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मानव सभ्यता को बचाने के लिए प्रकृति का संरक्षण आवश्यक तुलसी महावि.राष्ट्रीय वेबिनार में डॉ.अमिताभ पाण्डेय के विचार

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो) 

अनूपपुर (अंचलधारा) मानव सभ्यता को बचाने के लिए प्रकृति का संरक्षण आवश्यक है इसके लिए सभी को ध्यान देना चाहिए उक्त आशय के विचार शासकीय अग्रणी तुलसी महाविद्यालय, अनूपपुर द्वारा 22 अप्रैल 2021 को विश्व वसुंधरा दिवस के अवसर पर 'भारतीय चिंतन में प्रकृति और पर्यावरण' विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित ख्यातिलब्ध अंतरिक्ष एवं खगोल वैज्ञानिक डॉ. अमिताभ पाण्डेय ने उक्त विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि किस प्रकार पृथ्वी की उत्पत्ति आज से लगभग साढ़े चार अरब वर्ष पूर्व हुई और धीरे-धीरे विभिन्न जीवों का विकास हुआ।मानव जीवन भी उद्विकास के विभिन्न चरणों से गुजरते हुए वर्तमान अवस्था तक पहुँचा।कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट वक्ता उपस्थित डॉ. ईश्वर सिंह 'दोस्त' वरिष्ठ फेलो आई.सी.एस.एस.आर. ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापन जैसे अत्यंत संवेदनशील चुनौतियों से निपटने के लिए गम्भीर एवं वास्तविक प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संपोषित विकास के लिए आवश्यक है कि प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के मध्य समन्वय और संवाद स्थापित किया जाए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे इस वेबिनार के संरक्षक और संयोजक डॉ. परमानन्द तिवारी, प्राचार्य शासकीय तुलसी महाविद्यालय ने सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि 'प्रकृति पूजा' एवं 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना भारतीय संस्कृति की मूल चरित्र है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गीतेश्वरी पाण्डेय, सहायक प्राध्यापक, गणित ने किया एवं अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन और आभार प्रदर्शन ज्ञान प्रकाश पाण्डेय ने किया तथा प्रो. शाहबाज़ खान तकनीकी विशेषज्ञ रहे। वेबिनार के आयोजन में डॉ. जे के संत, डॉ. आर.एस. वाटे, डॉ. डी. पी शारमे, डॉ. तरन्नुम सरवत, डॉ. देवेंद्र तिवारी, डॉ. मनीष शुक्ला, प्रो. विनोद कोल, प्रो. कृष्णचंद्र सोनी का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। कार्यक्रम में विभिन्न संस्थाओं के प्राध्यापकगण, छात्र-छात्राएं एवं प्रकृति प्रेमियों ने प्रतिभागिता की।

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