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राष्ट्रीय सेवा योजना ‘मैं’ नहीं ‘हम’ के निर्माण का सन्देश देती है -श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी

 

आईजीएनटीयू में राष्ट्रीय 
सेवा योजना स्थापना दिवस पर उद्गार
(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) राष्ट्रीय सेवा योजना मैं नहीं हम के निर्माण का सन्देश देती है और इस भाव से ओतप्रोत स्वयंसेवक राष्ट्र के निर्माण में महती योगदान देते हैं। महात्मा गाँधी ने युवाओं के लिए रचनात्मकता और समाजोपयोगी जो जीवन पथ प्रशस्त किया राष्ट्रीय सेवा योजना उस पथ पर युवाओं को ले चलने का काम कर रही है। उक्त उद्गार इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने राष्ट्रीय सेवा योजना स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित प्रमाणपत्र वितरण समारोह में अभिव्यक्त किये। उन्होंने आगे कहा कि पांच मूलमंत्र गांधीवादी चिंतन से निकले हैं जो राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से युवाओं के लिए प्रेरणा देने का काम करते हैं। सफाई के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कुलपति जी ने कहा कि यह महान कार्य है और इससे जुड़े लोगों का सम्मान करना चाहिए | सेवा और समरस समाज के निर्माण का भाव राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से विकसित होता है, संवेदनशीलता का गुण भी स्वयंसेवकों की पहचान है और यह लोगों के प्रति सेवा का भाव, जुड़ने का भाव पैदा करती है, उन्होंने परिश्रम की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि परिश्रम में सेवा, संवेदना, सहयोग सभी सम्मिलित हैं,  उन्होंने स्वयंसेवकों को प्रकृति की रक्षा, औरों को बड़ा बनाने की तत्परता, बिना संकोच और आलोचना के सेवा के संकल्प का मन्त्र दिया है। इस अवसर पर सारस्वत अतिथि के रूप में बोलते हुए डीन अकादमिक प्रोफेसर आलोक श्रोत्रिय ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना संकट के काल में भी जिस तरह से युवाओं को तरंगित कर रही है वह प्रशंसनीय है। विद्यार्थियों की अतुलनीय उर्जा को सही दिशा देने का काम राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को एनएसएस से सीखे मूल्यों को समाज के लिए उपयोग में लाने का सन्देश दिया। इससे पूर्व कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक प्रोफेसर राघवेन्द्र मिश्र ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई सामुदायिक सेवा के माध्यम से समाज के लिए समर्पित युवाओं को तैयार करने के लिए कृतसंकल्प है। कुलपति जी ने इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना की ओर से आज़ादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत अगस्त माह में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं का परिणाम भी घोषित किया और सभी प्रतिभागियों और विजेताओं को बधाई दी। कार्यक्रम में कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र सिंह भदौरिया, डीन, ट्राइबल स्टडीज प्रोफेसर पी.के. शामल, डीन, पत्रकारिता एवं जनसंचार प्रोफेसर मनीषा शर्मा, डॉ. गोविन्द मिश्र, डॉ. गौरी शंकर महापात्र, डॉ. उदय सिंह राजपूत, डॉ. एसके बेहरा, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. राकेश सोनी, डॉ. कृष्णमुरारी सिंह, डॉ. नरसिंह कुमार, डॉ. प्रवीण गुप्ता, डॉ. सतीश मोदी, डॉ. संजोय सिंह, श्री राजेश कुमार, डॉ. बसंती साहू, डॉ. कृष्णामूर्ति बी.वाई., अवकाश गर्ग, डॉ. राहुल सिंह राजपूत, दीक्षा सिंघल, डॉ. अभिषेक कुमार मौर्या, एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी गण सर्वश्री डॉ. अभिषेक बंसल, डॉ. शिवाजी चौधरी, डॉ. रामभूषण तिवारी, डॉ. देश दीपक चौधरी, डॉ. राघव प्रसाद परुआ, डॉ. देवी प्रसाद सिंह, डॉ. कुमकुम कस्तूरी, डॉ. कृष्णामणि भगबती सहित शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारीगण एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों ने सहभागिता की, कार्यक्रम का संचालन डॉ. देवेन्द्र कुमार सिंह ने किया।
उक्त कार्यक्रम के बाद राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन ने सत्याग्रह, सहिष्णुता, उत्सर्ग, समन्वय, सत्यनिष्ठा के मूल्य दिए हैं। आज हमारी आवश्यकता सहिष्णुता और बंधुत्व के भाव को जागृत करना है जिसे पूरा करने में राष्ट्रीय सेवा योजना की बड़ी भूमिका है। हमको अपने देश को ज्ञान की महाशक्ति बनाना है। हमारी संस्कृति लोगों को जोड़ने का काम करती है। भाषा इसमें बड़ा कारक है और यही कारण है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति समन्वय और स्वभाषा पर बल देती है, आज हमारी लोकतान्त्रिक संस्थाएं बहुत अच्छा काम कर रही हैं। युवा परिवर्तन का वाहक होता है। सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनितिक हर तरह के बदलाव को दिशा युवा ही देता है। आज विकास के लिए जिस जनजागृति को जोड़ने की जरूरत है और युवाओं को जिस दिशा पर चलने की जरूरत है उसे राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के निदेशक प्रोफेसर संजीत कुमार गुप्ता ने कहा कि महात्मा गाँधी के मूल्य राष्ट्रीय सेवा योजना के उद्देश्यों को परिभाषित करने का काम करते हैं। समन्वय, समभाव और सेवा के गांधीवादी मूल्यों ने राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से युवाओं को दिशा देने का काम किया है, आज सामुदायिक सेवा के माध्यम से राष्ट्र के निर्माण में राष्ट्रीय सेवा योजना जो अवदान कर रही है उसमें गाँधी जी की दृष्टि साफ़ नज़र आती है,उन्होंने आगे कहा कि संस्कृति और समाज को जगाने की जरूरत है जिसमें राष्ट्रीय सेवा योजना बड़ा योगदान कर सकती है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रामभूषण तिवारी ने किया। अतिथियों का स्वागत राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक प्रोफेसर राघवेन्द्र मिश्र ने और धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. कुमकुम कस्तूरी ने किया।

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