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नाबालिक से बार-बार दुष्कर्म करने वाले नालंदा बिहार के आरोपी की जमानत याचिका निरस्त

 

       (हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)   

अनूपपुर। (अंचलधारा) न्यायालय विशेष न्यायाधीश (लैगिंक अपराध) कोतमा रविन्द्र कुमार शर्मा के न्यायालय से आरोपी रमेश राज आयु 22 पिता रमण दास निवासी ग्राम दयालपुर चांडी थाना जिला नालंदा(बिहार) की जमानत याचिका निरस्त की गई।
मीडिया प्रभारी राकेश पाण्डेय ने राजगौरव तिवारी एडीपीओ के हवाले से बताया गया कि मामला थाना बिजुरी के अ.क्र.03/20 धारा 363, 366, 376(3) भादवि 3, 4, 5, 6 पाक्सों एक्ट से संबंधित है यह कि आरोपी से फरियादिया की मुलाकात बिजुरी के मेले में हुई आरोपी हर साल मेले में झूला लगाने आता था और जब मिलता था जो पीडिता को शादी करने का प्रलोभन देता था व कहता था कि तुमसे ही शादी करूगा ऐसा कहकर बहलता और फुसलाता था ऐसे ही एक दिन दिनांक 27/12/2019 को रात करीब 11 बजे आरोपी अपने गांव नालंदा (बिहार) ले गया और अपने साथ रखा तथा 05 से 06 बार जबजस्ती दुष्कर्म किया आपसी विवाद के कारण जब फरियादिया नालंना थाने में गई व बताई कि वह बिजुरी की है। उक्त सूचना के बाद बिजुरी पुलिस ने पूर्व से दर्ज गुमइंसान एवं धारा 363 भादवि के उक्त अपराध में पीडिता को दस्तयाब कर उसका बयान लिया तब पीडिता ने उक्त समस्त बाते पुलिस को बतायी तब पुलिस ने पीडिता का मेडिकल व धारा 164 का कथन कराकर आरोपी को गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत कर दिया था जिसके संबंध में आरोपी ने यह जमानत आवेदन पत्र अंतर्गत धारा 439 द.प्र.स.का प्रस्तुत किया था।
आरोपी ने यह लिया था आधार-आरोपी द्वारा जमानत आवेदन में यह आधार लिया गया था कि आरोपी को झूठा फसाया गया है फरार होने की संभावना नही है जमानत की शर्तो का पालन करने के लिए तैयार है।आरोपी नवयुवक है जेल जाने पर उनका भविष्य प्रभावित होगा इसलिए जमानत का लाभ दिया जाए।
अभियोजन ने इस आधार पर किया था विरोध-उक्त आवेदन पत्र विशेष लोक अभियोजक राजगौरव तिवारी द्वारा जमानत आवेदन का इस आधार पर विरोध किया गया कि मामला पाक्सों एक्ट की धारा 06 एवं भादवि की धारा 376(3) से संबंधित है पीडिता की उम्र 15 वर्ष है जिसके साथ आरोपी द्वारा जबरदस्ती  प्रवेशन लैंगिक हमला कई बार किया गया है। मामले मे आजीवन कारावास का दण्ड उपबंधित है। इस तरह के मामले में जमानत दिए जाने पर समाज में बुरा संदेश जायेगा। उभयपक्षों के तर्को को सुनने के पश्चात माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्को से सहमत होते हुए आरोपी की जमानत याचिका अंतर्गत धारा 439 द.प्र.स. निरस्त कर दिया।  

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