उल्लेखनीय है कि भारत शासन द्वारा तम्बाखू एवं तम्बाखू जनित बीमारियों पर नियंत्रण पाने हेतु राष्ट्रीय तम्बाखू नियंत्रण कार्यक्रम वर्ष 2007 में प्रारंभ किया गया हैं।

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