(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) ग्राम पंचायत दैखल विकासखंड अनूपपुर में अनूपपुर कोतमा मार्ग में नेशनल हाईवे 43 के किनारे स्थित पहाड़ी पर सिद्ध बाबा धाम आस्था का केंद्र बिंदु बना हुआ है। सावन के माह में दूर-दूर से लोग शिवलिंग देखने लगभग 250 फीट ऊपर पहाड़ पर स्थित शिव मंदिर तक जाते हैं। सावन के पवित्र माह में यहां श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है। लगभग 250 फीट ऊंचे इस मंदिर में बच्चे, बुजुर्ग एवं महिलाएं सभी दर्शन करने के लिए आते हैं।
बाबा भोलेनाथ के मंदिर को लेकर ग्रामवासी बताते हैं कि यहां पर कई मान्यताएं हैं।यहां लोगों की मान्यताएं भी पूरी हुई हैं।ऐसे ही भक्त सुरेंद्र कुमार प्रजापति जो नेत्रहीन है।सुरेंद्र हरियाणा में एक कंपनी में नौकरी करते हैं।उन्होंने भोले बाबा की मंदिर में मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी होने पर सुरेंद्र अपने एक साथी के साथ ढाई सौ फीट ऊंचे भोलेनाथ के मंदिर में जल अर्पण किया। उन्होंने बताया कि जो भी मन्नत मैंने मांगी वह पूरी हुई हैं। इसके साथ ही कई भक्त हैं जिनके मन्नतें पूरी होने पर बाबा भोलेनाथ की मंदिर पर जल अर्पण करने आते हैं।श्रद्धालु यहां दूर-दूर से भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं। यह प्राचीन मंदिर सौ साल पुराना है। ऊंची पहाड़ी तक जाने के लिए श्रद्धालुओं को पैदल ही किसी तरह पहाड़ पर चढ़कर पहुंचना होता है। यहां श्रद्धा और उत्साह के साथ लोग पहाड़ की ऊंचाई पर पहुंचकर शिवलिंग के दर्शन व पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। अब तक यहां आने जाने के लिए कोई सीढ़ी या रास्ता नहीं बनाया गया है। बल्कि दुर्गम रास्ते से पहाड़ की चढ़ाई करते हुए लोग शिव मंदिर तक पहुंचते हैं।यहां स्थित आश्रम में एक कुआं है। पुजारी ने बताया कि इस कुएं का पानी कभी भी कम नहीं होता हैं। इस साल भीषण गर्मी पड़ने के बाद भी इस कुआं का पानी कम नहीं हुआ। मंदिर के पुजारी रामबाबा ने बताया कि लगभग 30 वर्ष पूर्व गांव में एक संत का आगमन हुआ था। जो तपस्या के लिए सिद्ध बाबा पहाड़ पर आसन लगाए थे। तपस्या स्थली पर जानकारी आसपास के ग्रामीणों को शिवलिंग दिखाई पड़ने पर इसकी प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर सिद्ध बाबा धाम में मेले का आयोजन होता है। मान्यता है कि महादेव के शिवलिंग के दर्शन के बाद श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है।
बाबा भोलेनाथ के मंदिर को लेकर ग्रामवासी बताते हैं कि यहां पर कई मान्यताएं हैं।यहां लोगों की मान्यताएं भी पूरी हुई हैं।ऐसे ही भक्त सुरेंद्र कुमार प्रजापति जो नेत्रहीन है।सुरेंद्र हरियाणा में एक कंपनी में नौकरी करते हैं।उन्होंने भोले बाबा की मंदिर में मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी होने पर सुरेंद्र अपने एक साथी के साथ ढाई सौ फीट ऊंचे भोलेनाथ के मंदिर में जल अर्पण किया। उन्होंने बताया कि जो भी मन्नत मैंने मांगी वह पूरी हुई हैं। इसके साथ ही कई भक्त हैं जिनके मन्नतें पूरी होने पर बाबा भोलेनाथ की मंदिर पर जल अर्पण करने आते हैं।श्रद्धालु यहां दूर-दूर से भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं। यह प्राचीन मंदिर सौ साल पुराना है। ऊंची पहाड़ी तक जाने के लिए श्रद्धालुओं को पैदल ही किसी तरह पहाड़ पर चढ़कर पहुंचना होता है। यहां श्रद्धा और उत्साह के साथ लोग पहाड़ की ऊंचाई पर पहुंचकर शिवलिंग के दर्शन व पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। अब तक यहां आने जाने के लिए कोई सीढ़ी या रास्ता नहीं बनाया गया है। बल्कि दुर्गम रास्ते से पहाड़ की चढ़ाई करते हुए लोग शिव मंदिर तक पहुंचते हैं।यहां स्थित आश्रम में एक कुआं है। पुजारी ने बताया कि इस कुएं का पानी कभी भी कम नहीं होता हैं। इस साल भीषण गर्मी पड़ने के बाद भी इस कुआं का पानी कम नहीं हुआ। मंदिर के पुजारी रामबाबा ने बताया कि लगभग 30 वर्ष पूर्व गांव में एक संत का आगमन हुआ था। जो तपस्या के लिए सिद्ध बाबा पहाड़ पर आसन लगाए थे। तपस्या स्थली पर जानकारी आसपास के ग्रामीणों को शिवलिंग दिखाई पड़ने पर इसकी प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर सिद्ध बाबा धाम में मेले का आयोजन होता है। मान्यता है कि महादेव के शिवलिंग के दर्शन के बाद श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है।
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