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हम ज्ञान के क्षेत्र में जो कुछ करते हैं जो भी जानना चाहते हैं प्रकाशन उसी के प्रतिबिंब होते हैं-श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी


 (हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

इंगाँराजवि.की मेकल मीमांसा 
एवं मेकल इनसाइट का विमोचन
अनूपपुर (अंचलधारा) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में विवि की शोध पत्रिकाओं  ’मेकल मीमांसा’ एवं ’मेकल इनसाइट’ का विमोचन एक गरिमामय आयोजन में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी कुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक ने की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. कनीज फातिमा, उप-कुलपति एवं रेक्टर, लद्दाख विश्वविद्यालय, विशिष्ट अतिथि प्रो. दिलीप सिंह, निदेशक, लुप्तप्राय भाषा केंद्र, एवं प्रो. आलोक श्रोत्रिय, शैक्षणिक निदेशक थे। 
इस अवसर पर कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं में अध्ययन, अध्यापन एवं प्रकाशन का विशेष महत्व है। हम

ज्ञान के क्षेत्र में जो कुछ करते हैं, जो भी जानना चाहते हैं प्रकाशन उसी के प्रतिबिम्ब होते हैं। विश्वविद्यालय में इन दोनों शोध पत्रिकाओं का प्रकाशन पुनः प्रारंभ होना एवं स्तरीय प्रकाशन होना इस बात का द्योतक है कि इन पत्रिकाओं का संपादन सक्षम हाथों में है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आगे आने वाले दिनों में यह दोनों पत्रिकाएं यूजीसी की प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं में समाद्रत होंगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा सुधार की शाश्वत प्रक्रिया है। यदि हमारी सोच सकारात्मक होगी तो न तो हम पलायन करेंगे और ना ही विचलित होंगे।
मुख्य अतिथि डॉ. फातिमा ने अपने उद्बोधन में कहा कि मुझे इस अवसर पर आपके मध्य उपस्थित होने का मौका मिला यह मेरे लिए अत्यंत हर्ष की बात है। उन्होंने अपनी अकादमिक यात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय शिक्षा एवं आदिवासी समुदाय के समग्र विकास हेतु जिस प्रकार कार्य कर रहा है ऐसी ही आवश्यकता एवं दृष्टिकोण की जरूरत हमें भी लद्दाख क्षेत्र में है। 
प्रो. दिलीप सिंह ने पत्रिका के संपादक मंडल को बधाई देते हुए कहा कि मुझे जानकर प्रसन्नता हुई कि पत्रिका में सामग्री चयन एवं प्लेगेरिज्म को लेकर अत्यंत सतर्कता एवं कड़ाई से कार्य किया जा रहा है। प्रो. आलोक श्रोत्रिय, संपादक, ’मेकल इनसाइट’ ने अपने उद्बोधन में कहा कि दोनों पत्रिकाएं अपने नए कलेवर के साथ पुनः प्रस्तुत हुई हैं। ’मेकल इनसाइट’ का चौथा अंक विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा लिखी एवं संपादित पुस्तकों का भी विमोचन किया गया। जिनमें प्रो. अनुपम शर्मा की पुस्तक ’बैगा महिलाएं : संक्रमण काल’, डॉ. जिनेन्द्र जैन की ’प्राचीन जैन संस्कृति’, डॉ. मनीषा शर्मा की ’कोरोना संकट और भारतीय समाजः मुद्दे, चुनौतियां एवं अवसर’, डॉ. श्याम सुंदर पाल की ’योग के मूलभूत सिद्धांत’, डॉ. हरेराम पांडेय की ’अल्टरनेटिव एंड काम्प्लीमेंटरी थेरेपीस टू कोविड -19’, डॉ. एम.टी.वी. नागाराजू की ’योगा एजुकेशन’ डॉ. मोहन लाल चढ़ार की ’कल्चर हेरिटेज ऑफ एन्शीएट इंडिया’ प्रमुख है।
 कार्यक्रम का संचालन प्रो. राकेश सिंह, संपादक ’मेकल मीमांसा’ ने किया। आभार जितेंद्र मोहन मिश्रा ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में सभी संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक और गैर शैक्षणिक कर्मचारी उपस्थित थे।

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