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आईजीएनटीयू में आयोजित कार्यक्रम में कुलपति ने कहा मीडिया, हताशा और निराशा दूर करने का माध्यम

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक की ओर से आयोजित एवं भारतीय सामाजिक अनुसन्धान परिषद, नई दिल्ली की ओर से प्रायोजित ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव- राष्ट्रवादी प्रेस एवं स्वतंत्रता आन्दोलन: विस्मृत संघर्ष, बलिदान एवं परिवर्तन’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने सर्वसम्मति से देश को आज़ाद कराने में पत्रकारिता की भूमिका और उसके महत्त्व को रेखांकित करते हुए पत्रकारिता के स्वर्णिम इतिहास के पुनर्पाठ को व्यापक रूप से संकलित और प्रचारित करने का आह्वान किया।संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने पत्रकारिता के महत्त्व को रेखांकित करते हुए पत्र-पत्रिकाओं के स्वर्णिम इतिहास और संपादकों के आज़ादी के लिए संघर्ष पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि मीडिया हताशा-निराशा दूर करने का माध्यम है।स्वाधीनता आन्दोलन रुपी समुद्र से निकले स्वतंत्रता सेनानियों के कार्य, बलिदान, पत्रकारिता एवं उनके अवदान को स्मृतियों में संजोये रखना तथा उनसे प्रेरणा लेना आज़ादी के अमृत महोत्सव का मूल ध्येय है।  उन्होंने आगे कहा कि अधिकांश पत्रकारों ने अधिवक्ता और शिक्षक की भूमिका का भी निर्वहन किया और आन्दोलन को गति देने का काम किया।उन्होंने वर्तमान समय में भी स्वाधीनता के लिए पत्रकारों के संघर्ष और पत्रकारिता द्वारा स्थापित मानदंडों को प्रासंगिक बताते हुए कहा कि वर्तमान समय में भी मीडिया उन मूल्यों से प्रेरणा लेकर राष्ट्रीयता के बोध के प्रसार एवं राष्ट्रप्रेम के भाव को लोगों के ह्रदय में सुस्थापित कर सकती है।कुलपति जी ने आगे कहा कि राष्ट्रवादी पत्रों ने प्रताड़नाएं सहीं, दंड सहे लेकिन पत्रकारिता के माध्यम से आन्दोलन की संस्कृति विकसित की।गुलामी के समय में पत्रकारिता ने राष्ट्र की सोई हुई आत्मा को जगाने का काम किया।उन्होंने कहा कि ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ एक अनूठा और आवश्यक कार्यक्रम है जो लोगों में देश की आज़ादी के इतिहास, राष्ट्र निर्माण के विविध पक्षों, राष्ट्र के विकास में पत्रकारिता एवं अन्य क्षेत्रों के योगदान को हमारी स्मृतियों में पुनः सजीव करेगा।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता तथा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा (राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान) एवं नेहरु ग्राम विद्यापीठ, प्रयागराज के पूर्व कुलपति प्रोफेसर राममोहन पाठक ने कहा कि देश की आज़ादी में पत्रकारिता का योगदान व्यापक और निर्णायक रहा है।उन्होंने आगे कहा कि पत्र-पत्रिकाओं, संपादकों, पत्रकारों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर आज़ादी के आन्दोलन को जन-जन तक पहुँचाया और इस तरह राष्ट्रीय चेतना का प्रसार किया। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ पत्रकारिता विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार उपाध्याय ने कहा कि आज़ादी की लड़ाई में पत्रकारिता के योगदान का समग्र मूल्याङ्कन अभी बाकी है।उन्होंने पत्रकारिता के विस्तृत इतिहास पर प्रकाश डालते हुए पत्रों और पत्रकारों के स्वाधीनता संघर्ष में योगदान को सामने रखा, उद्घाटन सत्र का संचालन अभिलाषा तिर्की, अथितियों का स्वागत संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो. मनीषा शर्मा एवं विषय स्थापना संगोष्ठी के संयोजक प्रो. राघवेन्द्र मिश्रा और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नागेन्द्र कुमार सिंह ने किया।समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए डीन, अकादमिक प्रो. अलोक श्रोत्रिय ने कहा कि देश की आज़ादी में पत्रकारिता का बड़ा योगदान है और राष्ट्र के हर कोने से, हर भाषा में प्रकाशित पत्रों ने आज़ादी के आन्दोलन को बल दिया।उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि संगोष्ठी के निष्कर्ष पत्रकारिता के इस अवदान के विविध पक्षों को सामने लाने का काम करेंगे।समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो.राममोहन पाठक, सारस्वत अतिथि प्रो.अनिल कुमार उपाध्याय, दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय मीडिया संकाय डीन प्रो. आतिश पाराशर, भारतीय सामाजिक अनुसन्धान परिषद के वित्त अधिकारी नरेश सैनी ने भी विषय के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला।सत्र का संचालन डॉ. वासु चौधरी एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. राघवेन्द्र मिश्रा ने किया। संगोष्ठी के आयोजक प्रो. राघवेन्द्र मिश्रा ने बताया कि इस दो दिवसीय अकादमिक विमर्श में बारह राज्यों के प्रतिनिधियों एवं विषय विशेषज्ञों ने भागीदारी की।कुल नौ तकनीकी सत्रों में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर पत्रकारिता विभागाध्यक्ष प्रो. धीरेन्द्र पाठक, गुरु गोविन्द विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से डॉ. सर्वेश त्रिपाठी, डॉ. दुर्गेश त्रिपाठी, भारतीय जनसंचार विभाग के सह-आचार्य डॉ. पवन कौंडल, महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा, डॉ. परमात्मा कुमार, नोएडा से प्रो. हरीश कुमार, नई दिल्ली से डॉ. रमेश कुमार शर्मा, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. रायपुर से डॉ. नरेन्द्र त्रिपाठी, पटना से शोभित सुमन, छिंदवाडा से अभिषेक कटियार, डॉ. देव ब्रत तिवारी, अरुण कुमार, कपिल प्रजापति, संध्या शर्मा, डॉ. साधना उपाध्याय सहित बड़ी संख्या में विषय विशेषज्ञों, शोधार्थियों आदि ने सहभागिता की।तकनीकी सत्रों में 43 शोध पत्रों का वाचन हुआ और 15 व्यख्यान आयोजित हुए।कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में प्रो.राघवेन्द्र मिश्रा द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘स्वतंत्रता आन्दोलन तथा राष्ट्रवादी प्रेस: विस्मृत संघर्ष, बलिदान और परिवर्तन’ का माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी जी एवं अन्य अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क कार्यालय द्वारा प्रकाशित साहित्य एवं विचार की ई-पत्रिका ‘उड़ान’ का भी माननीय कुलपति जी एवं अन्य अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया।उड़ान मासिक ई-पत्रिका है जिसमें रचनात्मक, विचारोत्तेजक, सूचनात्मक सामग्री संकलित, सम्पादित और प्रकशित की जाती है। 

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