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अनूपपुर नगर पालिका वार्ड आरक्षण के बाद कुछ की बल्ले बल्ले तो कुछ का बिगड़ा पूरी तरह से समीकरण

 



(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) नगर पालिका चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है कम समय में चुनाव जीतना अब लोगों के लिए मुश्किल की घड़ी हो गई है।नगर पालिका के वार्ड आरक्षण के बाद स्थितियां परिस्थितियां पूरी तरह से बिगड़ गई हैं।    एक और तो कुछ लोगों की बल्ले बल्ले हो गई तो कुछ लोगों का गणितीय समीकरण पूरी तरह से बिगड़ गया।एक और जहां राज्यपाल से अध्यादेश को स्वीकृति मिलने के बाद पार्षद ही अपने बीच से अध्यक्ष का चुनाव करेगा निश्चित ही बहुत ही कठिन परीक्षा होगी।अब देखना होगा कि दोनों राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस और भाजपा कितने-कितने अपने पार्षदों को निर्वाचित करने में सफल हो पाती है।वही यह भी निश्चित है की अनूपपुर नगर पालिका चुनाव में इस बार निर्दलीय का खाता भी खुलेगा और उसकी भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी।नगर पालिका चुनाव के पूर्व शहर में चले अतिक्रमण हटाओ अभियान से लोगों में रोष है और पूरा रोष सत्तारूढ़ पार्टी के ऊपर जा रहा है कि उसका एक भी नेता आगे नहीं आया और प्रशासनिक स्तर पर अतिक्रमण हटाओ कार्यवाही चलती रही।निश्चित ही इसका असर नगर पालिका चुनाव में देखने को मिलेगा।क्योंकि यह चुनाव विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव से हटकर होना है पार्टी प्रत्याशी अवश्य अधिकृत होंगे लेकिन लोकल स्तर का प्रभाव ज्यादा मायने रखेगा।अब सबसे पहले तो महत्वपूर्ण पार्षदों का चयन करना है और उनकी जीत की संभावना नगरपालिका अनूपपुर का भविष्य तय करेगी।देखा जा रहा है कि वार्ड आरक्षण के बाद काफी नेताओं में मायूसी छा गई क्योंकि वार्ड आरक्षण ने उनका समीकरण पूरी तरह से गड़बड़ा दिया।काफी समय से लोग अपने अपने वार्ड को लेकर कार्य में लगे हुए थे लेकिन आरक्षण होने के बाद उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।अब देखना है कि कांग्रेश एवं भाजपा किस तरह के उम्मीदवार नगर पालिका क्षेत्र को देने जा रही है उनकी क्या छवि है यह आने वाले समय में स्पष्ट हो पाएगा।बाकी यह तय दिख रहा है चुनाव के पूर्व कि कुछ निर्दलीय उम्मीदवार पूरी दमदारी के साथ कांग्रेस और भाजपा को किनारे करते हुए अपना खाता खोलेंगे और फिर उनका समर्थन किस अध्यक्ष को मिल पाता है यह वक्त ही तय करेगा।

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