Anchadhara

अंचलधारा
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नर्मदा संरक्षण एवं अमरकंटक सौन्दर्यीकरण हेतु कुछ आवश्यक सुझावों पर हो कार्य-मनोज द्विवेदी

  

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) चिंतक एवं लेखक मनोज द्विवेदी ने अनूपपुर जिले के गौरव मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक को लेकर जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के समक्ष अपने कुछ आवश्यक सुझाव दिए थे एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को भी अपने सुझावों से अवगत कराया था उन्होंने लेख किया था कि नर्मदा संरक्षण एवं अमरकंटक सौन्दर्यीकरण हेतु कुछ आवश्यक सुझावों पर ध्यान केंद्रित किया जाए जिसमें प्रमुख है-नर्मदा मन्दिर से लेकर कपिलधारा तक दोनो ओर बाक्साईड पत्थर से पिंचिंग कराएं। कंक्रीट सड़कों के कारण जल संरक्षण प्रभावित हुआ है और गर्मी बढी है।गायत्री, सावित्री सरोवरों को अतिक्रमण मुक्त करके जल भराव एरिया बढा कर गहरीकरण करें।
यूकेलिप्टिस का उन्मूलन किया जाए। इसकी जगह बरगद, पीपल,आम, नीम, जामुन,अमरुद ,रुद्राक्ष ,नाशपाती, गुलबकावली के पौधे लगाए जाएं।नर्मदा परिक्रमा पथ का निर्माण प्राकृतिक हो कंक्रीट से नहीं । ( पेयजल,शौचालय सुविधा सहित )।पंचकोसी परिक्रमा पथ विकसित किया जाए।नर्मदा एक्सप्रेस वे कबीर चबूतरा से बढा कर राजेन्द्रग्राम तक ( 45 किलोमीटर) बढाया जाए।भुण्डाकोना घाट से लेकर कबीर चबूतरा मार्ग के दोनो ओर एवं नर्मदा तट,सरोवरों के तटों पर बोगेनवेलिया, गुलमोहर, गुलाब , डहेलिया सहित अन्य खुश्बूदार , फूलदार पौधे लगा कर सौन्दर्यीकरण किया जाए।अमरकंटक धार्मिक,पर्यटन नगरी होने के कारण आए दिन बडे आयोजन होते हैं। यहाँ उचित स्थल चयन करके सर्व सुविधायुक्त  पुलिस , कर्मचारियों को ठहराने के लिये बड़े - बड़े हाल और पत्रकार भवन बनाया जाए।नर्मदा उद्गम मन्दिर ट्रष्ट में सामाजिक संगठनों से जुड़े गैर सरकारी, गैर राजनैतिक निर्विवाद व्यक्तियों की सहभागिता बढाई जाए।अमरकंटक विकास प्राधिकरण को अधिकार संपन्न बना कर अमरकंटक,नर्मदा मन्दिर,नर्मदा के विकास , संरक्षण, रख रखाव के लिये जवाबदेह बनाया जाए।नगर परिषद को भंग किया जाए।अमरकंटक को फूलों की नगरी बनाया जाए। तत्कालीन कलेक्टर स्व. के.के. खरे ने अमरकंटक को झीलों की नगरी बनाया था। थोड़ा प्रयास करके , शायद कम बजट में अमरकंटक को बहुत ही सुन्दर स्वरुप दिया जा सकता है।

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