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आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए बना जनजातीय विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों से भटका-दिग्विजय सिंह

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा)मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शहडोल संभाग दौरे पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि आदिवासी बाहुल्य जिले में जाने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शहडोल संभाग के एकमात्र इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के आदिवासी छात्र-छात्राओं को लेकर कुछ भी नहीं बोला गया।
        उन्होंने कहा कि शहडोल संभाग में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में आदिवासी छात्र-छात्राएं पढ़ने के लिए तरस रहे हैं।लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी ने इस विषय में कुछ नही बोला।क्या आदिवासी छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा की पढ़ाई से वंचित रखना भाजपा की आदिवासी विरोधी मानसिकता का परिचायक नही है...?
                  उन्होंने कहा कि वह स्वयं 13 मई 2023 को अनूपपुर जिले के दौरे पर थे तब अमरकंटक स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने के इच्छुक आदिवासी छात्र-छात्राओं ने मुझे बताया कि विश्वविद्यालय मे आदिवासी वर्ग के छात्र-छात्राओं को प्रवेश में 50 प्रतिशत आरक्षण था वो घटाकर 7.50 प्रतिशत कर दिया गया है।
                     उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी आदिवासी छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षित करने के जिस उद्देश्य से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी यदि वही पूरा नही होगा तो फिर कैसे आप कह सकते हैं कि आपकी सरकार आदिवासियों के हित में काम कर रही है।यदि वे पढ़ेंगे नही तो बढ़ेंगे कैसे...?
                            पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी छात्र-छात्राएं अमरकंटक में स्थित मध्यप्रदेश के एक मात्र इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा पाने की गुहार लगा रहे हैं।परंतु न तो केंद्र की मोदी सरकार आदिवासियों की बात सुन रही है और न ही मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार।
         पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है कि शहडोल संभाग में स्थित आदिवासी बाहुल्य राज्य मध्यप्रदेश के एकमात्र इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में आदिवासी छात्र-छात्राओं को प्रवेश में 50 प्रतिशत आरक्षण दिलवाने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति व कुलाधिपति से चर्चा कर विषय का निराकरण करवाएं।

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