Anchadhara

अंचलधारा
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विधानसभा में राजस्व मंत्री गोविंद सिंह के जवाब के बाद अनूपपुर में भू-माफियाओं के हौसले परस्त

 


अनूपपुर (अंंचलधारा) भू-माफियाओं का अनूपपुर जिले में मकड़जाल फैला हुआ है।जो इसकी भूमि उसके नाम उसकी भूमि दूसरे के नाम पैसों की खनक पर आए दिन करते रहते हैं।यही नहीं यह भू-माफिया विधानसभा को भ्रमित करने के लिए चंद सिक्कों की खनक में विधानसभा प्रश्न भी धार के विधायक से करा देते हैं।लेकिन मध्यप्रदेश के राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के जवाब के बाद उन भू माफियाओं के हौसले पूरी तरह से परस्त हो गए।
                         ज्ञातव्य हो कि अनूपपुर जिला मुख्यालय में स्थित विवेकानंद स्मार्ट सिटी अपने बूते स्थानीय एवं आसपास के जरूरतमंद नागरिकों का सपना 'मेरा घर मेरा मंदिर' को साकार करने का कार्य लगातार कर रहा है।यही नहीं नागरिकों को सर्व सुविधा युक्त हर वर्ग को उसका अपना घर मुहैया कराने कृत संकल्पित है और लगातार अपने उद्देश्य में सफलता का झंडा गाड़ते चला जा रहा है।
             जिससे यहां कुछ तथाकथित माफियाओं का धंधा चौपट हो गया।इन भू माफियाओं को इनकी सफलता पच नहीं पाई और यह तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर इन्हें तार-तार करने ताना-बाना बुनते हुए आखिर में अपने कूटरचित फंदे में धार जिले के कांग्रेस विधायक पाँचीलाल मेड़ा से विधानसभा में प्रश्न क्रमांक 1894 चंद सिक्कों की खनक से लगवाने में सफल हो गए। लेकिन इन्हें नहीं मालूम कि ताश के पत्तों से बना आशियाना एक झोके में ही ढह जाता है।इनके प्रश्न का जवाब देते हुए मध्यप्रदेश शासन के लोकप्रिय युवा राजस्व मंत्री माननीय गोविंद सिंह जी राजपूत ने बेबाक उत्तर प्रस्तुत कर स्पष्ट कर दिया कि चंद सिक्कों के बल पर पूछा गया प्रश्न पूर्णतया निराधार एवं मनगढ़ंत है।
            क्योंकि कुछ एक भू-माफियाओं के शिकायती पत्र को आधार बनाकर प्रश्न लगाना शासन के समय और पैसों के अपव्यय के अलावा कुछ नहीं है।क्योंकि खसरा नंबर 5/2 की भूमि कहां है और इस पर कौन-कौन कब से काबिज है प्रश्नकर्त्ता  स्पष्ट नहीं किया।जबकि वास्तविकता यह है कि खसरा नंबर 5/2 की भूमि कहां है.? और इस पर कौन-कौन कब से काबिज है.? प्रश्नकर्त्ता ने  यह स्पष्ट नहीं किया। जबकि वास्तविकता यह है कि खसरा नंबर 5/2 की भूमि आज भी नगरीय प्रशासन के नाम दर्ज है जिसका विवेकानंद स्मार्ट सिटी का दूर दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि इस रकबे की भूमि पर वर्षों से सैकड़ों हरिजन,आदिवासी,पिछड़ा वर्ग एवं सामान्य वर्ग विधिवत शासन की योजनानुसार आवास प्राप्त कर पीएमआरवाई के तहत जीवन यापन कर रहे हैं जो चंदास टोला के नाम से जाना जाता है।विवेकानंद स्मार्ट सिटी जिस भूमि पर स्थापित है वह निर्माता की रजिस्ट्री के जरिए लगभग 50-55 वर्ष पूर्व क्रय की गई भूमि है।जिसके समस्त दस्तावेज संधारित है जिसकी अनुज्ञा नगर निवेश, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, नजूल शाखा, डायवर्सन, नगर पालिका एवं कलेक्टर महोदय के परीक्षण उपरांत समस्त आवश्यक भूमि क्रय-विक्रय संबंधित दस्तावेज प्राप्त कर निर्माण कराया गया है।राजस्व मंत्री जी ने मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता वर्ष 58-59 को आधार मानते हुए अपना जवाब सदन में प्रस्तुत किया जिस पर उन्होंने बताया कि संवत 1983-94 अर्थात सन 1926 के दस्तावेजों को आधार नहीं माना जा सकता।क्योंकि सन 1926 अर्थात लगभग 100 वर्षों के पूर्व के दस्तावेज अभिलेखागार में उपलब्ध नहीं है।आजादी से पूर्व नगर की अधिकांश भूमि रीवा राजघराने के आधिपत्य में रही है जिसे समय-समय पर राजघरानों द्वारा क्षेत्र के इलाकेदारो के कब्जे के आधार पर अपने अपने मातहत काश्तकारों के नाम की जा चुकी रही। मध्यप्रदेश शासन ने मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता लागू होते ही आधार वर्ष 58-59 को ही मानते हुए प्रस्तुत करने स्पष्ट किया गया है।उपरोक्त उत्तर प्रस्तुति के पश्चात भू माफियाओं के होश परस्त हो गए।

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