(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जन जातीय विश्वविद्यालय में योग विभाग एवं प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के संयुक्त तत्वाधान में “प्राचीन भारतीय योग परंपरा एवं सांस्कृतिक विरासत” विषय पर आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के अंतर्गत तृतीय दिवस कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में देश के विभिन्न भागों से लगभग 400 प्रतिभागी गूगल मीट एवं सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़े ।
आज के तकनीकी प्रथम सत्र में विशेषज्ञ के रूप में डॉ बी. आर. शर्मा, अधिष्ठाता श्री रविशंकर विश्वविद्यालय, कटक “योग के उद्भव एवं विकास” पर व्याख्यान, आज के संदर्भ से संबन्धित बौद्धिक क्षमता, कार्य कुशलता, समाधान, वैकल्पिक चिकित्सा एवं भाईचारा स्थापित करने के लिए योग को अपनाना होगा। इसका पूरा श्रेय हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी को जाता है। साथ ही योग के उद्भव एवं विकास को बताते हुये वेदों, उपनिषदों, योग के ग्रन्थों एवं श्री मद भगवत गीता में योग को विस्तार से बताया । साथ ही योग के आदिवक्ता/उत्पत्तिकर्ता महर्षि हिरण्यगर्भ को बताया।
साथ ही अप्राप्त को प्राप्त करने का नाम योग बताया है।योग साध्य एवं साधन दोनों है। साथ ही प्रश्नोपनिषद में ॐ को तीन (अ,उ,म) भागो को बताया साथ ही हठयोग एवं पतंजलि एक मिश्रित रूप है एवं हठरत्नावली, शिवसंहिता, घेरण्ड संहिता ,प्राणायाम को भी बताया साथ मात्राओं के बारे में भी बताया क्रियायोग को भी बताया साथ ही सन 1924 में एक अनुसंधान प्रकासित हुआ उसमें उड्डयान नौली प्रकासित पत्र को बहुत ही सरल शब्दों में बताया।
दूसरे तकनीकी सत्र में प्रो. आभा सिंह ,प्रति कुलपति, भूपेंद्र नारायण मण्डल विश्वविद्यालय “वर्तमान काल में योग की उपादेयता” पर व्याख्यान हमारी भारतीय संस्कृति मूल वेदों में है जड़ से चेतन तक , योग विद्या को जिस रूप में हम देख रहे हैं उसके संबंध में मानव चेतना से मानव की आवश्यकता से है । शरीर एवं मन को मजबूत करने के लिए आत्मानुशासन की बात कही साथ ही व्यक्ति ध्यान के द्वारा अपने पर नियंत्रण कर सकता है। एवं आपने ध्यान की विभिन्न पद्यतियों पर प्रकाश डाला ।
तृतीय तकनीकी सत्र में प्रो. सुशील कुमार तिवारी आचार्य, दर्शन शास्त्र, दीन दयाल उपाध्याय ,गोरखपुर उत्तर प्रदेश ने योग किसके लिए, मनुष्य के लिए जैसे गूढ प्रश्नों को बताया। साथ ही शरीर, मन एवं बुद्धि इन तीनों को अन्तःकरण से जुडने का नाम योग बताया हैं।
कार्यशाला के निर्देशक प्रो. आलोक श्रोत्रिय, अधिष्ठाता योग संकाय के निर्देशन में संचालन डॉ मोहनलाल चढ़ार धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रवीण कुमार गुप्ता योग विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम में शामिल प्रमुख लोगों में प्रो. जितेंद्र कुमार शर्मा, डॉ मनोज कुमार, डॉ जिनेन्द्र जैन, डॉ जनार्दन बी. डॉ गोविंद मिश्रा, डॉ पूनम पाण्डेय, डॉ श्याम सुंदर पाल, गुरुनाथ करनाल थे ।
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