अनूपपुर (अंचलधारा) शहडोल संभाग की एकमात्र सामान्य सीट कोतमा पर सभी की निगाहें टिकी हुई थी।भाजपा एवं कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों को लेकर लोगों में काफी उत्साह था।लेकिन भारतीय जनता पार्टी के टिकट वितरण के साथ ही कोतमा विधानसभा में भाजपा का माहौल लोगों की समझ से परे हो गया।
लोग कहने लगे कि भाजपा ने कांग्रेस को फिर से वाक ओवर दे दिया।नए परिसीमन में 2008 में सीट अनारक्षित घोषित हो गई थी।भाजपा ने दिलीप जायसवाल को प्रत्याशी बनाया था जो की 1800 मतों से विजय हुए थे।उसके पश्चात 2013 में उनके परफॉर्मेंस ठीक नहीं होने के कारण कोतमा के नगर पालिका अध्यक्ष राजेश सोनी को भाजपा ने अपना प्रत्याशी कोतमा विधानसभा क्षेत्र से घोषित किया था। बताते हैं कि जब राजेश सोनी प्रत्याशी बने तो विधायक रह चुके दिलीप जायसवाल ने खुली बगावत कर प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समक्ष नेतृत्व के खिलाफ आपत्तिजनक बयान भी दिया था।यह भी चर्चा है कि उन्होंने स्वयं मतदान भी नहीं किया था एवं कांग्रेस प्रत्याशी के लिए कार्य करने की चर्चा भी सुनाई दी। यही नहीं कोतमा विधायक बने मनोज अग्रवाल को लड्डू से तोलने की बात भी सामने आ रही है।फिर उन्हें 2018 में टिकट दी गई तो 11429 वोटो से चुनाव हार गए थे।लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने 2023 में फिर से उन्हें उम्मीदवार बनाया है।जिससे भाजपा में मायूसी है।पार्टी विरोधी गतिविधियों के बाद भी पार्टी ने स्वयं पराजय को स्वीकार करते हुए दिलीप जायसवाल को कोतमा से विधानसभा का प्रत्याशी बनाकर पूरे विधानसभा क्षेत्र में सन्नाटा का वातावरण निर्मित कर दिया।ऐसा लगता है कि भाजपा ने अपनी हार पहले ही स्वीकार कर ली।देखना है आने वाले समय में महत्वपूर्ण संभाग की सीट पर बीजेपी कौन से नंबर पर अपना स्थान दर्ज करने में सफल होती है।
लोग कहने लगे कि भाजपा ने कांग्रेस को फिर से वाक ओवर दे दिया।नए परिसीमन में 2008 में सीट अनारक्षित घोषित हो गई थी।भाजपा ने दिलीप जायसवाल को प्रत्याशी बनाया था जो की 1800 मतों से विजय हुए थे।उसके पश्चात 2013 में उनके परफॉर्मेंस ठीक नहीं होने के कारण कोतमा के नगर पालिका अध्यक्ष राजेश सोनी को भाजपा ने अपना प्रत्याशी कोतमा विधानसभा क्षेत्र से घोषित किया था। बताते हैं कि जब राजेश सोनी प्रत्याशी बने तो विधायक रह चुके दिलीप जायसवाल ने खुली बगावत कर प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समक्ष नेतृत्व के खिलाफ आपत्तिजनक बयान भी दिया था।यह भी चर्चा है कि उन्होंने स्वयं मतदान भी नहीं किया था एवं कांग्रेस प्रत्याशी के लिए कार्य करने की चर्चा भी सुनाई दी। यही नहीं कोतमा विधायक बने मनोज अग्रवाल को लड्डू से तोलने की बात भी सामने आ रही है।फिर उन्हें 2018 में टिकट दी गई तो 11429 वोटो से चुनाव हार गए थे।लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने 2023 में फिर से उन्हें उम्मीदवार बनाया है।जिससे भाजपा में मायूसी है।पार्टी विरोधी गतिविधियों के बाद भी पार्टी ने स्वयं पराजय को स्वीकार करते हुए दिलीप जायसवाल को कोतमा से विधानसभा का प्रत्याशी बनाकर पूरे विधानसभा क्षेत्र में सन्नाटा का वातावरण निर्मित कर दिया।ऐसा लगता है कि भाजपा ने अपनी हार पहले ही स्वीकार कर ली।देखना है आने वाले समय में महत्वपूर्ण संभाग की सीट पर बीजेपी कौन से नंबर पर अपना स्थान दर्ज करने में सफल होती है।
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