राष्ट्रवादी हिन्दुत्व की
आंधी ने रचा इतिहास
(हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) 2019 आम चुनाव का परिणाम 23 मई की सुबह जैसे जैसे टी वी स्क्रीन पर मिनट दर मिनट आता जा रहा था, देश का लोकतंत्र एक नया इतिहास रचने की ओर अग्रसर हो रहा था। एक ऐसा गौरव शाली इतिहास , जिसका
( चुभती बात - मनोज द्विवेदी, अनूपपुर ) |
साक्षी बनने ,सहभागी बनने का सौभाग्य हम सभी को प्राप्त हुआ। 23 म ई 2019 का दिन भारत के लोकतंत्र मे स्वर्णिम अक्षरों मे लिखा जाएगा। हिन्दु राष्ट्रवादी सुनामी में सवार नमो का जादू कुछ ऐसा चला कि कांग्रेस सहित उत्तर भारत के सभी प्रान्तीय शक्तियाँ धूल चाटती नजर आई। यद्यपि अंतिम परिणाम अभी भी आना शेष हैं , भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए ने 350 से अधिक सीटों पर कब्जा बनाए रखा । अकेले भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव से 20 से अधिक सीटे जीतकर 300 का जादुई आंकडा पार गयी। जबकि राष्ट्रीय कांग्रेस की यूपीए 100 के आंकडे को पार नहीं कर सकी। तीन हिन्दी भाषी राज्यों म प्र, गुजरात, छ ग, जहाँ उसकी सरकारें हैं, मे भी उसका सूपडा साफ हो गया। 12 से अधिक राज्यों सहित राजस्थान मे कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला । छत्तीसगढ़ मे कांग्रेस महज दो सीटें बचा सकी । सबसे बुरा हाल म प्र मे हुआ। यहाँ 29 मे से मात्र एक छिंदवाड़ा सीट ही बचा सकी। दिग्विजय सिंह, अजय सिंह राहुल, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे तथाकथित राजा - महाराजाओं का जनता ने बैण्ड बजा दिया।
नमो सुनामी मे राहुल गांधी स्वत: अमेठी का अपना किला नहीं बचा सके। यहाँ 12 सीटें लेकर बसपा फायदे मे रही। सपा को पांच सीटें ही मिली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम समान रुप से चला। केरल व आंध्र मे उम्मीद के अनुरुप सफलता नहीं मिली हो तो भी पश्चिम बंगाल मे ममता का गढ जर्जर हो गया। वहाँ कैलाश विजयवर्गीय ,अरविन्द मेनन के साथ स्वत: मोदी + शाह+ योगी ने खास ध्यान दिया। यहाँ वह 18 सीटें जीत गयी।
*** जिस मोदी लहर को विपक्ष लगातार नकारता रहा ,पुलवामा - बालाकोट के बाद वह कब हिन्दुत्व राष्ट्रवाद की बडी सुनामी बन गया ,जब तक विपक्ष समझ पाता ,तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
राहुल गांधी देश के मुस्लिम कट्टरपंथियों के गढ वायनाड चले गये। उनके वहाँ चुनाव लडने से भले ही केरल की 18 सीटें जीत गये । अमेठी सहित इसका हिन्दी भाषी राज्यों मे उल्टा असर भी हुआ। कम्प्यूटर बाबा के कंधों पर सवार दिग्विजय सिंह की पराजय को इसी नजर से देखा गया। साध्वी पर भोपाल की प्रबुद्ध जनता ने पूरा भरोसा किया। समूचे देश मे सभी दलों ने अपने तरीके से हिन्दु- मुस्लिम, अगडा- पिछडा- दलित-आदिवासी कार्ड खेला। इसके बावजूद हिन्दू राष्ट्रवादी विचारधारा ने विदेश परस्त विचारधारा को कडी शिकस्त दी।
*** मैने इस चुनाव को बहुत नजदीक से देखा तथा जिया है। इस चुनाव मे न प्रचार का शोर गुल था , ना स्टार प्रचारकों की चमक । किसी भी दल के बडे ,छोटे नेता ने ना तो जीत के लिये स्वयं को खपाया, ना गांव - गांव वोट मांगने गये। भाजपा के उलट कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के पास ना संगठन ,ना कार्यकर्ताओं मे समर्पण दिखा। भारतीय जनता पार्टी के किसी प्रत्याशी का नाम तक क्षेत्र में नहीं चला। मोदी - मोदी की सुनामी के बीच यह चुनाव आम जनता द्वारा , जनता का , जनता के लिए चुनाव बन कर रह गया। जिसमे क्या शहरी - क्या ग्रामीण, क्या युवक - क्या बुजुर्ग, क्या किसान - क्या व्यापारी, क्या स्त्री - क्या पुरुष सभी ने राष्ट्रवाद की लहर पर सवार हो कर स्थानीय प्रत्याशी को नहीं बल्कि मजबूत, देशभक्त, ईमानदार मोदी को वोट किया।
*** ऐसा नहीं कि यह अचानक घटी घटना थी। 19 मई को अंतिम चरण के मतदान के बाद तमाम एजेसिंयों के एक्जिट पोल्स , पोल आफ पोल्स मे एनडीए को 300--350 पर दिखलाया । विपक्ष ने भले ही इसके लिये मीडिया ,एजेंसियों की विश्वसनीयता पर प्रश्न खडे किये। लेकिन अन्दर से उनके आन्तरिक सर्वेक्षणों ने उनकी जमीनें खिसका दी थी। 22 दलों की ईव्हीएम / वीवीपैट पर बैठक , फिर रुदाली से यही स्पष्ट संकेत गया। भारत जैसे बडे लोकतंत्रीय देश मे अब ईव्हीएम निर्विवाद रुप से स्थापित हो चुका है । चुनाव प्रक्रिया खामी रहित नहीं थी। भाषा - आचरण - कार्य की मर्यादा तथा नियम कायदों के लिये निर्वाचन आयोग को त्वरित व सख्त होना होगा।
*** नमो अगेन ...आयेगा तो मोदी ही...फिर एक बार मोदी सरकार की स्वत: स्फूर्त अपार सफलता के बाद यह स्थापित हो गया है कि देश ने चॊकीदार चोर है, नोटबन्दी , जीएसटी , ७२००० के न्याय जैसे शोर को महज बकवास ही माना। कांग्रेस चोर- चोर का शोर मचा कर मोदी की ईमानदार छवि पर कीचड उछाला ,जिसे जनता ने खारिज कर दिया। तृणमूल, बसपा ,सपा, राजद ,कांग्रेस को भ्रष्टाचार एवं परिवारवादी संकीर्णता से उबर कर संगठनात्म मजबूती पर ध्यान देना होगा।
*** चुनाव परिणाम ने यह साबित कर दिया है कि यह चुनाव राजनैतिक दलों के बीच ना होकर दो विचारधाराओं के बीच का ऐसा युद्ध था, जिसमें आचार संहिता के संयमों की बार बार परीक्षा हुई। पूरा भारत वर्ष मानों कुरुक्षेत्र बन गया था ,जिसमे महाभारत के सभी पात्र जीवन्त दायित्वों का प्रदर्शन करते दिखे। धर्म, राजनीति, सत्य , झूठ, आडंबर, षडयंत्र , मोह, नफरत , प्रेम , हिंसा से ओतप्रोत भाव से लथपथ कलाकारों का जीवंत अभिनय एक अरब दर्शकों ने प्रत्यक्ष देखा है।
*** प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई मे एनडीए -3 की नयी सरकार के सामने आने वाले समय मे घरेलू एवं वैश्विक चुनौतियां बहुत होंगी। मोदी ने जीत के बाद सबका साथ - सबका विकास - सबका विश्वास का नया नारा देकर सरकार का दृष्टिकोण स्पष्ट कर दिया है। इन सबके बीच उसे अपनी मूल ताकत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं उससे जुडे सभी आनुशांगिक संगठनों को भी साधना होगा, जो इस विशाल विजय का प्रमुख आधार रही है।
0 Comments