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प्रधानमंत्री का आगमन और सांसद की मुलाकात क्या गुल खिलाएगी लोगों की टिकी निगाहें नागपुर ट्रेन का इंतजार

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) केंद्रीय स्तर के कार्यों के लिए सांसदों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।उसी कड़ी में शहडोल संसदीय क्षेत्र की सांसद हिमाद्री सिंह को लेकर लोगों ने कयास लगाने प्रारंभ कर दिए हैं की लगभग 30 वर्षों की मांग नागपुर ट्रेन का इंतजार उनकी मुलाकात के बाद समाप्त हो जाना था।लेकिन शायद प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया था कि कुछ इंतजार करो शायद वह दिन 27 जून 2023 का होगा।जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी स्वयं शहडोल जिले में आ रहे हैं।तो लोगों को नागपुर ट्रेन का बेसब्री से इंतजार बना हुआ है।अब देखना है की सांसद हिमाद्री सिंह का प्रधानमंत्री से मुलाकात क्या गुल खिलाता है।यह आने वाले 27 जून को पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगा।स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर नागपुर एक जाना माना शहर बन गया है।अब लोग किसी भी तरह की बीमारी होने पर बिलासपुर,रायपुर, जबलपुर जाने की बजाए सीधे नागपुर की तरफ अपना रुख करते हैं।क्योंकि वहां अच्छी चिकित्सा सुविधा काफी कम दर पर उपलब्ध हो जाती है और शहर के अलावा ग्रामीण अंचल के लोग भी अब सीधे नागपुर जाते हैं।उसके लिए या तो पहले बिलासपुर या फिर जबलपुर जाते हैं वहां से ट्रेन बदलकर नागपुर के लिए रुख करते हैं।जिससे समय तो बर्बाद होता ही है और आने जाने में परेशानी होती है।जिसके लिए लगातार पेपर की सुर्खियों में,पत्रों के माध्यम से,पक्ष- विपक्ष के नेताओं के मार्फत नागपुर ट्रेन की डिमांड लगातार रेल मंत्री से की जाती रही।लेकिन यह मांग केवल आश्वासन तक सीमित रही।मूर्त रूप आज दिनांक तक नहीं ले पाई।
           जिसको लेकर लोगों में काफी आक्रोश सांसद को लेकर बना हुआ है।क्योंकि केंद्र में प्रतिनिधित्व करने वाली सर्वमान्य नेता सांसद ही होता है। जिसकी बातें रेल महाप्रबंधक, रेल मंडल प्रबंधक, रेल मंत्री सभी सुनते हैं।
लेकिन अमल उनकी बातों पर 5 वर्ष बीतने को है आज तक पूरा नहीं हो पाया।प्रधानमंत्री स्वयं शहडोल संसदीय क्षेत्र की सांसद हिमाद्री सिंह के क्षेत्र में आ रहे हैं।लोग पूरी तरह से उम्मीद बनाए हुए इंतजार कर रहे हैं की प्रधानमंत्री जी कुछ दे या ना दे लेकिन शहडोल संसदीय क्षेत्र की,सरगुजा क्षेत्र की नागपुर ट्रेन की डिमांड को अवश्य पूरी करेंगे।अब देखना है कि शहडोल संसदीय क्षेत्र की सांसद हिमाद्री सिंह प्रधानमंत्री के आने के पहले प्रधानमंत्री,रेल मंत्री से कितनी वकालत कर पाने में सफल होती हैं।यह 27 जून को दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।अगर इस बार लोगों की आशाओं के अनुरूप परिणाम नहीं आए तो लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए कांटो भरा सरताज हो जाएगा।

शहडोल से जयसिंहनगर 
होते हुए रीवा तक नई 
रेल लाइन उम्मीद भरी निगाहें
                         
भारतीय रेलवे रेल परियोजनाओं को अछूते स्थानों पर भी पहुंचाने के लिए कृत संकल्पित है।लेकिन केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अगर ढीले पड़ जाए तो परियोजनाएं ठंडे बस्ते में दफन हो जाती हैं।मध्यप्रदेश के  शहडोल जिला एवं संभाग मुख्यालय शहडोल से जयसिंहनगर,ब्यौहारी, बाणसागर होते हुए रीवा तक नई रेलवे लाईन का कार्य प्रारंभ कराया जाना जनमानस के लिए आवश्यक है।
              मध्यप्रदेश का शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य अति गरीब क्षेत्र है।गरीबी के चलते यहां के लोग आवागमन की सुविधा से वंचित रहते है।उत्तरप्रदेश का प्रयागराज यहां के लोंगो का आस्था का केन्द्र है।किन्तु सडक मार्ग का किराया अत्यधिक होने से नहीं पहुंच पाते है।इसलिए शहडोल से प्रयागराज (इलाहाबाद) तक रेलवे की सुविधा विस्तार करने हेतु पूर्व में जनमानस द्वारा माँग की गई थी।जिस आधार पर पहले शहडोल से जयसिंहनगर तथा बाद में जयसिंहनगर से रीवा तक रेलवे लाईन की सुविधा के तहत सर्वे हेतु बजट स्वीकृत किया गया।किन्तु आज दिनांक तक जनमानस की जानकारी में रेलवे लाईन का कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है।जिस कारण इस क्षेत्र के लोगों को रेलवे की सुविधा प्राप्त करने में देरी हो रही है।जिससे 21वी सदी में भी हमारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र रेलवे की सुविधा से वंचित है।इस संसदीय क्षेत्र के लोगों की इच्छा है कि इस कार्य को अमलीजामा पहनाया जाए।
                 केंद्र सरकार में पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा रीवा-जयसिंहनगर रेलवे लाइन के सर्वे हेतु 7 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि 2017 के रेल बजट में स्वीकृत की गई थी।पूर्व सांसद अजय प्रताप सिंह द्वारा राज्यसभा में मुद्दा भी उठाया गया था। रेल मंत्री का ध्यान आकर्षित किया गया था।सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला ने मध्यप्रदेश विधानसभा में संकल्प पारित कराया था। जिसके बाद भी रेल मंत्री की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।शहडोल जयसिंहनगर का पूर्व में सर्वे भी हो चुका है।लेकिन मध्यप्रदेश विधानसभा में पारित संकल्प का संज्ञान भी नहीं लिया गया।जिसका सर्वे कराया जाना चाहिए वनवासी, आदिवासी,गरीब,मजदूर की आकांक्षाओं को बल देते हुए उनके सपने को साकार करना चाहिए।
                     नई रेल लाइन की योजना फाइलों में दफन होकर रह गई है। विगत पांच वर्षों से लोग केंद्र सरकार की ओर आशा भरी निगाह लगाए हुए हैं।लेकिन कार्य शुरु नहीं हुआ। नई रेल लाइन में रीवा से गोविन्दगढ़-ब्यौहारी होते हुए जयसिंहनगर एवं शहडोल तक प्रस्तावित किया गया था।परंतु कई वर्ष व्यतीत हो जाने के बावजूद रेल लाइन का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया।
            केंद्र सरकार में पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा रीवा- जयसिंहनगर रेलवे लाइन के सर्वे हेतु 7 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि 2017 के रेल बजट में स्वीकृत किया गया था।उक्त राशि इंजीनियरिंग यातायात सर्वेक्षण के तहत रेल लाइन के सर्वे कार्य के लिए स्वीकृत किया गया था।रेल मंत्रालय द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 के रेल बजट में रीवा से जयसिंहनगर नई रेल लाइन प्रस्ताव के सर्वेक्षण के लिए उक्त राशि आवंटित की गई एवं मंत्रालय द्वारा यातायात एवं इंजीनियरिंग सर्वे के लिए विधिवत रूप से बजट आवंटित कर दिया गया। उक्त कार्य रेल संयोजक यात्री जन कल्याण संघ रीवा द्वारा कराए जाने का प्रावधान किया गया था। लेकिन आज तक रेल लाइन का सपना अधूरा ही बना हुआ है।

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