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वृद्ध की पत्नी को वन विभाग ने दी प्रारंभिक सहायता राशि दो-दो हाथी विचरण कर रहे गोबरी एवं टांकी के जंगल में

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो) 

अनूपपुर (अंचलधारा) जिले की कोतमा एवं जैतहरी रेंज के वन क्षेत्र में दिन में आराम करने बाद देर शाम दो-दो हाथियों के समूह में बटे दो दल द्वारा देर शाम-रात होने पर जंगल से लगे ग्रामीण अंचलों में प्रवेश कर ग्रामीणों द्वारा लगाए गए खेतों में धान की फसलों को अपना आहार बना रहे हैं।जिसे बचाने के लिए ग्रामीण जन एकत्रित होकर हाथियों को गांव से बाहर ले जाने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
      इसी दौरान शुक्रवार की देर शाम हाथियों से अपने खेत में लगी धान की फसल बचाने के लिए खेत में आग जलाने के लिए गए अनूपपुर रेंज के दुधमनिया बीट अंतर्गत बांका गांव में एक 60 वर्षीय वृद्ध धन्नू सिंह गोड़ पिता बौदा सिंह पर अचानक गोबरी की ओर से गए दो हाथियों में से एक हाथी ने दौड़ा कर,पटक कर,पैर से दवा कर बुरी तरह कुचल कर मार दिया।जिसका शव परीक्षण शनिवार की सुबह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जैतहरी में ड्यूटी डॉक्टर मुकेश शर्मा द्वारा किया गया।वही जैतहरी थाना द्वारा जीरो पर मर्ग कायम कर गवाहो एवं परिजनों के बयान दर्ज किए गए।इस दौरान अनूपपुर कलेक्टर एवं वन मंडलाधिकारी के निर्देश पर प्रभारी उपवन मंडलाधिकारी अनूपपुर ने मृतक के घर पहुंच कर उनकी पत्नी मंत्री बाई सिंह को शासन के नियमानुसार अंतिम संस्कार हेतु प्रारंभिक सहायता राशि प्रदान की।तथा घटनास्थल का निरीक्षण करते हुए ग्रामीणों को हाथियों के समूह से दूर रहने की सलाह दी।
               इस दौरान वन परिक्षेत्र अधिकारी जैतहरी विवेक मिश्रा,परिक्षेत्र सहायक जैतहरी आर.एस.सिकरवार,
वन्यजीव संरक्षक अनूपपुर शशिधर अग्रवाल,ग्राम पंचायत गोबरी के सरपंच प्रतिनिधि बाबूलाल कोल,गोबरी बीट के वनरक्षक कुंदन शर्मा एवं ग्रामीण जन उपस्थित रहे।दोनों हाथियों का समूह में दो हाथी जैतहरी रेंज के गोबरी बीट अंतर्गत कक्ष क्रमांक आर.एफ.302 ठाकुर बाबा में शनिवार के दिन विश्राम कर रहे हैं।जिनके द्वारा शुक्रवार एवं शनिवार की मध्य रात्रि गोबरी पंचायत के ठेगरहा गांव में पूरी रात विचरण कर खेतों में लगी धान को अपना आहार बनाते रहे। वही दो हाथियों का समूह कोतमा रेंज के टांकी बीट अंतर्गत टांकी गांव के जंगल कक्ष क्रमांक पी.एफ.476 में शुक्रवार के दिन विश्राम करने बाद देर शाम-रात होने पर टांकी गांव के कठोईझरखी के राजस्व क्षेत्र में विचरण करते हुए खेतों में लगी धान की फसल को खाते हुए शनिवार की सुबह फिर से सातवें दिन टांकी बीट के जंगल में पहुंचकर विश्राम कर रहे हैं।

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