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हाईवे सड़कों पर बेतरतीब खड़े वाहनों के विरुद्ध हो कार्यवाही जिला मुख्यालय सहित हाईवे की दशा चिंताजनक-मनोज द्विवेदी

 

हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो 

अनूपपुर (अंचलधारा) जिला मुख्यालय अनूपपुर सहित कोतमा, बिजुरी, जैतहरी, फुनगा, राजेन्द्रग्राम ,अमरकंटक मुख्य मार्ग पर एवं हाईवे पर बेतरतीब खड़े वाहनों के विरुद्ध सघन नियमित अभियान चला कर सख्त कार्यवाही की जाए।कोतवाली चौक, अमरकंटक चौराहा, कलेक्ट्रेट मार्ग को बडे,भारी वाहनों का अघोषित ट्रांसपोर्ट नगर बना देने से सडकें संकीर्ण तथा खतरनाक हो गयी हैं। ढाबों,होटलों, मैकेनिक गैराजों के सामने बेतरतीब खड़े वाहनों से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं।ऐसे मामलों में लोगों के घायल होने, प्राण गंवाने के मामले सामने आ रहे हैं।जिला प्रशासन, यातायात विभाग तथा पुलिस आम नागरिकों को सुरक्षित यात्रा के लिये मार्ग उपलब्ध करवाए।रात्रि में कोतमा मार्ग में हुए सड़क दुर्घटना में तीन युवाओं की मृत्यु से दुखी तथा क्षुब्ध भाजपा नेता तथा नमो एप संभागीय संयोजक मनोज द्विवेदी ने उक्त मांग करते हुए कहा है कि यह दुखद है कि लोग सड़क किनारे लापरवाही से खड़े किये गये वाहनों से टकराकर  जान गंवा रहे हैं।रात में सामने से आने वाली गाडीं की तेज रोशनी के रिफ्लेशन से ब्लाईंड एंगल बनने के कारण सडक पर खडे वाहन दिखलाई नहीं पडते । पहले भी हाईवे पर ऐसी दुर्घटनाएँ हुई हैं। श्री द्विवेदी ने दुख जताते हुए कहा है कि भाजपा नेता एवं  दैखल के पूर्व सरपंच,मेरे मित्र रमेश सिंह परस्ते के पुत्र एवं भांजे का कल रात सड़क किनारे खडे ट्रैक्टर से टकरा कर दुर्घटना में  दुखद निधन हो गया।सडकों पर बेतरतीब खड़े वाहनों से टकरा कर दम तोड़ देने की श्रंखला में यह भी एक नयी दुखद कड़ी है जिसने परिवार को असीम दुख, कष्ट, विछोह दे दिया।ऐसा लगता है कि जिला यातायात विभाग तथा आर टी ओ केवल वाहन मालिकों से पैसा वसूलने के तंत्र मात्र हैं। ऐसी हर दुर्घटना के बाद इनकी जवाबदेही भी तय क्यों नहीं होना चाहिए ? 
अनूपपुर जिला मुख्यालय सहित अन्य सघन आबादी वाले कस्बों, गाँव मे सडकों पर वाहनों को खड़ा कर रिपेयर कराते,माल उतारते, ढाबों में आराम करते इन्हे कहीं भी देखा जा सकता है।
अनूपपुर कलेक्ट्रेट रोड,अमरकंटक तिराहे में सडकें मैकेनिकों के धंधों की गिरफ्त में हैं।ना जनप्रतिनिधियो को देखने की फुर्सत है  ना संबंधित अधिकारियों को कार्यवाही करने की। कोतवाली चौक को ही देख लें।यह नगरपालिका तथा कोतवाली पुलिस की अनदेखी लापरवाही का जीता जागता नमूना है।दोनों ओर खडे वाहन तथा फुटपाथ से सडकों पर दुकाने कब्जाए लोगों के बीच चलना निकलना तक मुश्किल है।
ऐसे ही लापरवाह ट्रैक्टर चालक की जानलेवा लापरवाही ने तीन चिराग बुझा दिये। देखें ! ना तो ट्रैक्टर ट्राली में रिफ्लेक्टर है,ना ही नम्बर,ना ही बैक लाईट। जांच करवा लें सही जांच हो जाए तो या तो चालक नशे में मिलेगा और लाईसेंस भी ना हो तो आश्चर्य  नहीं। 
ऐसे हर मामले मे पुलिस मर्ग प्रकरण दर्ज कर सडक दुर्घटना दर्शाकर शव परिजनों को देकर कर्तव्य पूरा किया मान लेती है। जबकि यह प्राणघातक लापरवाही का ऐसा मामला होता है जिसमे किसी की लापरवाही से लोगों की जान तक चली जाती है। ऐसे सभी सडक दुर्घटनाओं मे यातायात पुलिस तथा आर टी ओ की कार्यप्रणाली की जांच कर जिम्मेदारी क्यों तय नहीं करना चाहिए ? 
दुर्घटना में जान गंवाने वाले लोगों के लिये दुख तथा श्रद्धांजलि के दो शब्द लिख बोल देने से अच्छा यही होगा कि जिम्मेदार जनप्रतिनिधि,समाजसेवी, पत्रकार एवं गणमान्य जन प्रशासन पर व्यवस्था सुधार के लिये दबाव डालें।पीडित, दुखी परिवार के लियर ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।  

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