चीन , इटली, अमेरिका, ईरान, ब्रिटेन, पाकिस्तान, स्पेन, भारत सहित दुनिया के अधिकांश देश कोरोना के खतरनाक कोविड - 19 वायरस से मानव जीवन को बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। चीन ने कोरोना बनाया या नहीं बनाया ... जैविक हथियार की तरह दुनिया की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने का सफल प्रयास किया या सब कुछ पके फल की तरह उसकी झोली में वैसे ही जा गिरा, जैसा वो चाहता था ?
यह सवाल अभी अमेरिका - चीन समर्थक देशों के आरोप - प्रत्यारोपों में उछल रहा है। शक की तमाम सुई चीनी खूनी साजिश की ओर इशारा कर रही हैं लेकिन पुष्टि भविष्य के गर्त में है।
संक्रमण विश्वव्यापी महामारी में बदल चुका है। हजारों लोग मारे जा चुके हैं, लाखों लोग संक्रमित हैं। भारत जैसे अपेक्षाकृत गर्म देश में संक्रमण के तीसरे चरण की ओर जाने की आशंका है। एक दिन के जनता कर्फ्यू के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च 2020 से 21 दिन के देश व्यापी लाक डाउन की घोषणा करते हुए सभी देशवासियों से जो जहाँ है , वहीं ...अपने - अपने घरों में रहने की अपील करते हुए सोशल डिस्टेशिंग पर बल दिया। एक वर्ग विशेष ने तो मानो कोरोना को अफवाह बतलाने एवं लाकडाउन के विरुद्ध मोर्चा ही खोल दिया। देश के विभिन्न मस्जिदें जब जत्थे के जत्थे विदेशी / देशी मौलाना उगलने लगीं तो समूचा देश अवाक रह गया। अब स्थिति यह है कि अकेले निजामुद्दीन के मरकज से सैकडों संदिग्ध तथा दर्जनों कोरोना के संक्रमित मरीज या तो क्वेरेन्टाइन किये गये हैं, उनका इलाज चल रहा है या फिर देश के लगभग सभी राज्यों में बीमारी की सिन्नी बांट रहे हैं।
देश - दुनिया ने देखा है कि जिस दिन लाक डाऊन शुरु हुआ , हिन्दुओं के शक्ति आराधना का नव रात्रि पर्व , देवी स्थापना का दिन था। ये वो 9 दिन होता है ,जब शहर से लेकर गाँव - गाँव के देवी मन्दिरों, मढिया, शक्ति पीठों पर करोडों लोग व्रत रखकर पूजा,दर्शन के लिये जाते हैं। मानव जीवन की रक्षा के लिये समाज के लोगों ने स्वयं को घरों में बन्द कर लिया । यही नहीं देश के सभी ज्योतिर्लिंग, शक्तिपीठ, मन्दिर ,देवालयों में हजारों वर्षो में पहली बार ताले जड दिये गये। एक भी सनातन धर्मावलंबी ने इस पर कोई आपत्ति नहीं की। किसी हिन्दुवादी संगठन ने इसका प्रतिकार नही किया। प्रत्येक वर्ग ने जाति ,धर्म, रंग, भाषा, प्रांत, विचारधारा का भेद किये बिना सरकार के निर्देशों पर इसलिए चलने का फैसला किया क्योंकि उन्हे कोरोना संक्रमण के भयावहता का अहसास था।
म प्र के अनूपपुर जैसे छोटे जिले में कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर के प्रयास से सभी मस्जिदों को बन्द कर दिया गया। बन्दगी सिर्फ इंसानों के घर से बाहर निकलने पर थी। हिन्दुस्तानी दो कदम आगे निकले। उन्होंने नवरात्रि की पूजा बिना मन्दिर गये घरों मे की । इसके साथ ही एक भी देवी गीत, भजन, कीर्तन लाउडस्पीकर पर नहीं बजाए गये। सबने एक दूसरे के जीवन की सुरक्षा की प्रार्थना की।
यहाँ तक कि देश के अधिकांश हिस्सों में हिन्दुवादी संगठनों से जुडे लोगों ने कोरोना महायुद्ध में मानव की विजय, देश एवं विश्व की सुरक्षा के लिये प्रतिदिन बिना प्रचार ,बिना तस्वीरों को सार्वजनिक किये प्रतिदिन , निश्चित समय पर अपने - अपने घरों में मंत्र जप, प्रार्थना का आयोजन शुरु कर दिया है। कहने का आशय यह कि भारत एकजुटता से कोरोना के विरुद्ध घर जा बैठा।
इसका परिणाम भी सामने आया है। संक्रमण लाकडाउन के सातवें दिन भी नियंत्रण मे है। बड़े, विकसित देशों में जहाँ संक्रमण लाखों में तथा मृतकों की संख्या हजारों में जा पहुंची है, भारत में यह आज भी विकराल नहीं हो पाया।
लाक डाऊन के दूसरे - तीसरे दिन जिस तरह से दिल्ली सहित कुछ राज्यों में कार्यरत श्रमिकों की बड़ी संख्या सडकों पर पैदल घर जाने को निकल आई ,यह कोई अचानक घटी घटना नहीं हो सकती। पलायन करने वाले उत्तरप्रदेश ,बिहार , झारखण्ड के एक समूह वर्ग के लोग ही थे। एक साथ हजारों लोग लाकडाउन तोड़ कर सडक पर आ गये तो सभी हतप्रभ रह गये। सरकार को इसकी जांच कराना होगा।
राज्य सरकारों ने उनके भोजन
सुरक्षा की चिन्ता कर उनके घरों तक भेजा।
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देश के कुछ मस्जिदों में संदिग्ध विदेशियों को छुपा कर रखे जाने की पुष्ट खबरों के बीच दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में शासन की पाबंदियों के बावजूद ,बिना सक्षम अनुमति के 15 इस्लामिक देशों तथा देश के लगभग सभी प्रांतों के हजारों मौलानाओं / धर्म प्रचारकों ( ? ) के एकत्रित होने , मरकज आयोजित करने की पुष्ट घटना प्रकाश में आने से देश सन्न है। बतलाया जा रहा है कि मलेशिया, चीन, इंडोनेशिया, क्वालालंपुर, बांग्लादेश, म्यामार, अफगानिस्तान सहित 15 इस्लामिक देशों के हजारों लोग यहाँ के एक मस्जिद में छुपा कर रखे गये।
लाक डाउन के बाद जबकि सामाजिक दूरी बनाए रखने के सख्त निर्देश थे ,इनका एकत्रित होना एक बडे खतरे की घंटी माना जा रहा है। आयोजकों ने इन बाहरी तत्वों की कोई सूचना पुलिस या प्रशासन को नहीं दी थी। ड्रोन से तस्वीरें सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस हरकत में आई। उसने आयोजकों को दो नोटिस भी दिये। जिसका जवाब देना इन लोगो ने उचित नहीं समझा। यहाँ गये अधिकारियों, स्वास्थ्य परीक्षण दल को तक इन लोगो ने वापस कर दिया।
जब पुलिस ने वहाँ से लोगों को बाहर निकालना शुरु किया तो कोरोना के बहुत से संदिग्ध तथा दर्जनों पुष्ट कोरोना पॉजिटिव पाए गये। यहाँ से निकल कर तेलंगाना, अंडमान , कश्मीर गये लोगों में से लगभग दस ने दम तोड दिया है। बाकी के संक्रमित / संदिग्ध मौलाना कोरोना वायरस का प्रसाद बांटते घूम रहे हैं। इस घटना से देश हतप्रभ है। बीमारों को अलग अलग अस्पतालों मे इलाज के लिये भर्ती कराया गया है। अब दिल्ली पुलिस तथा केजरीवाल सरकार आयोजकों के विरुद्ध मामला पंजीबद्ध करने जा रहा है। मस्जिद के मौलाना साद के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया गया है।
कोरोना संक्रमण जब देश में तीसरे स्तर पर जाने को तैयार हो तो मरकजी कोरोना वायरस के देश में फैलने की आशंका से देश चिन्तित है ।अचानक कोरोना मरीजों की संख्या बढ गयी है। यहाँ से निकल कर संक्रमित / असंक्रमित लोग अलग - अलग राज्यों में जा छुपे हैं । इनके संक्रमण से बड़ी संख्या में लोगों के प्रभावित होने की आशंका है। सवाल यह उठ खडा हुआ है कि संक्रमण के खतरे तथा प्रशासन की मनाही के बावजूद मरकज का आयोजकों की यह नादानी थी या गलती ? कहीं ऐसा तो नहीं कि दिल्ली दंगों के साथ यह देश को अस्थिर करने की किसी साजिश का हिस्सा है ? क्या कोरोना वेक्टर के रुप मे एक समुदाय विशेष का प्रयोग भारत के विरुद्ध किया गया है ? जांच एजेंसियों को यह देखना होगा कि ये कोरोना मानव बम ,जो देश के कितने अलग - अलग शहरों में जाकर संक्रमण फैला रहे हैं, कैसे नियंत्रित करेंगे ? इनकी नीयत पर सवाल है। यदि मन साफ होता तो खबरें सामने आने के बाद परीक्षण / इलाज के लिये स्वत: बाहर आकर प्रशासन से मदद मांगते। चूंकि ऐसा नहीं हो रहा है तो क्या यह देश के विरुद्ध किसी बडी साजिश का संकेत तो नहीं है ? 300 से अधिक विदेशी नागरिकों सहित इस मरकज मे हजारों लोग थे। बहुत से लोग इनमें बीमार हो गये थे। बीमारी के बावजूद ये अलग राज्यों में चले गये। कोरोना से जूझ रही सरकार के लिये यह खतरनाक संकेत हैं। जाहिर है कि लोगों की जान बचाने के लिये सरकार एक साथ कई मोर्चों पर जूझ रही है। राहत की पहली खबर ये है कि देश के लोगों को कोरोना की गंभीरता का अहसास है, उसने बडी मजबूती से स्वयं को कोरोना के विरुद्ध घरों में स्थापित कर रखा है। दूसरी अच्छी खबर यह है कि केन्द्र के साथ राज्यों ने भी लाकडाउन तोडने वालों के विरुद्ध पर्याप्त सख्त रुख अपनाया हुआ है। कोरोना से महायुद्ध में भारत का इम्यून सिस्टम बहुत तगड़ा है । इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पडता कि कोविड-19 किस वेक्टर के साथ गलियों , हाईवे पर घूम रहा है । जबाब उसे कर्फ्यू रुपी लाकडाउन, सेनेटाईजर एवं मास्क से दिया जा रहा है।
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