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शहडोल संभाग के अंतिम छोर के व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाना हमारा लक्ष्य-श्रीमती हिमाद्री सिंह

  (हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) स्वदेशी उत्पाद से आजीविका हेतु प्रभावी योजना को अमलीजामा पहनाने एवं शहडोल संभाग क्षेत्र के अंतिम छोर के व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आत्मनिर्भर शहडोल अभियान की शुरूवात सांसद शहडोल श्रीमती हिमाद्री सिंह ने कर दी है। भाजपा जिला मीडिया प्रभारी राजेश सिंह के हवाले जानकारी दी कि आत्मनिर्भर भारत अभियान न केवल वैश्विक महामारी कोविड-19 के संकट से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत हमरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ऐसा विजन है जो भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का रास्ता प्रशस्त करता है। आत्मनिर्भर भारत में सूक्षम, लघु और मध्यम (एमएसएमई) उद्यम क्षेत्र को कई तरह की रियायतें देते हुए मजबूती प्रदान की गई। साथ ही गरीबों, किसानों श्रमिकों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए गए हैं। सांसद शहडोल श्रीमती हिमाद्री सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा के बाद, केवल डेढ़ माह की अवधि में ही इसके सकारात्मक प्रभाव भी दिखने लगे हैं। श्री मोदी द्वारा किए गए आह्वान को सभी देशवासियों का समर्थन मिला है। श्रीमती हिमाद्री सिंह ने आगे बताया कि शहडोल क्षेत्र के युवाओं के लिए जीविकोपार्जन एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है ऐसे युवाओं के भविष्य में कार्य करने के अवसर, आजीविका की संभावनाएं तथा उनके जीविकोपार्जन में निरन्तरता बनाए रखने के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना को क्रियान्वित करने पर प्रभावी रणनीति तैयार की गई है। शहडोल संसदीय क्षेत्र में औषधीय गुणों से युक्त पारंपरिक फसलों की खेती, प्राचीन (मोटा) अनाज का प्रसंस्करण उद्यम एवं इनके खाद्य उत्पाद हेतु “मोटा अनाज खाद्य प्रसंस्करण उद्योग” आजीविका के लिए संजीवनी साबित हो सकता है इससे स्वस्थ, स्वतंत्र व सम्मानजनक स्थिति में स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध होगा। बाजार में मोटे अनाज की बढ़ती मांग ने इनकी कीमत भी बढ़ा दी है, वैज्ञानिक अब मोटे अनाज के क्षेत्र में ग्रामीण युवाओं के लिए भविष्य तलाश रहे है, मोटे अनाज के प्रसंस्करण उद्यम तथा मोटा अनाज के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में इससे बने उत्पाद की माँग एवं खपत, निर्यात की संभावनाओं में अर्थव्यवस्था को गति देने स्थिति अनुकूल है। इससे गाँव में काफी संभावनाएं बन जाएगी तथा ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने का यह एक मजबुत आधारस्तम्भ हो सकता है। यदि लोगों को आजीविका के लिए अपने क्षेत्र में ही काम मिलने लगे तो भला घर-परिवार को छोड़कर बाहर कौन जाना चाहेगा। इस कारण औषधीय गुणों वाले पारंपरिक फसलों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को पल्लवित करने संकल्प शक्ति के साथ साथ अनुसंधान शक्ति की भी जरुरत है। सांसद ने बताया कि कोरोना संकट काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का एलान किया। इस पैकेज में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष तौर पर एमएसएमई पर ध्यान दिया गया।
उन्होंने कहा कि एमएसएमई ने यानि सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों की परिभाषा बदल दी। इसमें निवेश की लिमिट में बदलाव किया गया और एक करोड़ के निवेश या 10 करोड़ रुपये के टर्नओवर पर सूक्ष्म उद्योग का दर्जा दिया जाएगा। एमएसएमई से भारत को आत्मनिर्भर बनाने का सपना प्रधानमंत्री ने देखा है, यह सपना पूरी तरह से सफल होगा। एमएसएमइ में 10 करोड़ निवेश या 50 करोड़ टर्नओवर पर लघु उद्योग का दर्जा दिया जाएगा। वहीं 20 करोड़ निवेश या 100 करोड़ टर्नओवर पर मध्यम उद्योग का दर्जा होगा। 200 करोड़ तक का टेंडर ग्लोबल नहीं होगा, इसके अलावा एमएसएमई को ई-मार्केट से जोड़ा जाएगा। 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में से तीन लाख करोड़ एमएसएमई यानी सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग को दिए जाएंगे। इनको बिना गारंटी लोन मिलेगा और इसकी समयसीमा चार साल की होगी। इसके साथ ही जो एमएसएमई तनाव में हैं उन्हें सबआर्डिनेट डेट के माध्यम से 20000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र को बैंकों से जुड़े सुधार, बैंकों के रिकैपिटलाइजेशन जैसे काम किए गए, 41 करोड़ रुपये जनधन खाता धारकों के खाते में डीबीटी ट्रांसफर किया गया है। तहत 1.10 लाख करोड़ से अधिक के ऋण स्वीकृत किये जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का एक फंड्स ऑफ फंड भी बनाया गया है। एक ओर जहाँ गरीब कल्याण योजना केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत और सशक्तिकरण की अतिमहत्वपूर्ण योजना है। इसके तहत प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि की अग्रिम किस्त किसानों के खाते में जमा की गई। महिला जन-धन खाताधारियों के खातों में 5-5 सौ रुपये की तीन किस्तें डाली गई उज्ज्वला योजना के तहत 8 करोड़ से अधिक महिलाओं को तीन गैस सिलिंडर मुफ्त दिए गए और दिव्यांगों,विधवाओं एवं बुजुर्गों को भी एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के 80 करोड़ गरीबों एवं प्रवासी मजदूरों के लिए लॉकडाउन से राहत देने के लिए तीन महीने मुफ्त राशन देने का एलान किया था, इसमें हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलो गेहूं या चावल और प्रति परिवार एक किलो चना की दाल नवम्बर तक निशुल्क मिलता रहेगा। इस योजना पर लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। वन नेशन वन राशन कार्ड के साथ मनरेगा के तहत रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार ने इसमें 40 हजार करोड़ की अतिरिक्त राशि का एलान किया है जो पूर्व से 66 प्रतिशत अधिक है। मनरेगा का वार्षिक बजट 66 हजार करोड़ से अधिक है,जो वर्तमान में 1 लाख 96 हजार करोड़ हो गया है। श्रीमती हिमाद्री सिंह ने केंद्र सरकार की कई योजनाओं से संबंध में विस्तार से बतायी कि गरीब कल्याण रोजगार योजना, किसान क्रेडिट कार्ड्स, स्पेशल लिक्विडिटी फैसिलिटी, वन नेशन वन मार्केट, एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड,सृक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का फार्मलाइजेशन, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, 15 सौ करोड़ रुपये का पशुपालन अवसंरचना विकास कोष, फार्मिंग रिफॉर्म्स, फसलों का समर्थन मूल्य, इंफ्रास्ट्रक्चर रिफॉर्म्स, रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया, अंतरिक्ष उद्योग, वोकल फॉर लोकल, आरबीआई रिलीफ मेजर्स जैसे कई दूरदर्शी और ऐतिहासिक निर्णय ले कर उसे धरातल पर उतारते हुए हमारे प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को मूर्त रूप दे रहे हैं। श्रीमती हिमाद्री सिंह ने बताया कि शहडोल संसदीय क्षेत्र के विधानसभावार वाट्सऐप ग्रूप बनाने, कृषि आधारित उद्यम की जानकारी देने, कृषकों का किसान उत्पादक कंपनी (एफपीसी) का पंजीयन करवाने, मुद्रा लोन, एमएसएमई लोन की व्यवस्था हेतु उद्यमिता की रूपरेखा एवं डॉक्युमेंट करने, व्यवहार्यता परियोजना रिपोर्ट को अंतिम रूप देकर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्य किया जाएगा जिसमें राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, जिला प्रशासन के साथ उच्च स्तरीय बैठक शीघ्र ही आयोजित की जाएगी, जिससे आत्मनिर्भर भारत योजना जल्दी ही धरातल पर दिखेगी तथा यह शहडोल क्षेत्र देश का रोल मॉडल बनेगा।

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