(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) गणेशोत्सव की धूम धाम के बीच जिले की पुष्पराजगढ़ जनपद के अंतर्गत स्थित ग्राम धरहरकला का प्राचीन गणेश मंदिर लोगों की विशेष आस्था का केंद्र बिंदु बना हुआ है।कलचुरी वंश कालीन श्री गणेश जी की यह प्रतिमा दक्षिणमुखी है।इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं। यहां प्रतिमा के हाथ में स्थित पात्र को फल या मिठाई से भरने से भगवान मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
पुष्पराजगढ़ तहसील मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम धरहरकला के घने जंगल के बीच श्री गणेश आश्रम में प्राचीन गणेश मंदिर स्थापित है।यहां स्थापित गणेश प्रतिमा सैकड़ों साल पुरानी व 8 फीट की है।एक मान्यता है कि अमरकंटक में मां नर्मदा की पूजा अर्चना करने का फल तभी मिलता है,जब वह धरहरकला के सिद्ध श्री गणेश आश्रम में जाकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते हैं।भक्तों व पुजारी का कहना है कि प्रतिमा का आकार धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है।
गौरी कुंड में 12 महीने
रहता है शीतल जल
पूर्व में यह मूर्ति यहां के जंगल में खुले आसमान के नीचे स्थापित थी, फिर गांव के लोगों और भक्तों ने मिलकर मूर्ति की सुरक्षा के लिए एक मंदिर का निर्माण कराया।मंदिर के आसपास भगवान शंकर, ब्रह्मा जी, विष्णुजी की कलचुरी कालीन प्रतिमाएं स्थापित हैं।गणेश मंदिर से पहले गौरी कुंड है। इसमें 12 महीने शीतल जल मौजूद रहता है।
मंदिर निर्माण के
समय झुकी प्रतिमा
मंदिर निर्माण के बारे में पुजारी कामता प्रसाद पांडे बताते हैं कि जब मंदिर का कायाकल्प हो रहा था तो मूर्ति के आसपास गड्ढा खोदकर कायाकल्प करना था।गड्ढे में पानी भरने के कारण मूर्ति झुक गई थी।मूर्ति को सीधा करने के लिए 20 से 25 मजदूर ने भरसक प्रयास किया,लेकिन मूर्ति सीधा नहीं कर पाए। दो दिन बाद प्रतिमा स्वत:सीधी हो गई। यह कैसे सीधी हो गई,ये किसी को नहीं पता है।इस मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।
पुष्पराजगढ़ तहसील मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम धरहरकला के घने जंगल के बीच श्री गणेश आश्रम में प्राचीन गणेश मंदिर स्थापित है।यहां स्थापित गणेश प्रतिमा सैकड़ों साल पुरानी व 8 फीट की है।एक मान्यता है कि अमरकंटक में मां नर्मदा की पूजा अर्चना करने का फल तभी मिलता है,जब वह धरहरकला के सिद्ध श्री गणेश आश्रम में जाकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते हैं।भक्तों व पुजारी का कहना है कि प्रतिमा का आकार धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है।
गौरी कुंड में 12 महीने
रहता है शीतल जल
पूर्व में यह मूर्ति यहां के जंगल में खुले आसमान के नीचे स्थापित थी, फिर गांव के लोगों और भक्तों ने मिलकर मूर्ति की सुरक्षा के लिए एक मंदिर का निर्माण कराया।मंदिर के आसपास भगवान शंकर, ब्रह्मा जी, विष्णुजी की कलचुरी कालीन प्रतिमाएं स्थापित हैं।गणेश मंदिर से पहले गौरी कुंड है। इसमें 12 महीने शीतल जल मौजूद रहता है।
मंदिर निर्माण के
समय झुकी प्रतिमा
मंदिर निर्माण के बारे में पुजारी कामता प्रसाद पांडे बताते हैं कि जब मंदिर का कायाकल्प हो रहा था तो मूर्ति के आसपास गड्ढा खोदकर कायाकल्प करना था।गड्ढे में पानी भरने के कारण मूर्ति झुक गई थी।मूर्ति को सीधा करने के लिए 20 से 25 मजदूर ने भरसक प्रयास किया,लेकिन मूर्ति सीधा नहीं कर पाए। दो दिन बाद प्रतिमा स्वत:सीधी हो गई। यह कैसे सीधी हो गई,ये किसी को नहीं पता है।इस मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।
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