राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के
1 वर्ष पूरे पीएम ने दिया संबोधन
(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सुधारों के एक साल पूरे होने के अवसर पर कहा कि शिक्षा नीति को हर तरह के दबाव से मुक्त रखा गया है। जो खुलापन नीति के स्तर पर है, वही खुलापन छात्रों को मिल रहे विकल्पों में भी है। अब छात्र कितना पढ़ें, कितने समय तक पढ़ें, ये सिर्फ संस्थाएं तय नहीं करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों में हिंदी समेत 5 भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं।
भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के ‘महायज्ञ’ में बड़े तत्वों में से एक है और यह युवाओं को विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके हौसलों के साथ है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को केंद्रीय मंत्रिमंडल की तरफ से मंजूरी दिए जाने के एक साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री ने ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’, क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग कार्यक्रम और उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए दिशानिर्देश सहित शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कई कार्यक्रमों की शुरुआत भी की।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री माननीय धर्मेंद्र प्रधान, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री, राज्यपाल और उपराज्यपाल, विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षा व कौशल विकास के क्षेत्र से जुड़े देश भर के नीति निर्माता, छात्र और शिक्षक के साथ-साथ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी, कुलसचिव श्री पी. सिलुवैनाथन, अधिष्ठाता (अकादमिक) प्रो. आलोक श्रोत्रिय, अधिष्ठाता प्रो. ए. के. शुक्ल, अधिष्ठाता प्रो. भूमिनाथ त्रिपाठी, अधिष्ठाता प्रो. पी.के. सामल, वित्त अधिकारी श्री ए.जेना सहित विश्वविद्यालय के आधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष एवं अन्य गणमान्य सदस्यों द्वारा अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ऐसे समय में आई है जब देश आजादी के 75 वर्ष का अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का इंप्लीमेंटेशन आजादी के अमृत महोत्सव का प्रमुख हिस्सा बन गया है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक साल पूरा होने पर सभी देशवासियों और विद्यार्थियों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने में संबंधित हितधारकों ने बहुत मेहनत की है।
’भविष्य में हम कितना आगे जाएंगे, कितनी ऊंचाई प्राप्त करेंगे, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में, यानी आज कैसी शिक्षा दे रहे हैं, उन्हें हम कैसी दिशा दे रहे हैं। मैं मानता हूं भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में बड़े कारकों में से एक है।’
‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवाओं को यह विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौसलों के साथ है।’ उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का युवा अपनी दुनिया खुद अपने हिसाब से बनाना चाहता है, वह मौका चाहता है और पुराने बंधनों व पिंजरों से मुक्ति चाहता है। देश ने दशकों से ये माहौल देखा है जब समझा जाता था कि अच्छी पढ़ाई करने के लिए विदेश ही जाना होगा। उन्होंने कहा, ‘लेकिन अच्छी पढ़ाई के लिए विदेशों से छात्र भारत आयें... सर्वश्रेष्ठ संस्थान भारत आयें... यह अब हम देखने जा रहे हैं।’
प्रधानमंत्री ने जिन अन्य पहलों की शुरुआत की उनमें ग्रेड 1 के छात्रों के लिए तीन महीने का नाटक आधारित स्कूल तैयारी मॉड्यूल ‘विद्या प्रवेश’, माध्यमिक स्तर पर एक विषय के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए तैयार किए गए एकीकृत कार्यक्रम निष्ठा 2.0, सफल (सीखने के स्तर के विश्लेषण के लिए संरचित मूल्यांकन), सीबीएसई स्कूलों में ग्रेड 3, 5 और 8 के लिए एक योग्यता आधारित मूल्यांकन ढांचा और पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समर्पित एक वेबसाइट शामिल हैं।उन्होंने कहा, ‘आज शुरु हुई योजनाएं नए भारत के निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगी।’
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और 34 वर्षीय पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जगह लाई गई है।
सबके लिए आसान पहुंच, इक्विटी, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों पर निर्मित यह नई शिक्षा नीति सतत विकास के लिए एजेंडा 2030 के अनुकूल है। इसका उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों के अनुकूल स्कूल और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र, लचीला बनाते हुए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलना तथा प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना है।
यह ध्यान देने योग्य है, कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को पिछले साल 29 जुलाई को प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। इस नीति में शिक्षा की पहुंच, समता, गुणवत्ता, वहनीयता और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
कार्यक्रम समाप्ति पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्विद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है और इसे सत्र 2021-22 से विश्वविद्यालय में लागू किया जाएगा।
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