(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) नगरपालिका चुनाव को लेकर इन दिनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा-कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों की मुश्किलें निर्दलीय प्रत्याशियों या कहे कि उन्हीं पार्टियों के बागी उम्मीदवारों ने मुश्किलें बढ़ाने का काम कर दिया है।एक ओर जहां प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशी घर-घर जनसंपर्क और पार्टी के बैनर तले अपना भरोसा जताने का प्रयास कर रहे है।वहीं स्थानीय स्तर के इस चुनाव में मतदाता भी सामने वाले व्यक्ति के चेहरे और उसके व्यवहार को देखकर मत देने का मन बना रहे है। ऐसे में कई ऐसे निर्दलीय प्रत्याशी चेहरे है जो भाजपा-कांग्रेस से टिकिट ना मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में है और मतदाता उन प्रत्याशियों को ज्यादा पसंद करता नजर आ रहा है।देखा गया कि भाजपा एवं कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर टिकट बांटने वाले शुरू से ही विवादों से घिरे रहे।एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी में पुराने जमीनी कार्यकर्ताओं को मायूस करने का कार्य किया गया और पार्टी का पूरी तरह से कांग्रेसी करण करने की कोशिश की गई जिसमें कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल लोगों को प्राथमिकता के साथ टिकट दी गई।उसी प्रकार कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर होने पर टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष जहां किनारे हो गए वहीं जिला मुख्यालय की टिकट वितरण का कार्य कांग्रेश के कार्यवाहक अध्यक्ष के हाथों में चला गया।जिनके द्वारा अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा की गई उन्होंने स्वयं अपने टिकट के चक्कर में 15 वार्डों में मुसलमानों को टिकट देना उचित नहीं समझा।एक और कहा जाता है की मुसलमान सदैव से कांग्रेस के पक्षधर रहे हैं जबकि अनूपपुर जिला मुख्यालय में उल्टा हो गया। यहां पर भारतीय जनता पार्टी ने नगरपालिका के 15 वार्डों में दो मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया जिसकी घोषणा भी कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा के पूर्व हो चुकी थी।उसके बाद भी कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट नहीं देकर कांग्रेश के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया।देखा जा सकता है कि वार्ड नंबर 3 में अधिकांश मुस्लिम मतदाता है जहां पर 7 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं जिसमें भाजपा ने भी वार्ड नंबर 3 में एक टिकट दी वही 6 मुस्लिम उम्मीदवार निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ने के लिए चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।वहीं कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष ने वार्ड नंबर 3 से अपनी पत्नी को टिकट देकर मुस्लिम मतदाताओं को नाराज कर दिया।उसके बावजूद भी कांग्रेश के कानों में जूं नहीं रेंगी जिसका परिणाम मतगणना के साथ सामने आ जाएगा।भोपाल में बैठे कांग्रेश के हाईकमान जिला कांग्रेस अध्यक्ष को जिम्मेदारी न देकर कांग्रेस को गर्त में धकेल दिया।कांग्रेश के कुछ उम्मीदवार जो निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ने का मूड बना लिए थे उन्हें अंत समय में टिकट देकर कांग्रेस ने अपनी वफादारी निभा ली वही कांग्रेस में पूर्व में पार्षद रह चुके लोगों को टिकट न देकर कांग्रेस ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली।अनूपपुर जिला मुख्यालय की नगरपालिका की बात की जाए तो यह निश्चित है कि पसान, जैतहरी के बाद अनूपपुर में निर्दलीयों की भरमार रहेगी।वह निर्दलीय अधिकांश कांग्रेस एवं भाजपा के बागी उम्मीदवार ही होंगे जो पार्षद बनने के बाद अध्यक्ष के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेंगे।उस वक्त भाजपा और कांग्रेस को उन निर्दलीयों को मनाने के लिए शाम,दाम, दंड, भेद सब एक करना पड़ेगा।अगर टिकट वितरण का कार्य वास्तव में कांग्रेस एवं भाजपा के जिला अध्यक्ष के हाथों में होता तो निश्चित ही बगावत कम होती। लेकिन दूसरे हाथों में टिकट वितरण का कार्य चले जाने से बगावत दोनों ही पार्टियों में जमकर हो गई और दोनों ही पार्टियों के बागी उम्मीदवार चुनाव मैदान पर बराबर फाइट कर रहे हैं सभी का समीकरण निर्दलीय उम्मीदवारों ने बिगाड़ दिया है।कोई डंके की चोट पर यह नहीं कह सकता कि में चुनाव जीत रहा हूं।दोनों ही पार्टियों के अधिकृत उम्मीदवारों की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं।अब मतदान के बाद ही तस्वीर कुछ स्पष्ट होकर उभरेगी की मतदाता का रुख क्या रहा।
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