(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) म.प्र.केसरवानी वैश्य सभा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि मध्यप्रदेश में निवासरत केसरवानी जाति मध्यप्रदेश के रीवा, सीधी,सतना,सिंगरौली,शहडोल,अनूपपुर,उमरिया,कटनी, जबलपुर,दमोह,सागर में बहुसंख्यक रूप से निवासरत है तथा पन्ना,भोपाल,इन्दौर में भी सैकडों परिवार निवासरत है। इसके अतिरिक्त अन्य जिले में भी कुछ परिवार निवास करते हैं।
श्री गुप्ता ने कहा मध्यप्रदेश में केसरवानी जाति है जो केसरवानी,केशरवानी खरे,केसरवानी केसरी,गुप्ता केसरवानी,बानी इत्यादि उप नामों से रहती है।मध्यप्रदेश में निवासरत "केसरवानी जाति"आर्थिक,शैक्षणिक तथा राजनैतिक रूप से समाज की अन्य जातियों के तुलना में "पिछडी" हुई जाति है।विशेषकर उन जातियों की तुलना में जिन्हें मध्यप्रदेश में "अन्य पिछड़ा वर्ग" का आरक्षण प्राप्त है।
1953 में राष्ट्रीय स्तर पर विकास की राष्ट्रीय मानकों की कसौटी पर गैर अजा,अजजा जातियों का सर्वेक्षण काका कालेलकर समिति ने किया जिन्होनें "केसरवानी" जाति को पिछड़ी जाति में माना था।
1979 में गठित बी.पी. मण्डल आयोग ने भी अपने प्रतिवेदन के भाग- 2 पृष्ठ 171 में केसरवानी" जाति को "अन्य पिछड़ा वर्ग में सम्मिलित किये जाने हेतु अनुशंसित किया।उपरोक्त अनुशंसाओं को लागू किये जाने हेतु माननीय उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार में दिये गये निर्णय के अनुपालन में भारत सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय ने सभी प्रदेशों को अन्य अनुशंसित जातियों के साथ केसरवानी जाति को आरक्षण प्रदान करने हेतु संकल्प संख्या 12011/68 / 93 बी.सी.सी.(सी.) दिनांक 10/09/1993 निर्गत किया था।यह बताना समीचीन होगा उपरोक्त संकल्प पत्र के आधार पर बिहार सरकार द्वारा 1994 में तथा राज्य विभाजन के बाद झारखण्ड सरकार ने 2012 में केसरवानी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण प्रदान किया है।
श्री गुप्ता ने कहा मध्यप्रदेश में सात दशक बाद भी केसरवानी जाति आर्थिक, शैक्षणिक एवं राजनीतिक दृष्टि से अत्यधिक पिछड़ा हुआ है।समाज का 80 से 90 प्रतिशत परिवार जीविकोपार्जन के लिए हाथ ठेला,पान दुकान, सब्जी,चाट,छोटी किराना दुकान सहित दैनिक मजदूरी करने को विवश है तथा शासकीय सेवाओं में समाज की सहभागिता नगण्य है।
म.प्र. में 32 विधानसभा क्षेत्रों में जिनमें रीवा-शहडोल संभाग की समस्त विधानसभा क्षेत्र तथा सागर,जबलपुर,पन्ना,दमोह में नगरीय क्षेत्र में अन्य वैश्य वर्ग के साथ जिनसे रोटी-बेटी के सम्बन्ध होते है चुनाव को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त संख्या है।शहडोल मुख्यालय के रघुराज हाई स्कूल के समक्ष 27 अप्रैल को धरना देकर कलेक्टर को ज्ञापन दिया जाएगा।
श्री गुप्ता ने कहा मध्यप्रदेश में केसरवानी जाति है जो केसरवानी,केशरवानी खरे,केसरवानी केसरी,गुप्ता केसरवानी,बानी इत्यादि उप नामों से रहती है।मध्यप्रदेश में निवासरत "केसरवानी जाति"आर्थिक,शैक्षणिक तथा राजनैतिक रूप से समाज की अन्य जातियों के तुलना में "पिछडी" हुई जाति है।विशेषकर उन जातियों की तुलना में जिन्हें मध्यप्रदेश में "अन्य पिछड़ा वर्ग" का आरक्षण प्राप्त है।
1953 में राष्ट्रीय स्तर पर विकास की राष्ट्रीय मानकों की कसौटी पर गैर अजा,अजजा जातियों का सर्वेक्षण काका कालेलकर समिति ने किया जिन्होनें "केसरवानी" जाति को पिछड़ी जाति में माना था।
1979 में गठित बी.पी. मण्डल आयोग ने भी अपने प्रतिवेदन के भाग- 2 पृष्ठ 171 में केसरवानी" जाति को "अन्य पिछड़ा वर्ग में सम्मिलित किये जाने हेतु अनुशंसित किया।उपरोक्त अनुशंसाओं को लागू किये जाने हेतु माननीय उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार में दिये गये निर्णय के अनुपालन में भारत सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय ने सभी प्रदेशों को अन्य अनुशंसित जातियों के साथ केसरवानी जाति को आरक्षण प्रदान करने हेतु संकल्प संख्या 12011/68 / 93 बी.सी.सी.(सी.) दिनांक 10/09/1993 निर्गत किया था।यह बताना समीचीन होगा उपरोक्त संकल्प पत्र के आधार पर बिहार सरकार द्वारा 1994 में तथा राज्य विभाजन के बाद झारखण्ड सरकार ने 2012 में केसरवानी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण प्रदान किया है।
श्री गुप्ता ने कहा मध्यप्रदेश में सात दशक बाद भी केसरवानी जाति आर्थिक, शैक्षणिक एवं राजनीतिक दृष्टि से अत्यधिक पिछड़ा हुआ है।समाज का 80 से 90 प्रतिशत परिवार जीविकोपार्जन के लिए हाथ ठेला,पान दुकान, सब्जी,चाट,छोटी किराना दुकान सहित दैनिक मजदूरी करने को विवश है तथा शासकीय सेवाओं में समाज की सहभागिता नगण्य है।
म.प्र. में 32 विधानसभा क्षेत्रों में जिनमें रीवा-शहडोल संभाग की समस्त विधानसभा क्षेत्र तथा सागर,जबलपुर,पन्ना,दमोह में नगरीय क्षेत्र में अन्य वैश्य वर्ग के साथ जिनसे रोटी-बेटी के सम्बन्ध होते है चुनाव को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त संख्या है।शहडोल मुख्यालय के रघुराज हाई स्कूल के समक्ष 27 अप्रैल को धरना देकर कलेक्टर को ज्ञापन दिया जाएगा।
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