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भारतीय देशज ज्ञान- विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण संवर्धन में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय ’मील’ का पत्थर साबित होगा- केंद्रीय शिक्षा मंत्री

 


209 दीक्षार्थियों को स्वर्ण पदक 3582 दीक्षार्थियों को दीक्षा 
        दीक्षांत स्मारिका एवं पुस्तक का हुआ विमोचन 
                                      (हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)                            
अनूपपुर (अंचलधारा) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में तृतीय दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि  रमेश पोखरियाल ’निशंक’ माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार, विशिष्ट अतिथि प्रो. डी.पी. सिंह, अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली थे।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि रमेश पोखरियाल ’निशंक’ ने अपने दीक्षांत उद्बोधन में कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य जनजातीय विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अवसर प्रदान कर उन्हें देश के विकास से जोड़ना तथा उनकी कला व संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन करना है। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के नेतृत्व में इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने दीक्षार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन किसी भी संस्थान एवं वहां शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों हेतु गौरव का दिन होता है। यह दिन जीवन एवं कर्म पथ पर आगे बढ़ने का प्रस्थान बिंदु भी होता है। आप आत्मनिर्भर भारत जो कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी का सपना है, के कारण और कारक दोनों हैं। आपके ही द्वारा भारत ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़कर वैश्विक फलक पर सशक्त भारत के रूप में स्थापित होगा। शिक्षा के माध्यम से जनजातीय कला संस्कृति, भाषा, ज्ञान, विज्ञान को लोकल से ग्लोबल भारत बनाने की दिशा में विश्वविद्यालय एवं यहां के शिक्षक महती भूमिका का निर्वहन कर रहें

हैं। स्थानीय वनोपज को तकनीकी माध्यम के द्वारा प्रचारित एवं विपणन हेतु विश्वविद्यालय निरंतर प्रयत्नशील है। जिससे यहां के जनजातीय समुदाय का विकास हो रहा है और समग्र विकास की संकल्पना साकार हो रही है। उन्होंने बिरसा मुंडा जी को याद करते हुए कहा कि वे कहते हैं कि ’देश प्रेम की ललक एक दैवीय वरदान है जो मनुष्य को उत्सर्ग के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।’ उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा स्थानीय निवासियों के विकास हेतु किए जा रहे विभिन्न कार्यों जैसे गांवों को गोद लेकर विकसित करना, जीविका उपार्जन केंद्र व नवाचार केंद्र के कार्यों, नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु किए जा रहे कार्यों आदि की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय में चिकित्सालय एवं चिकित्सा विज्ञान संकाय से सम्बद्ध नवाचार एवं रोजगार परक शिक्षा के अवसरों की वृद्धि के लिए घोषणाएं कीं।
विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह ने तृतीय दीक्षांत समारोह पर सदन को संबोधित करते हुए कहा कि आज ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान के जिस उद्देश्य से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना का संकल्प लिया गया था, वह पूरा होता हुआ दिख रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण का कार्य होता है। विश्वविद्यालय की युवा शक्ति सद्मार्ग और मूल्यपरक शिक्षा व आचरण द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 को सफल बनाकर भारत को वैश्विक फलक पर गौरवान्वित करने में सफल हो, यही मेरी शुभकामनाएं हैं।
स्वागत भाषण में कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि वर्ष 2007 में स्थापित है विश्वविद्यालय ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान एवं सामाजिक सांस्कृतिक क्षेत्र में अपने योग्य शिक्षकों कर्मठ कर्मचारियों एवं ऊर्जावान विद्यार्थियों के कारण राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विदित है। संप्रति विश्वविद्यालय के 12 संकायों के अंतर्गत 32 विभाग कार्य कर रहे हैं। जिनमें 29 स्नातक 35 स्नातकोत्तर और 31 पीएचडी कार्यक्रम चलाए जाते हैं। विश्वविद्यालय की विशिष्टता का आकलन इस तथ्य के आधार पर किया जा सकता है कि इसके कुल छात्रों की संख्या का 72ः समाज के कमजोर वर्ग से आता है। उनमें अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की संख्या 30ः अनुसूचित जाति की 15ः अन्य पिछड़े वर्गों की 10ः तथा आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग की संख्या 01ः है। विश्वविद्यालय में सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों की कुल संख्या 28ः है। विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या लड़कियों की शिक्षा के बढ़ते अनुपात को दर्शाती है। इस समय विश्वविद्यालय में 42ः लड़कियां शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। आज विश्वविद्यालय के 32 विभागों में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर परंपरागत पाठ्यक्रम के साथ-साथ विश्वविद्यालय व्यवसायिक पाठ्यक्रमों को भी प्रोत्साहन दे रहा है। इसमें

सामाजिक कार्य, व्यवसाय प्रबंधन, पर्यटन, फोटोग्राफी, कंप्यूटर आदि प्रमुख हैं और सेवा योग्य कौशल विकास के माध्यम से रोजगार प्राप्त करने की क्षमता में युक्त हैं। अजीविका केंद्रित पाठ्यक्रमों में बी.एड., बी. फार्मा., डी. फार्मा., बी.वॉक. भी चलाए जा रहे हैं। इनके साथ विज्ञान संकाय, योग विभाग, और सामाजिक कार्य विभाग भी इस क्षेत्र के अनुरूप कार्य कर रहे हैं और उत्कृष्ट परिणाम दे रहे हैं विश्वविद्यालय का यह सतत प्रयास है कि वह समाज के वंचित और पिछड़े लोगों के प्रति सहृदय और संवेदनशील बनकर उनके हित के लिए कार्य करें। यह केवल ज्ञान और विवेक की शक्ति से ही संभव है।
इस क्षेत्र की भौगोलिक, जनजातीय तथा जैविक बहुलता को देखते हुए तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति में निहित इन  प्रकरणों को महत्व देने की दृष्टि के अंतगर्त विश्वविद्यालय अपने शिक्षण एवं शोध के माध्यम से पूरे क्षेत्र के उस ज्ञान और कौशल को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए कटिबद्ध है जो आदिवासी संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली में सन्निहित है।
इस शुभ अवसर पर विभिन्न विषयों के योग्य विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की जाती है ताकि वे अपने ज्ञान एवं विवेक का उपयोग एक नए समाज और राष्ट्र के निमार्ण के लिए कर सकें। इस अवसर पर इन सभी उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों के माता-पिता और अभिभावकों को मैं बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ।

स्वर्ण पदकों में 
लड़कियों ने मारी बाजी

विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जाने वाली उपाधि प्रत्येक अकादमिक वर्ष में विद्यार्थियों की उपलब्धियों के आधार पर मूल्यांकन के पश्चात प्रदान किया जाता है। इसी मूल्यांकन के आधार पर विश्वविद्यालय द्वारा कई प्रकार की उपाधियां दी जाती हैं। विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, कुलाधिपति स्वर्ण पदक, कुलपति स्वर्ण पदक, श्रीमती उषा स्मृति स्वर्ण पदक, श्रीमती गिरिराज किशोरी अग्रवाल स्मृति स्वर्ण पदक और बिसाहु दास महंत स्वर्ण पदक विषयवार सर्वोत्तम उपलब्धि के आधार पर प्रदान की जाती है।
वर्ष 2017 में स्नातक स्तर पर 25 और स्नातकोत्तर स्तर पर 21 स्वर्ण पदक दिया गया है जिसमें बीसीए की छात्रा अमिषा अग्रवाल को सबसे ज्यादा 4 स्वर्ण पदक मिले हैं तथा किशन लाल को दो स्वर्ण पदक मिले हैं वहीं स्नातकोत्तर की कम्प्यूटर साइंस की छात्रा सुरभी अग्रवाल को दो स्वर्ण पदक मिले हैं। वर्ष 2018 में व्यावसायिक अध्ययन की छात्रा श्रुति सिंह बघेल को 4 स्वर्ण पदक और एकता अश्वनि को दो स्वर्ण पदक मिले हैं तथा स्नातकोत्तर की गणित की छात्रा ज्योतिमा शुक्ल को दो स्वर्ण पदक मिले हैं। इस वर्ष कुल स्नातक स्तर पर 25 स्वर्ण और स्नातकोत्तर स्तर पर 25 स्वर्ण पदक दिया गया। वर्ष 2019 में स्नातक में 25 स्वर्ण पदक और स्नातकोत्तर में 27 स्वर्ण पदक दिया गया। जिसमें स्नातक की निशिका विशनानी ने विश्वविद्यालय द्वारा दिए जाने वाले सभी 5 स्वर्ण पदक प्राप्त की। जबकि एमसीए की छात्रा विन्नी अग्रवाल को दो स्वर्ण पदक मिले। वर्ष 2020 में स्नातक स्तर पर 27 और स्नातकोत्तर स्तर पर 29 स्वर्ण पदक दिया गया, जिसमें सविता धुर्वे को दो स्वर्ण पदक तथा फार्मेसी की शालिनि शुक्ल को चार स्वर्ण पदक मिले हैं और स्नातकोत्तर में गणित की छात्रा प्रतिभा त्रिपाठी को स्नातकोत्तर का दोनों स्वर्ण पदक प्राप्त हुए।
विश्वविद्यालय की उपलब्धि के आधार पर यह देखा जा सकता है कि इसमें देश की बेटियों ने सबसे ज्यादा स्वर्ण पदक हासिल कर यह साबित कर दिया है कि उन्हें मौका मिले तो इस वनांचल की बेटियां भी सबसे ज्यादा देश की तरक्की में अपना योगदान दे सकती हैं। इस तरह बेटियों की उन्नति निश्चय ही ’’ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी को प्रगति पथ पर आगे बढ़ाओ’’ को सार्थकता प्रदान करती है।
कार्यक्रम का शुभारंभ वाग्देवी सरस्वती पूजन से हुआ इसके पश्चात पं. हरिराम पांडे द्वारा स्वस्ति वाचन किया गया। प्रो. मुकुल ईश्वरलाल शाह माननीय कुलाधिपति ने दीक्षांत समारोह की औपचारिक घोषणा की तत्पश्चात संबंधित संकायाध्यक्षों ने दीक्षार्थियों को दीक्षा हेतु प्रस्तुत किया। इस अवसर पर दीक्षांत स्मारिका एवं विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा लिखित पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरित मीणा, ने एवं आभार कुलसचिव पी. सिलुवैनाथन ने माना। दीक्षांत कार्यक्रम में सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह शहडोल, मध्यप्रदेश, सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत, कोरबा, छत्तीसगढ,़ माननीय विधायक फुंदे लाल मार्को, पुष्पराजगढ़, माननीय कुलाधिपति मुकुल ईश्वरलाल शाह, कार्यपरिषद विश्वविद्यालय कोर्ट तथा विश्वविद्यालय परिषद के सदस्यगण संकाय अध्यक्ष गण विभागाध्यक्ष गण प्रशासनिक अधिकारी एवं शैक्षणिक एवं कर्मचारियों के साथ ऑनलाइन माध्यम से जुड़े स्वर्ण पदक तथा उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के परिवार जन उपस्थित थे।

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