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पर्यावरण के पांच बुनियादी तत्वों के संवर्धन और संरक्षण से हमारा अस्तित्व बचेगा-कुलपति श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंचलधारा)"परिचय, परिवेश एवं पर्यावरण हमारे जीवन में तीन महत्वपूर्ण शब्द हैं, हमारा परिचय हमारे कर्म हैं और हमारा परिवेश तभी सुरक्षित रहेगा जब हम प्राकृतिक पर्यावरण की सुरक्षा के लिए गंभीरता से प्रयास करेंगे। पांच महाभूत यानि अग्नि, जल, वायु, आकाश, और धरा हमारे पर्यावरण के पांच बुनियादी तत्व हैं जिनका संवर्धन और संरक्षण हम सबके अस्तित्व के लिए बहुत आवश्यक है। प्लास्टिक हमारे साथ-साथ पशु-पक्षियों, वन-वनस्पतियों, वायुमंडल सभी के लिए हानिकारक है जिसे हमको समझना होगा और इससे बचने का प्रयास करना होगा।" उक्त उद्गार इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति  प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी ने राष्ट्रीय सेवा योजना की विश्वविद्यालय इकाई द्वारा प्लास्टिक हटाइए, पर्यावरण बचाइए अभियान का शुभारम्भ करते हुए अभिव्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करना जीवन और प्रकृति के अस्तित्व और विस्तार के लिए जरूरी है अतः हमें प्लास्टिक का परित्याग करने का कदम उठाना चाहिए। उन्होंने भारत सरकार द्वारा अगले वर्ष से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर लगने वाले प्रतिबन्ध का स्वागत करते हुए कहा कि हमको अपने व्यवहार में अभी से इसका अनुपालन शुरू कर देना चाहिए। कुलपति जी ने लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि हमको प्लास्टिक जैसी समस्या से मुक्ति का प्रयास अपने घर से शुरू कर देना चाहिए क्योंकि व्यक्तिगत प्रयास मिलकर एक रचनात्मक आन्दोलन का रूप लेते हैं। 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रीशील मण्डल की अध्यक्ष और विश्वविद्यालय के कुलपति  प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी की धर्मपत्नी श्रीमती शीला त्रिपाठी ने कहा कि "प्लास्टिक से मुक्ति का उपाय हमारा प्रकृति से साहचर्य बढ़ाने में निहित है, उन्होंने आगे कहा कि अगर हम अपने घरों में, अपने आयोजनों में प्लास्टिक के कप-गिलास, प्लेट का इस्तेमाल करने की जगह पत्तों आदि से बनी चीजों का इस्तेमाल करेंगे तो इससे पर्यावरण भी प्लास्टिक मुक्त होगा और हमारे बहुत से ग्रामीण, आदिवासी बंधुओं को रोज़गार भी मिलेगा।" 

कार्यक्रम में अभियान की रूपरेखा बताते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक प्रोफेसर राघवेन्द्र मिश्रा ने बताया कि इस अभियान के तीन हिस्से हैं जिनमें से एक में स्वयंसेवकों से उनके आस-पास जागरूकता सम्पर्क किया जाएगा, दूसरा, अपशिष्ट से उत्कृष्ट के नारे के साथ लोगों से पुराने कपड़े संग्रहित कर उससे झोला बनाकर इस आग्रह के साथ दिया जाएगा कि वह बाज़ार से किराना, सब्जी आदि लाने के लिए प्लास्टिक के बजाय झोले का उपयोग करें। इसके अतिरिक्त विभिन्न बाज़ारों जिसमें राजेन्द्रग्राम, अमरकंटक, गौरेला आदि शामिल हैं वहां राष्ट्रीय सेवा योजना का दल जाकर जागरूकता अभियान चलाएगा और लोगों को उत्प्रेरित करने हेतु प्रचार सामग्री प्रदान करेगा। इस अवसर पर अभियान हेतु तैयार स्टीकर का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम में लोगों के पुराने कपड़ों से बने झोलों का वितरण भी किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री पी. सिलुवानाथन, कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र शिंह भदौरिया, पत्रकारिता एवं जनसंचार एवं वोकेशनल एजुकेशन संकाय प्रमुख प्रो. मनीषा शर्मा, शिक्षा संकाय प्रमुख प्रो. नागराजू, प्रो. जितेन्द्र शर्मा, प्रो. घनश्याम शर्मा, प्रोफेसर तरुण ठाकुर, प्रोफेसर जीएस राउत, डॉ. ललित कुमार मिश्रा, डॉ. गौरीशंकर महापात्र, डॉ. गोविन्द मिश्रा, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. ऋषि पालीवाल, डॉ. अवनीश शुक्ल, डॉ. प्रणय सोनी, डॉ. अखिलेश, डॉ. शिल्पी श्रीवास्तव, डॉ. कृष्णमूर्ति, सुश्री अभिलाषा, डॉ. बसंती साहू विनोद वर्मा, हरीश कुमार, राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारीगण डॉ. अभिषेक बंसल, डॉ. शिवाजी चौधरी, डॉ. कुमकुम कस्तूरी, डॉ. राघव प्रसाद परुआ, डॉ. कृष्ण मुरारी सिंह, श्रीमती कीर्ति सहित बड़ी संख्या में अध्यापक, शोधार्थी एवं अन्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ. कुंजबिहारी सुलखिया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. देवी प्रसाद सिंह ने किया।

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