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मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने की निर्धनों के कल्याण से संबंधित विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की कि समीक्षा

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंचलधारा) खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने अंतर्विभागीय (गरीब कल्याण) मंत्री-समूह के अंतर्गत निर्धनों के कल्याण से संबंधित विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा की। समीक्षा बैठक में महिला-बाल विकास, पर्यटन, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विभाग, रेशम पालन, तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा निर्धनों के कल्याण के लिये विभागीय योजनाओं की बिन्दुवार जानकारी दी।

मछुआ कल्याण एवं 
क्रेडिट कार्ड योजना


मंत्री श्री सिंह ने कहा कि कोयला खदानों से कोयला निकलने के बाद पानी भरे गड्ढों में मछली-पालन किया जाये। इसके लिये स्थानीय लोगों की समिति बनाकर महिलाओं को मछली-पालन का काम सौंपा जाये। बैठक में बताया गया कि मार्च माह में 2.40 लाख टन के विरुद्ध 2.48 लाख टन यानि 100 प्रतिशत से अधिक मत्स्य उत्पादन किया गया। मंत्री श्री तुलसी सिलावट ने कहा कि मछुआ भाइयों को अधिक से अधिक क्रेडिट कार्ड वितरित कर उन्हें आत्म-निर्भर बनाया जाये। उन्होंने कहा कि इस योजना के प्रारंभ में अभी तक 78 हजार 628 मछुआरों को मछुआ क्रेडिट कार्ड वितरित किये गये हैं। इसके अलावा 11 हजार 883 किसान क्रेडिट कार्ड भी प्रदान किये गये।

पी.एम. मत्स्य 
सम्पदा योजना


बैठक में बताया गया कि मत्स्य पालन के क्षेत्र में युवाओं को रोजगार प्रदान करने की दृष्टि से पंचवर्षीय प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना लागू की गई। इसमें केन्द्र एवं राज्य शासन द्वारा 20 हजार 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। योजना का मुख्य उद्देश्य मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाना है, जिससे मत्स्य पालकों की आय दोगुनी हो सकेगी।

किसान क्रेडिट 
कार्ड योजना


मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने की दृष्टि से किसान क्रेडिट कार्ड योजना में मछली पालन को भी शामिल किया गया है। इसमें मत्स्य उत्पादन, मत्स्य बीज संवर्धन, पंगेशियस पालन, केज कल्चर, सिंचाई तालाबों को पट्टा, नाव, जाल क्रय के लिये, आरएएस एवं बॉयोफलाक योजना के तहत 41.77 लाख प्रतिवर्ष आवर्ती व्यय किया गया।

लाड़ली लक्ष्मी 
योजना का क्रियान्वयन


महिला-बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव अशोक शाह ने बताया कि 100 प्रतिशत राज्य पोषित लाड़ली लक्ष्मी योजना का उद्देश्य बालिका के जन्म के प्रति सकारात्मक सोच, बाल विवाह में कमी एवं बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सुधार एवं शत-प्रतिशत स्कूल में प्रवेश दिलाना है। इसके तहत कक्षा-6वीं में 2000, कक्षा-9वीं में 4 हजार तथा कक्षा-11वीं एवं 12वीं में 6000 रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। इसके अंतर्गत 136 करोड़ की राशि छात्रवृत्ति के रूप में वितरित की गई।
खाद्य मंत्री श्री सिंह ने कहा कि आँगनवाड़ी योजना विभाग की मुख्य योजनाओं में से एक है और आँगनवाड़ियाँ बहुत अच्छा काम भी कर रही हैं। जहाँ आँगनवाड़ियों के लिये भवन नहीं हैं, वहाँ भवन के लिये प्रस्ताव तैयार करें। इसके अंतर्गत 6 वर्ष से कम बच्चों, गर्भवती माताओं को पूरक पोषण आहार, स्वास्थ्य की जाँच, संदर्भ सेवाएँ, टीकाकरण, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा तथा शाला पूर्व अनौपचारिक शिक्षा के साथ कैलोरी युक्त भोजन एवं नाश्ते का प्रावधान भी रखा गया है।

पी.एम. मातृ 
वंदना योजना


पी.एम. मातृ वंदना योजना प्रदेश के सभी जिलों में लागू की गई है। इसके अंतर्गत गर्भवती माताओं को कुल 5 हजार रुपये की राशि 3 किस्तों में प्रदान की जाती है। इसके अंतर्गत अभी तक 23 लाख 58 हजार 731 हितग्राहियों को 995.08 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। देश में इस योजना को लागू करने में मध्यप्रदेश प्रथम स्थान पर है। इसके अलावा शौर्या दल, वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन-181, मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना, कामकाजी महिला वसंती गृह, स्वाधार गृह जैसी अनेक योजनाएँ महिलाओं एवं बेटियों के हित में चलाई जा रही हैं।

होम स्टे में निर्धनों 
को मिले भागीदारी


प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में निर्धनों एवं गरीब तथा आरक्षित वर्ग की भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से होम स्टे जैसी योजनाओं में उन्हें भागीदारी दी जाये। पर्यटन स्थलों पर स्थानीय लोगों को पर्यटन के होटल्स में रोजगार दिये जाने के प्रयास करें। स्थानीय युवाओं को गाइड एवं वेटर के कार्य का प्रशिक्षण दिया जाये, जिससे वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें। पर्यटन स्थलों पर युवाओं को चाय-नाश्ते की दुकानें खोलने की अनुमति प्रदान करें।

रेशम एवं कुटीर के क्षेत्र 
में दें युवाओं को रोजगार


आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के तहत प्रदेश के युवाओं को रेशम एवं टसर के काम से जोड़ने के लिये उन्हें रेशम उत्पादन का प्रशिक्षण दें। आयुक्त रेशम ने बताया कि मलबरी धागाकरण के लिये 450 रुपये प्रति किलोग्राम रेशम धागा उत्पादन पर दिया जाता है। इस वर्ष धागाकरण कार्य में लगभग 290 महिला हितग्राही लाभान्वित हुईं। प्रदेश में मलबरी ककून के धागाकरण के लिये विदिशा, गुना, बालाघाट, शहडोल, मण्डला और बैतूल जिलों में एक-एक इकाई तथा नरसिंहपुर और होशंगाबाद में 3 इकाई स्थापित हैं।
आयुक्त रेशम ने बताया कि इस वर्ष 1.60 लाख किलोग्राम ककून से 16 हजार किलोग्राम धागा उत्पादन किया जायेगा। इसके साथ ही 10.48 लाख नग टसर ककून का उपयोग कर 100 प्रतिशत यानि 873 किलोग्राम धागा उत्पादित किये जाने का लक्ष्य है।

87 हजार 770 
लोगों को मिला रोजगार


बैठक में बताया गया कि विभाग के अधीन आईटीआई में कॅरियर एवं प्लेसमेंट, 122 प्लेसमेंट ड्राइव का आयोजन कर 5 हजार 906 युवाओं को कम्पनियों द्वारा चयनित किया गया, लॉकडाउन में 308 आईटीआई उत्तीर्ण छात्रों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। साथ ही रोजगार मेलों में 82 हजार 556 आवेदकों को ऑफर लेटर प्रदान किये गये।
तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में आईटीआई में अनुसूचित जाति-जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के बच्चों को प्रोत्साहन देने के लिये ट्यूशन, एक्जाम फीस एवं छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। प्रदेश में 6 आईटीआई संचालित हैं, जिनमें अनुसूचित जाति-जनजाति के प्रशिक्षणार्थियों को एक हजार रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति एवं नि:शुल्क छात्रावास एवं भोजन सुविधा उपलब्ध है। विभाग के अंतर्गत मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन, मुख्यमंत्री जन-कल्याण शिक्षा प्रोत्साहन, मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना पिछले 4 वर्षों से संचालित की जा रही हैं। तकनीकी शिक्षा एवं कौशल के क्षेत्र में तकनीकी प्रशिक्षण के लिये 10 संभागीय आईटीआई के निर्माण का कार्य मार्च-2022 तक पूर्ण कर लिया जायेगा। रोजगार एवं स्व-रोजगार की दर को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। संकल्प योजना के अंतर्गत जिला स्तर पर स्किल गेप स्टडी पूर्ण कराई जायेगी।

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