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केशरवानी समाज की नाराजगी प्रदेश में भाजपा को पड़ सकती है भारी पिछड़ा वर्ग से प्रदेश सरकार ने रखा वंचित

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो) 

अनूपपुर (अंचलधारा) बीते दिवस मंगलवार को सिटी स्टार होटल शहडोल में केशरवानी वैश्य सभा मध्यप्रदेश के चतुर्थ संयुक्त कार्यकारिणी की बैठक संपन्न हुई।बैठक में उपस्थित सभी सभासदों व मंचासीन महानुभावों के व्यक्त विचारों व सुझावों के आधार पर सर्वसम्मति से निम्न निर्णय लिया गया देश में जातियों की आर्थिक सामाजिक,शैक्षणिक,राजनैतिक एवं अन्य स्थितियों की जांच के लिए 1953 में गठित काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट में,कालांतर में गठित बी पी मंडल आयोग की रिपोर्ट में,इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार के प्रकरण में,सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्णय के आधार पर,भारत सरकार के राजपत्र में,केसरवानी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में रखा गया है।इसी आधार पर बिहार एवं झारखंड राज्य में केशरवानी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग में सम्मिलित किया गया और उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग का सभी लाभ दिया जा रहा है।इन्हीं आधारों पर मध्यप्रदेश में भी पिछले 30 वर्षों से लगातार केशरवानी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में सम्मिलित किए जाने की पूरजोर मांग की जा रही है।वर्तमान में यह अधिकार भारत सरकार द्वारा प्रदेश सरकार को दे दिया गया है। 
        मध्यप्रदेश सरकार द्वारा केशरवानी समाज की वर्षों से लम्बित इस वैधानिक मांग के प्रति एवं समाज को किसी भी उचित क्षेत्र से विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाए जाने की मांग के प्रति जिस तरह केशरवानी समाज को,समाज की सभाओं को,प्रमुख राजनैतिक दलों द्वारा,बार-बार आश्वासन देते हुए धोखे में रखा गया और अंततः समाज की वैधानिक मांगों की अनदेखी व उपेक्षा की गई एवं की जा रही है। उसकी समाज द्वारा निन्दा" की जाती है।
                वर्तमान विधानसभा चुनाव के दौरान केशरवानी समाज के सभी स्थानीय निवासियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र के सभी दलों व निर्दलीय प्रत्याशियों के समक्ष सामूहिक रूप से केसरवानी समाज की उपरोक्त उपेक्षा व अनदेखी का उल्लेख करते हुए समाज के भारी क्षोभ व आक्रोश की जानकारी से उन्हें अवगत कराया जाए।
         मध्यप्रदेश केशरवानी समाज की वैधानिक मांगों के प्रति मध्यप्रदेश शासन द्वारा जिस तरह अनदेखी व उपेक्षा की गई है और समाज को धोखे में रखा गया उसे ध्यान में रखते हुए केशरवानी समाज को विधानसभा चुनाव में स्वविवेक से मतदान का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र किया गया।                            
              मध्यप्रदेश के  32 विधानसभा क्षेत्रों में केशरवानी समाज की बाहुल्यता है जो कि विजय एवं पराजय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण संख्या है।शहडोल एवं रीवा संभाग की सभी विधानसभा क्षेत्र एवं महाकौशल के जबलपुर पश्चिम जबलपुर मध्य सागर जिले में नरियावली व सागर शहर तथा दमोह विधानसभा क्षेत्र मिलाकर 32 विधानसभा क्षेत्र में   केशरवानी कसौधन अग्रहरि सहित जिनसे इनके रोटी बेटी के संबंध होते हैं एक बड़ी ताकत के रूप में निवासरत हैं। किंतु किसी भी विधानसभा क्षेत्र में इस समाज के सक्रिय पात्र व सक्षम कार्यकर्ता को विधानसभा में प्रत्याशी ना बनाए जाने से समाज व्यथित एवं आक्रोर्षित है।यह समाज जनसंघ के समय से लेकर आज भाजपा की राजनैतिक संघर्ष में परछाई की तरह साथ रहा है।तन-मन-धन से समर्पित हो एक बड़ा वोट बैंक रहा है।एक समय यह बनियों की पार्टी कहीं जाती रही है लेकिन दुर्भाग्य वश अब यह बनियों को छोड़कर अन्य सभी जाति समाज और वर्गों की बन गई है।जनसंघ के समय तथा जब देश में आपातकाल लागू हुआ तब वैश्य केशरवानी कसौधन समाज के सर्वाधिक राजनैतिक कार्यकर्ता 19 माह तक जेल में रहकर यातना झेलते रहे हैं।बावजूद इसके भाजपा का संगठन और सत्ता दोनों ही केशरवानी वैश्य समाज की त्याग,तपस्या और बलिदान को भूलाते हुए सिर्फ एक वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल कर लगातार समाज की उपेक्षा की है।यदि  केसरवानी समाज के वोटो को ऐसे ही अनदेखा किया जाता रहा तो निश्चित है चिन्हित स्थानों पर समाज की नाराजगी का खामियाजा भाजपा को भारी पड़ सकता है।

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