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भारतीय लामादूकायो बचाएगा कोरोना से जान वैक्सीन, दवा का इंतजार पड सकता है भारी

(मनोज द्विवेदी, अनूपपुर,मप्र)
अनूपपुर / कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रही दुनिया के लिये मई का महीना बहुत महत्वपूर्ण रहने वाला है। भीषण गर्मी से भरा यह महीना कोरोना संक्रमण के प्रभाव को बढायेगा या कम कर देगा ,इसे लेकर दुनिया के वैज्ञानिक दो मत हैं।
मई के महीने में भारत, बांग्लादेश,  पाकिस्तान, श्रीलंका , इरान, चीन, जापान  सहित देशों के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी जैसे देशों मे प्रतिदिन संक्रमण तथा मरने वालों की संख्या मे इजाफा हुआ है।
भारत जैसा देश जान को महत्व देते हुए जहान बचाने की ओर अग्रसर है। भारत ने लाकडाऊन -2 के बाद सेमी लाकडाऊन -3 की ओर कदम बढा दिया है। लाकडाऊन के दौरान भले ही मरजक के जमातियों तथा मजदूरों के पलायन से स्थिति बिगडती दिख रही थी। केन्द्र तथा राज्य सरकारों  ने कमोबेस कारगर योजना के साथ जमकर मेहनत की तथा भारत जो महाविनाश से बचाने में कामयाब रहे।
भले ही दो माह के कठिन समय में पाजिटिव मामले 40000 के पार चले गये हों तथा मृतकों की संख्या 1300 को छूती दिख रही हो ....अमेरिका, इटली, जर्मनी, इंग्लैंड, चीन की तुलना में भारत संभला हुआ अनुशासित देश दिख रहा है। सवा अरब की आबादी वाले कम संसाधन के देश ने कोरोना से बढिया लडाई लडी , बहुत हद तक कोरोना को हरा भी दिया। हम संक्रमण को रोक सकते थे, लेकिन लापरवाह, आक्रामक , हिंसक एक समुदाय ने कोरोना के संकट को  गंभीरता से लिया ही नहीं ‌।
अब जबकि हम सेमी लाकडाऊन -3 मे प्रवेश कर गये हैं। देश में रेड, आरेंज, ग्रीन जोन की दशा स्पष्ट हो कर भी बहुत स्पष्ट नहीं है। पलायन एवं प्रवास के कारण कब ग्रीन जोन, आरेंज मे तथा कब आरेंज जोन ,  रेड जोन में बदल जाए कहा नहीं जा सकहै।
देश लंबे समय तक लाकडाऊन को बर्दाश्त करता नहीं दिख रहा। गरीबी , अशिक्षा, अनुशासनहीनता एवं आन्तरिक राजनीति शुरू से  इसके आडे आ रही है। निचले स्तर पर गरीबों की स्थिति अच्छी है नहीं । यद्यपि सरकार ने राशन, पैसा, ईंधन की दृष्टि से गरीबों को हर संभव मदद देने की कोशिश कर रही हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ तमाम समाजसेवी संगठनों ने सहयोग का बीडा उठाया हुआ है। लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। पंचायतों में राशन वितरण में घालमेल की शिकायतें हैं।
दुनिया में जब कोरोना से बचाव के लिये कोई वैक्सीन, कोई दवा अब तक बनी नहीं है तो ऐसे में गरीब या अमीर, विकसित या विकासशील देशों के लिये भारत का **लामादूकायो** ही एकमात्र सफल रामबाण उपचार है। किसी भी देश के नागरिक सही तरीके से अनुशासित रहते हुए भारतीय **लामादूकायो***  का प्रयोग नियमित करेगें तो उन्हे कोरोना का संक्रमण होने की आशंका बिल्कुल नगण्य होगी। ला=लाकडाऊन ,मा=मास्क दू=दूरी, का= काढा एवं यो = योग का समन्वय व्यक्ति को कोरोना से मुकाबले के लिये तैयार कर सकता है। लाकडाऊन एवं शारीरिक दूरी का पालन करते हुए नियमित दालचीनी+ लौंग+ अदरक+ हल्दी+ काली मिर्च+ तुलसी का काढा दो वक्त सुबह ,शाम पियें तथा नियमित प्राणायाम, अनुलोम - विलोम, कपालभस्त्रिका योग करें । यह प्राचीन  भारतीय  जीवन शैली है जो व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढा कर स्वस्थ रखती है। करोड़ो भारतीय आज लाकडाऊन के दौरान घर पर अनुशासित रहते हुए गरम पानी, काढा का सेवन कर, नियमित योग - व्यायाम कर रहे हैं। उम्मीद का यही दिया कोरोना के गहन अंधकार में बचाव का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। करोड़ो जानें बचाने के लिये **लामादूकायो** जैसा सस्ता, सरल लेकिन अनिवार्य तरीका ही उपयोगी होगा। जो इसे कडाई से अपना लेगें, वे ही संक्रमण से बच सकेगें। कारगर दवा ना होने के कारण कोरोना से बचाव ही उपचार है

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