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डब्ल्यूसीआर ने कबूला की एसईसीआर ने कोयले के कारण जबलपुर-अंबिकापुर ट्रेन को बंद किया

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो) 

अनूपपुर (अंंचलधारा) बिलासपुर रेलवे जोन की हिटलर शाही कहां तक बढ़ गई है यह पश्चिम मध्य रेलवे के द्वारा वरिष्ठ भाजपा नेता अनिल कुमार गुप्ता को दिए गए पत्र से स्पष्ट होता है।पश्चिम मध्य रेलवे के उप महाप्रबंधक ने उनके पत्र के प्रत्युत्तर में बताया कि जबलपुर-अंबिकापुर एक्सप्रेस का परिचालन कोविड-19 के उपरांत प्रारंभ कर दिया गया था किंतु कोयले की गाड़ियों के परिचालन की प्राथमिकता के कारण इस गाड़ी का परिचालन दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा बंद किया गया था।इस तरीके से यात्री ट्रेनों पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे किस तरह से अपनी तानाशाही चला रहा है यह स्पष्ट होता है।दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का प्रमुख उद्देश्य कोयले की गाड़ी को प्राथमिकता देना उसे यात्री ट्रेनों से कोई लेना देना नहीं जिसके कारण दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर-कटनी रेल सेक्शन एवं सीआईसी रेल सेक्शन में आए दिन यात्रियों को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।अभी कुछ माह पूर्व अनूपपुर से अमलाई, बुढार में रेलवे का कार्य चल रहा था लेकिन ताज्जुब की बात है दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने चिरमिरी से बिलासपुर चलने वाली ट्रेन जिसका रूट अमलाई की ओर नहीं है उसको भी अनूपपुर अमलाई के मध्य कार्य बताकर बंद कर दिया गया यह तानाशाही का जीता जागता उदाहरण है।अगर रेलवे के खिलाफ आंदोलन के लिए लोग उतरते हैं मैदान में तो अधिकारियों के निर्देश पर आरपीएफ द्वारा मुकदमा कायम कर दिया जाता है।रेलवे एक और स्टॉपेज को लेकर इस बात का रोना रोती है कि एक स्टेशन पर ट्रेन को खड़े करने पर 25 हजार रुपए लगता है और स्टेशनों पर उतनी आय नहीं होती जिसके कारण स्टॉपेज नहीं दिए जा सकते।
लेकिन बड़े आश्चर्य की बात है की 18247/18248 बिलासपुर-रीवा-बिलासपुर ट्रेन का वाणिज्यिक स्टॉपेज अनूपपुर-शहडोल के मध्य छादा जैसे छोटे से स्टेशन पर है। उस स्टेशन का रिजर्वेशन भी होता है लेकिन उमरिया, बिरसिंहपुर पाली, नरोजाबाद, चंदिया, जैतहरी, वेंकटनगर जैसे बड़े स्टेशन पर उस ट्रेन का स्टॉपेज घोषित नहीं है।यह रेलवे की मनमानी नहीं तो क्या है।छादा स्टेशन पर कोई टिकट की बिक्री नहीं है लेकिन रेलवे ट्रेन का स्टॉपेज घोषित है यही नहीं इस स्टेशन का आरक्षण भी कराया जा सकता है और बड़े स्टेशनों में टिकट बिक्री का बहाना आड़े लाकर ट्रेन का स्टॉपेज बंद कर दिया गया जो न्यायोचित नहीं है।एक बार आवश्यकता है कि रेलवे के खिलाफ खासकर कर बिलासपुर जोन के खिलाफ उच्च न्यायालय में यही सब मुद्दों को लेकर याचिका दायर की जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा और सभी पूर्व के स्टॉपेज बहाल हो जाएंगे। एक बार जागरूकता दिखाने की जरूरत है रेल पटरी पर आने की कोई जरूरत नहीं।सामूहिक रूप से चंदा एकत्रित कर इनके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका को दायर कराए जाने की आवश्यकता है।

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