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झांसा देकर बार-बार बलात्संग करने वाले आरोपी की जमानत याचिका न्यायालय ने की निरस्त

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंचलधारा) न्यायालय द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश रविन्द्र कुमार शर्मा की न्यायालय ने आरोपी संजू उर्फ सुरेश कुमार चौधरी पिता महन्ता चौधरी उम्र 43 वर्ष निवासी श्रमिक नगर थाना कोतमा की जमानत याचिका निरस्त की गई।
मीडिया प्रभारी राकेश पाण्डेय ने सहायक जिला अभियोजन अधिकारी कोतमा राजगौरव तिवारी के हवाले से बताया की मामला थाना कोतमा के अ.क्र. 25/21 धारा 376,376(2)(एन) भादवि से संबंधित है जिसमें आरोपी करीब 04 माह पहले फरियादिया को अपने दोस्त से मिलवाने के बहाने श्रमिक नगर स्कूल के पास ले गया था और स्कूल के अंदर ले जाकर फरियादिया के साथ जबरदस्ती करने लगा विरोध करने पर बोला कि मै तुमसे शादी करूंगा इसके बाद आरोपी ने फरियादिया के साथ कई बार कुकृत्य  किया एक माह बाद जब फरियादिया गर्भवती हुई तो आरोपी फरियादिया पर गर्भपात करवाने का प्रेशर बनाने लगा जब फरियादिया द्वारा गर्भपात कराने से मना करने पर शादी का झांसा देकर बोला कि गर्भपात करावा लोगी तो मै तुमसे शादी करूंगा जिससे फरियादिया बहकावे में आकर गर्भपात की गोली खां ली और गर्भपात हो गया। जिसके बाद फरियादिया के द्वारा शादी करने की बात पर वह इंकार करने लगा और बोलने लगा कि मै शादी नही करूगा जो करना है कर लो जिससे परेशान होकर फरियादिया द्वारा रिपोर्ट थाना कोतमा में दर्ज करवायी जिसे उक्तानुसार अपराध को थाना कोतमा द्वारा दर्ज कर मामले को विवेचना में लिया गया।
आरोपी ने यह लिया था आधार - आवेदक द्वारा जमानत आवेदन में आवेदक को राजनीतिज्ञ झूठा रंजिशन फसाया गया है आवेदक की चल एवं अचल संपत्ती अनूपपुर में उसे भागने एवं फरार होने की संभावना नही है उक्त अपराध के निराकरण में काफी समय लगने की पूर्ण संभावना है इसलिए जमानत का लाभ दिया जाए।
अभियोजन ने इस आधार पर किया था विरोध-उक्त आवेदन पत्र अपर लोक अभियोजक शैलेन्द्र सिंह द्वारा जमानत आवेदन का इस आधार पर विरोध किया अभियोक्त्री को शादी का प्रलोभन देकर उसके साथ जबरन बार-बार बलात्कार करना पाये जाने पर 376,376(2)एन भादवि के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया गया है जो कि गंभीर प्रकृति का है महिलाओं के विरूद्ध बढ रहे अपराध को देखते हुए आवेदक को जमानत का लाभ दिया जाना उचित नही होगा। उभयपक्षों के तर्को को सुनने के पश्चात माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्को से सहमत होते हुए आरोपी की जमानत याचिका अंतर्गत धारा 439 द.प्र.स. निरस्त कर दिया।
न्यायिक दण्डाधिकारी ने भी पूर्व में किया था धारा 437 द.प्र.स. का आवेदन निरस्त-इसी मामले में आरोपी द्वारा न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी के.पी.सिंह न्यायालय में भी अंतर्गत धारा 437 द.प्र.स. के अंर्तगत जमानत आवेदन प्रस्तुत किया था जिसमें अभियोजन अधिकारी राजगौरव तिवारी द्वारा न्यायालय के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत की थी उक्त आवेदन को माननीय न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया था।

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