(हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक सभा का आयोजन किया गया डॉ. आलोक श्रोत्रिय ने शोक संदेश का वाचन करते हुए कहा कि भारत रत्न देश के पूर्व राष्ट्रपति, सच्चे राजनीतिक चिंतक और राजनीतिक की आदर्शवादी परंपरा के प्रतीक प्रणब मुखर्जी का निधन भारतीय राजनीति की उदात्त परंपरा के भी अवसान का समय है। ’प्रणब दा’ के नाम से लोकप्रिय प्रणब मुखर्जी का जन्म बंगाल के कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था, इनके माता-पिता दोनों ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे पश्चिम बंगाल के मिराती में 11 दिसंबर 1935 को जन्मे देश के इस देदीप्यमान नक्षत्र के राजनीतिक जीवन में इस पृष्ठभूमि का हमेशा सकारात्मक प्रभाव रहा। कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में प्रणव मुखर्जी पहली बार 1969 में राज्यसभा सदस्य बने। सन 1982 में वह देश के वित्त मंत्री बने। सन 1984 से 1989 तक वह समाजवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष रहे जिसका सन 1989 में कांग्रेस में विलय हो गया। योजना आयोग के उपाध्यक्ष विदेश मंत्री रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने देश की सेवा की सन 2012 से 2017 तक वह देश के राष्ट्रपति रहे राजनीतिक के रूप में उनका समन्यवादी आदर्शवादी दृष्टिकोण सबको प्रभावित करने की क्षमता रखता था, उनका यह व्यक्तित्व सन 2005 में तब मुख्य रूप से सामने आया जब पेटेंट संशोधन बिल पर उन्होंने वामपंथी पार्टियों को सहमत किया तथा इस बिल के पास होने से अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत दुविधा जनक स्थितियों से बचने में सफल हुआ। सर्वश्रेष्ठ सांसद के रूप में सम्मानित भारत रत्न प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति के रूप में दृढ़ और लोककल्याण के निर्णय लिए तथा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार को जिस तरह सहयोग दिया वह विराट व्यक्तित्व, समाजवादी राजनीतिक चिंतन तथा लोकतंत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
प्रणब मुखर्जी ने देश के प्रथम नागरिक के रूप में 25 जुलाई 2012 को भारतीय गणराज्य के राष्ट्रपति के पदभार ग्रहण करने के उपरांत ’महामहिम’ के संबोधन को निरस्त करते हुए ब्रिटिश साम्राज्यवादी व्यवस्था की देन गुलामी के उक्त प्रतीक से भारतीय जनमानस को मुक्त कर दिया।
आदरणीय प्रणब मुखर्जी का भारतीय परंपरा के प्रति विशेष लगाव था वह प्रतिवर्ष अपने गृह राज्य में दुर्गा पूजा समारोह को परंपरा अनुसार मनाते थे। इस अद्वितीय राजनेता प्रखर वक्ता, विचारक, संसदीय मर्यादाओं के संरक्षक प्रणब दा के निधन पर भावभीनी श्रद्धांजलि। शोक सभा में विश्वविद्यालय के समस्त संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
0 Comments