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क्या गुल खिलाएगा कुलस्ते और बिसाहूलाल का दोस्ताना संबंध उपचुनाव में सबसे पहले किया था श्री गणेश

              (हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) पिछले तीन महीनों में देशभर में राजनैतिक उठा पटक के बीच सियासी समीकरण बदले हैं। कोयलांचल के बड़े आदिवासी नेता बिसाहूलाल ने सबसे पहले कांग्रेस पर उपेक्षा का आरोप लगाकर को भाजपा का दामन पकड़ लिया था। सिंधिया की बगावत के साथ बनी भाजपा सरकार में मंत्री परिषद के गठन में शहडोल संभाग से उम्मीद के विपरीत बीच बिसाहूलाल सिंह और भाजपा के वरिष्ठ नेता जयसिंह मरावी को दरकिनार करते हुए श्रीमती मीना सिंह को मंत्रिमंडल में जगह दे दी गई। इतना ही नहीं उन्हें रीवा शहडोल संभाग का प्रभार भी दे दिया गया। उसके बाद कि मंत्रिमंडल विस्तार की तिथियां बदलती रही और फिर अफवाहों का बाजार नए-नए नामों पर गर्म होता रहा। नए-नए दावेदारों के दावे आते रहे हैं ये भी बात चली कि अब बिसाहूलाल को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी जाएगी, बल्कि उन्हें किसी निगम या मंडल का अध्यक्ष बनाकर उपकृत किया जाएगा। ऐसे में उनके समर्थक ठगा हुआ महसूस करने लगे थे। बिसाहूलाल की गिनती मध्यप्रदेश के बड़े आदिवासी नेताओं में होती है, उनके नाम कटने की खबर से बहुत हलचल मची। इसी बीच एक नया गठजोड़ सामने आया। जिसमें केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी बिसाहूलाल सिंह की वकालत करने के लिए नरोत्तम मिश्रा के साथ फग्गन सिंह कुलस्ते ने मोर्चा संभाला। कुलस्ते देश में आदिवासियों के बड़े नेता माने जाते हैं। उनकी बिसाहूलाल से दोस्ती पर्दे के पीछे भले रही हो लेकिन प्रत्यक्ष रूप से लोगों को कभी दिखाई नहीं दी। बिसाहूलाल के समर्थन में कुलस्ते ने जिस तरह से आगे बढ़ के प्रयास किया और तो और सबसे पहले अनूपपुर पहुँचकर बिसाहूलाल के चुनावी अभियान का भी श्रीगणेश कर दिया। इससे ये स्पष्ट हो गया कि कुलस्ते और बिसाहूलाल के बीच बहुत करीबी सम्बंध हैं। कुलस्ते ने बिसाहू लाल को यकीन दिलाया कि शिवराज सिंह चौहान उनके सम्मान का पूरा ध्यान रखेंगे और दिल्ली से भोपाल तक बिसाहूलाल की पैरोकारी करते रहे। इस बीच कुलस्ते ने शिवराज सिंह चौहान के पक्ष में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते आदिवासी नेताओं को लामबंद करने का काम भी शुरू किया है। सियासी हलकों में ये संबंध नए जरूर दिख रहे हैं, लेकिन इनकी प्रगाढ़ता ये बताती है कि कुलस्ते अनूपपुर उप चुनाव में पूरी ताकत लगाएँगे। इतना ही नही आदिवासी नेताओं के बीच शिवराज सरकार को स्थिर और मजबूत करने की भी राय स्पष्ट हो चुकी है। रामलाल रौतेल, जयसिंह मरावी, कुंवर सिंह टेकाम और ओम प्रकाश धुर्वे की नयी दोस्ती महाकौशल की राजनीति में जनजातीय वोटरों के लिए बड़ा प्लेटफोर्म जरूर प्रदान करेगी और इसका असर भविष्य में दिखाई देगा।

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