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विश्वविद्यालय में सदृश्य चिकित्सा पद्धति से निरोग्यता का सपना साकार होगा है-प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (ब्यूरो) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक मैं सदृश्य चिकित्सा पद्धति (होम्योपैथिक) एवं योग्य आरोग्यता केंद्र का उद्घाटन करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी ने अपने उद्बोधन में कहा "कि आज अत्यंत हर्ष का विषय है कि आज हमारे विश्वविद्यालय में तीनों तरह की चिकित्सा पद्धति का समावेश हो गया है, एलोपैथी और आयुर्वेद के बाद अब होम्योपैथी, जिसे हम सदृश्य चिकित्सा पद्धति भी कहते हैं। यह सदृश्य चिकित्सा पद्धति

सनातन परंपरा के अनुरूप है जिसका मुख्य ध्येय मनुष्यता की रक्षा करना है। अपनी बात को स्पष्ट करते हुए महाभारत के एक प्रसंग को उद्धृत करते हुए आपने कहा कि विदुर ने महाराज धृतराष्ट्र को सुखी रहने के लिए छ: उपाय बताए उसमें से दूसरा उपाय शारीरिक निरोग का था। निरोग्य रहने के लिए आज तो ये ध्येय वाक्य बन गया है कि 'योग भगाए रोग'। आज मनुष्य को 3 शब्दों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए - निदान, निवारण और निवृत्ति निदान शब्द का सीधा संबंध चिकित्सक से जबकि निवारण का संबंध औषधि से और निवृत्ति का संबंध व्यक्ति विशेष के मन से है। आज मैं पूरे मनोयोग के साथ कह सकता हूं कि अब मेरे विश्वविद्यालय में निरोग्यता का सपना साकार होगा। वैसे भी कोरोना की भयावह स्थिति पुनः निर्मित हो रही है ऐसे में विभिन्न चिकित्सा पद्धति और चिकित्सक हमें सुरक्षित रख सकते हैं। अत: विश्वविद्यालय को इन की महती आवश्यकता है जो आने वाले समय में सदृश चिकित्सा पद्वति के माध्यम से फलीभूत होगी ऐसा मुझे विश्वास है।"
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में पधारे डॉक्टर देवेंद्र मरकाम (पेशे से चिकित्सक एवं मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य) ने सदृश चिकित्सा पद्वति का उद्घाटन करते हुए कहा कि "आज का दिन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है साथ ही मेरे लिए भी अत्यंत गौरव का विषय है क्योंकि मैं स्वयं एक डॉक्टर हूँ। आज विश्वविद्यालय में सदृश चिकित्सा पद्वति के  माध्यम से ईश्वर के तीनों रूप ब्रह्मा, विष्णु, महेश अवतरित हो गए हैं। इसके लिए कुलपति सहित आपका पूरा विश्वविद्यालय बधाई का पात्र है।"
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी की धर्मपत्नी एवं श्रीशील मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती शीला त्रिपाठी द्वारा सदृश चिकित्सा पद्धति का उद्घाटन करते हुए कहा कि "आज अत्यंत हर्ष का विषय है की सदृश चिकित्सा पद्धति का उद्घाटन ऐसे समय में हो रहा है जबकि कोरोना के नए-नए वायरस सामने आ रहे हैं। सदृश चिकित्सा पद्धति इस क्षेत्र के लिए अत्यंत उपयोगी है, क्योंकि इस  क्षेत्र में चिकित्सा एवं चिकित्सक का अभाव बना रहता है। ऐसे में सदृश चिकित्सा पद्धति विश्वविद्यालय के लिए चिकित्सा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। अमूमन देखने में आता है कि इस क्षेत्र में बालों की समस्या त्वचा व याददाश्त के साथ-साथ कई छोटी-बड़ी बीमारियां है, जिनका लोगों को पता ही नहीं है इसके लिए होम्योपैथी वरदान साबित होगी ऐसा मेरा विश्वास है।"
कार्यक्रम की शुरुआत परीक्षा नियंत्रक डॉ. एच. एन. एस. मूर्ति द्वारा कि गई उन्होंने सदृश चिकित्सा पद्धति के विषय में विस्तार से अपनी बात रखी और बताया कि यहाँ प्रतिदिन सदृश चिकित्सा पद्धति का लाभ लिया जा सकता है।
वही सदृश चिकित्सा विभाग की कमान सम्हालते हुए डॉक्टर ह्रदय राम पांडेय सहायक आचार्य, योग विभाग) विभाग से संबंधित हैं उन्होंने सदृश चिकित्सा पद्धति को सरल शब्दों में समझाया और बताया कि यहाँ परामर्श, औषधि वितरण एवं योग की व्यवस्था है जो हमको निरोग्यता प्रदान करेगी। कार्यक्रम में विश्विद्यालय के शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक अधिकारी एवं कर्मचारीगणों के साथ-साथ उनके परिवारजन इसका हिस्सा बने।

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