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शिक्षा किसी भी परिवार, समाज एवं राष्ट्र की रीढ़ है-रमेश पोखरियाल केंद्रीय विद्यालय के नवनिर्मित भवन का ऑनलाइन लोकार्पण संपन्न


नई शिक्षा नीति का स्वरूप वैश्विक 
परंतु आत्मा भारतीय- श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी
अनूपपुर (अंचलधारा) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय परिसर में स्थित केंद्रीय विद्यालय के नवनिर्मित भवन का ऑनलाइन लोकार्पण रमेश पोखरियाल 'निशंक' जी, माननीय केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं संजय धोत्रे जी, माननीय केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री
के द्वारा किया गया। कुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि 2007 में स्थापित एवं 2008 से संचालित इस केंद्रीय विद्यालय का प्रमुख लक्ष्य जनजातीय अंचल में निवासरत बच्चों को ज्ञान के क्षेत्र में प्रबुद्ध अवसर उपलब्ध कराना है। वर्तमान में यहाँ 574 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। विश्वविद्यालय परिसर में प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर तक शिक्षा की व्यवस्था है। कोविड-19 के कठिन दौर में भी विश्वविद्यालय शिक्षा के प्राथमिक स्तर से लेकर अनुसंधान स्तर तक अपना कार्य संचालित कर रहा है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुरूप विश्वविद्यालय सनातन से अधुनातन, जड़ से लेकर वैश्विक और संकल्प से सिद्धि की ओर निरंतर कार्य करने की दिशा में अग्रसर है। विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के संचालन की स्थिति में है। इस शिक्षा नीति का स्वरूप वैश्विक परंतु आत्मा भारतीय है एवं भारत को अंतर्राष्ट्रीय फलक पर ज्ञान के क्षेत्र में महाशक्ति बनाने का सामर्थ्य नई शिक्षा नीति में है। इस अवसर पर रमेश पोखरियाल 'निशंक', माननीय केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा किसी भी परिवार समाज एवं राष्ट्र की रीढ़ होती है यदि यह मजबूत नहीं होगी तो परिवार समाज एवं राष्ट्र का विकास नहीं हो पाएगा। हमारी परंपरा 'वसुधैव कुटुंबकम' की है, ‘सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे भवंतु निरामयाः' की है। हमें अपने पुराने वैभव हमारी पुरातन ज्ञान परंपरा को आधुनिकता के साथ समन्वित कर देश को ज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय ऊंचाइयों पर लेकर जाना है। इस जनजाति क्षेत्र में जो प्राकृतिक संपदा है उन पर शोध एवं अनुसंधान कैसे हो सकता है उस पर विचार कर, प्राथमिक से लेकर अनुसंधान स्तर तक विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त करना होगा। मुझे विश्वास है कि विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति के नेतृत्व एवं मेंटरशिप में यह कार्यक्रम सुचारु रुप से चलेगा एवं यहां के विद्यार्थी देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेंगे।संजय धोत्रे, माननीय केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि यह विश्वविद्यालय जनजातीय बहुल क्षेत्र में शिक्षा के सर्वांगीण विकास का कार्य कर रहा है। जो कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं ।शिक्षा की सार्थकता तभी है जब वह विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास में अपना योगदान दें। उन्होंने नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नए भारत की नीवं रखने के लिए यह नीति अत्यंत
उपयोगी साबित होगी और एक भारत श्रेष्ठ भारत की अवधारणा को साकार करेगी। डॉ मुकुल ईश्वर लाल शाह, कुलाधिपति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय परिवार को केंद्रीय विद्यालय के नवनिर्मित भवन की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नवनिर्मित भवन क्षेत्र में शिक्षा के सर्वांगीण विकास का कार्य कर रहा है। जो कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षा की सार्थकता तभी है जब वह विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास में अपना योगदान दें। उन्होंने नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नए भारत की नीवं रखने के लिए यह नीति अत्यंत उपयोगी साबित होगी और एक भारत श्रेष्ठ भारत की अवधारणा को साकार करेगी। डॉ.मुकुल ईश्वर लाल शाह, कुलाधिपति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय परिवार को केंद्रीय विद्यालय के नवनिर्मित भवन की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नवनिर्मित भवन ,प्रयोगशाला, खेल प्रांगण तथा अत्याधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण है। यह विद्यालय रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास का मार्ग प्रशस्त करने में सहायक सिद्ध होगा। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन माननीय कुलपति महोदय द्वारा दिया गया कार्यक्रम के समन्वयक एवं संचालक प्रो. आलोक श्रोत्रिय अधिष्ठाता (शैक्षणिक) इं. गाँ. रा. जनजातीय विश्वविद्यालय थे। इस कार्यक्रम में श्रीमती हिमाद्री सिंह, सांसद शहडोल संसदीय क्षेत्र एवं सुश्री निधि पांडेय, आयुक्त केंद्रीय विद्यालय भी ऑनलाइन प्लेटफार्म के द्वारा उपस्थित थे। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के संकायाध्यक्ष विभागाध्यक्ष एवं शिक्षक एवं कर्मचारी सामाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए उपस्थित थे।

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