(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) माननीय विशेष न्यायाधीश अनु.जाति/जनजाति जिलां सत्र न्यायधीश कृष्णकांत शर्मा के न्यायालय के अप. क्र. 140/20 धारा 376, 376-D, 376(3), 506, 34, 366A, 120-B भादवि एव धारा 3(2)व्ही) एससी/एसटी एक्ट थाना चचाई के आरोपी लल्ला कोल उम्र 18 वर्ष निवासी इंद्रानगर अमलाई जिला शहडोल थाना चचाई अनूपपुर के द्वारा अपने जेल से रिहाई हेतु लगाए गए द्वितीय जमानत आवेदन को खारिज कर दी गयी है। राज्य की ओर जिलां अभियोजन अधिकारी रामनरेश गिरी ने जमानत आवेदन का विरोध किया।
घटना की संक्षिप्त जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी राकेश कुमार पांडेय ने बताया कि आरोपी पर यह आरोप है कि पीड़िता पड़ोस में शादी गयी थी शाम को पीड़िता अन्य लड़कियों के साथ दुल्हन को सजाने गयी थी वंहा से वह एक ओर पड़ोस के घर से दुल्हन के लिए चूड़ी लेकर आ रही थी तभी रास्ते मे मुख्य आरोपी मिला और पीड़ित से बोला की तुमको तुम्हारे भाई ने बुलाया है।पीड़िता मुख्य आरोपी को अपने भाई का दोस्त समझ कर उसके साथ चली गयी।रास्ते मे पेड़ के पास लल्ला कोल ओर उसका साथी खड़ा मिला दोनों उसे जबरजस्ती पकडकर शमशान घाट की तरफ ले गए जहां पर मुख्य आरोपी ने उसे पहले एक झापड़ मारा जिससे वह गिर गयी तब उसने उसके साथ दुष्कर्म किया।उस समय आरोपी लल्ला कोल ओर उसका साथी नाला के पास ताक झांक कर रहे थे।आरोपी ने अपने आवेदन के यह लिया आधार वह निर्दोष है 3-4 माह से न्याायिक अभिरक्षा में है उसे उसके दोस्त ने उस शादी में केवल व्यवहार देने के नाम पर यह कह कर ले गया था की आधे घंटे वापस आ जाएंगे।उक्त अपराध में पीड़िता ने अपने पिता के कहने पर उसका नाम बता दिया है। वह परिवार का एकमात्र जिम्मेंदार व्यक्ति है एवं घर मे अकेला कमाने वाला है अगर उसे जमानत का लाभ नही दिया तो उसके परिवार के भूखे मरने की नौबत आज जायेगी।प्रार्थी का यह दूसरा जमानत आवेदन है।वर्तमान में कोविड का प्रकोप ज्यादा है, जेल में रहने पर उसका संक्रमित होने की संभावना है।अभियोजन की ओर से उक्त आधारो पर किया गया जमानत आवेदन का विरोध- राज्य की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी रामनरेश गिरी ने उक्त आधारों का लिखित विरोध माननीय न्ययालय में दर्ज कराया कि आरोपी का प्रथम जमानत आवेदन निरस्त किया जा चुका है और उस समय की स्थिति में कुछ परिवर्तन नही हुआ है।आरोपी को जमानत दिए जाने से वह साक्ष्य को प्रभावित कर सकता है अन्य अपराध कर सकता है फरार हो सकता है। राज्य ने कोविड बचाव हेतु पर्याप्त व्यवस्था की है इसलिए आरोपी की यह तर्क की कोविड से संक्रमित हो जाएगा सही नही है।
न्यायालय ने यह कहते हुए की आरोपी का जमानत आवेदन निरस्त कर दिया कि आरोपी का प्रथम जमानत आवेदन 4-5 माह पूर्व निरस्त किया जा चुका है एवं उसके साथियों का जमानत आवेदन पूर्व में निरस्त किया जा चुका है।यदि उसे जमानत का लाभ दिया जाता है तो उसके द्वारा साक्ष्य एवं साक्षियों को प्रभावित करने कि सम्भवना से इनकार नही किया जा सकता जमानत खारिज कर दी गयी।
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