(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रीशील मण्डल की अध्यक्ष और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी की धर्मपत्नी श्रीमती शीला त्रिपाठी ने कहा कि "प्लास्टिक से मुक्ति का उपाय हमारा प्रकृति से साहचर्य बढ़ाने में निहित है, उन्होंने आगे कहा कि अगर हम अपने घरों में, अपने आयोजनों में प्लास्टिक के कप-गिलास, प्लेट का इस्तेमाल करने की जगह पत्तों आदि से बनी चीजों का इस्तेमाल करेंगे तो इससे पर्यावरण भी प्लास्टिक मुक्त होगा और हमारे बहुत से ग्रामीण, आदिवासी बंधुओं को रोज़गार भी मिलेगा।"
कार्यक्रम में अभियान की रूपरेखा बताते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक प्रोफेसर राघवेन्द्र मिश्रा ने बताया कि इस अभियान के तीन हिस्से हैं जिनमें से एक में स्वयंसेवकों से उनके आस-पास जागरूकता सम्पर्क किया जाएगा, दूसरा, अपशिष्ट से उत्कृष्ट के नारे के साथ लोगों से पुराने कपड़े संग्रहित कर उससे झोला बनाकर इस आग्रह के साथ दिया जाएगा कि वह बाज़ार से किराना, सब्जी आदि लाने के लिए प्लास्टिक के बजाय झोले का उपयोग करें। इसके अतिरिक्त विभिन्न बाज़ारों जिसमें राजेन्द्रग्राम, अमरकंटक, गौरेला आदि शामिल हैं वहां राष्ट्रीय सेवा योजना का दल जाकर जागरूकता अभियान चलाएगा और लोगों को उत्प्रेरित करने हेतु प्रचार सामग्री प्रदान करेगा। इस अवसर पर अभियान हेतु तैयार स्टीकर का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम में लोगों के पुराने कपड़ों से बने झोलों का वितरण भी किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री पी. सिलुवानाथन, कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र शिंह भदौरिया, पत्रकारिता एवं जनसंचार एवं वोकेशनल एजुकेशन संकाय प्रमुख प्रो. मनीषा शर्मा, शिक्षा संकाय प्रमुख प्रो. नागराजू, प्रो. जितेन्द्र शर्मा, प्रो. घनश्याम शर्मा, प्रोफेसर तरुण ठाकुर, प्रोफेसर जीएस राउत, डॉ. ललित कुमार मिश्रा, डॉ. गौरीशंकर महापात्र, डॉ. गोविन्द मिश्रा, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. ऋषि पालीवाल, डॉ. अवनीश शुक्ल, डॉ. प्रणय सोनी, डॉ. अखिलेश, डॉ. शिल्पी श्रीवास्तव, डॉ. कृष्णमूर्ति, सुश्री अभिलाषा, डॉ. बसंती साहू विनोद वर्मा, हरीश कुमार, राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारीगण डॉ. अभिषेक बंसल, डॉ. शिवाजी चौधरी, डॉ. कुमकुम कस्तूरी, डॉ. राघव प्रसाद परुआ, डॉ. कृष्ण मुरारी सिंह, श्रीमती कीर्ति सहित बड़ी संख्या में अध्यापक, शोधार्थी एवं अन्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ. कुंजबिहारी सुलखिया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. देवी प्रसाद सिंह ने किया।
0 Comments