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नपा. द्वारा संचालित पंडित शंभूनाथ शुक्ल पब्लिक लाइब्रेरी बन्द होने के कगार पर


अनूपपुर (अंचलधारा) पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष भाईलाल जी पटेल एवं उनकी परिषद् ने वर्ष 1984 में विंध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय पंडित शंभूनाथ शुक्ल के नाम से पब्लिक लाइब्रेरी का संचालन जन - जन में जागरूकता लाने, शिक्षा के स्तर को ऊचॉ उठाने और एक ही छत के नीचे तमाम तरह के समाचार पत्र - पत्रिकाओं के साथ रोजगार से सम्बन्धित पत्र - पत्रिकाओं को पाठको तक पहुॅचाने के उद्धेश्य से लाइब्रेरी का संचालन प्रारम्भ कराया था।

लाइब्रेरी पाठकों की
नजर मे खरी उतरी
देखने में आया कि जिन उद्देश्यों को लेकर पब्लिक लाइब्रेरी का संचालन प्रारभ्भ कराया गया धीरे-धीरे उन उद्धेश्यों पर पब्लिक लाइब्रेरी खरी उतरी और हर वर्ग के पाठकों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होने लगी। लाइब्रेरी प्रारभ्भ में सामुदायिक भवन के अन्दर अलग से बनाएं कक्ष मे प्रारभ्भ हुई थी लेकिन धीरे-धीरे लाइब्रेरी का स्वयं का भवन नगर पालिका ने बनवाकर वहॉ पर लाइब्रेरी का संचालन प्रारम्भ कराया एवं लाइब्रेरी के नीचे बेरोजगारों के लिए दुकानों का निर्माण कर दुकानों का संचालन प्रारभ्भ कराया गया।

वर्ष 1988 से ग्रन्थपाल के रूप में रामनारायण पाण्डे को पंडित शंभूनाथ शुक्ल पब्लिक लाइब्रेरी के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई जिसका निर्वहन उन्होंने पूरी तन्मयता से किया लेकिन नगर पालिका बीच-बीच मे उनसे अन्य कार्यालयीन कार्य भी लेने लगी उसके बावजूद भी वो लाईब्रेरी को अपनी जिम्मेदारी समझ कर निरन्तर प्रगति पथ पर ले जाने के लिए कार्य करते रहें।
रोजाना रहते थे पाठक
शुरुआती दौर में लाइब्रेरी का संचालन दोनों समय किया जाता था और लाइब्रेरी में दीवाली, होली को ही बस अवकाश रहता था बाकी  दिन पाठकों के लिए लाइब्रेरी के द्वार खुले रहते थे। पूरे सिस्टम से लाइब्रेरी का संचालन होता था लोगों को नियमानुसार पत्रिकाएॅ घर ले जाने की भी सुविघा रहती थी।  यही नहीं नियमित 250-300 पाठक लाइब्रेरी के होते थें। आए दिन विभिन्न प्रकार की विचार गोष्ठी, कवि - सम्मेलन भी लाइब्रेरी में होते थे। लगभग तीस हजार रूपये साल की पत्रिका, समाचार पत्र हर तरह के आते थे।
भृत्य ने सौपा
भृत्य को चार्ज
लेकिन ग्रन्थपाल रामनारायण पाण्डे 31 अक्टूबर 2017 को सेवानिवृत्त हो गए उसके बाद लाइब्रेरी का चार्ज एक भृत्य को दिलाया गया और वो भृत्य भी कुछ दिनो बाद दूसरे भृत्य को लाइब्रेरी का चार्ज सौप दिया परिणाम यह हुआ कि लाइब्रेरी अपने उद्धेश्यों से धीरे-धीरे भटकने लगी और आज परिणाम यह है कि वो अब बन्द होने की कगार पर है। पूर्व मुख्य नगरपालिका अधिकारी सुश्री कमला कोल पब्लिक लाइब्रेरी पर अपनी निगाहें बराबर रखती थी लेकिन उनके स्थानाŸारण के बाद आए मुख्य नगरपालिका अधिकारी आशीष शर्मा तो लाइब्रेरी से कोई मतलब ही नहीं रखते जिसका परिणाम है कि पब्लिक लाइब्रेरी की पूरी व्यवस्था ही चौपट हो गई।
लाइब्रेरी का हुआ
भारी नुकसान
पूर्व ग्रन्थपाल रामनारायण पाण्डे ने जिला पंचायत से पब्लिक लाइब्रेरी की व्यवस्था के लिए लगभग
चार लाख रूपये स्वीकृत कराए थे लेकिन उनके सेवानिवृŸा हो जाने से वो राशि भी भ्रष्टाचार की शिकार हो गई। पब्लिक लाइब्रेरी में निर्माण कार्य के चलते पत्रिका, पेपर रद्दी के शिकार हो गए कोई भी आया उठा कर ले गया उसका कोई रिकार्ड नहीं है। यही नहीं निर्माण कार्य के चलते पत्रिका पेपर छत पर रख दिए गए जो बारिश के कारण खराब हो गए टेबल, कुर्सी भी टूट गए काफी नुकसान पब्लिक लाइब्रेरी का हो गया लेकिन कोई भी उसका भौतिक सत्यापन करने वाला नजर नहीं आ रहा कि ये नुकसान किसके चलते हुआ।
लाइब्रेरी को बनाना
था जिला लाइब्रेरी
पूर्व ग्रथपाल ने तो पब्लिक लाइब्रेरी को जिला लाइब्रेरी बनाने के लिए कलेक्टर को पत्र भी लिखा था जिससे लाइब्रेरी का संचालन अच्छी  तरह हो सके लेकिन सब बातें उनके सेवा निवृŸा हो जाने से दबी रह गई।
नही है व्यवस्था
जिम्मेदार कोई नही
अलमारी वगैरह सब टूट गई लाइब्रेरी मे पेयजल प्रसाघन की कोई व्यवस्था नही है। साहित्यिक, सांस्कृतिक, गतिविधियों का संचालन भी पूरी तरह से रुक गया।
जबकि पूर्व ग्रन्थपाल ने सेवानिवृत्त के बाद भी तीन माह तक निःशुल्क अपनी सेवा लाइब्रेरी में भृत्य के साथ देते रहें भृत्य को हर बात समझाते रहे लेकिन उनके जाते ही पूरी व्यवस्था चौपट हो गई।
नपा अध्यक्ष और मुख्य नगरपालिका अधिकारी दोनों ही पब्लिक लाइब्रेरी की ओर तनिक भी ध्यान नहीं दे रहे।
कलेक्टर एवं जिला पंचायत
सी.ई.ओ से पाठकों को उम्मीद
जिला कलेक्टर एवं जिला पंचायत सी.ई.ओ को चाहिए कि पब्लिक लाइब्रेरी को जिला लाइब्रेरी में परिवर्तित कराकर यहॉ की व्यवस्था अपने हाथों में ले जिससे यहॉ के लोगों को अच्छी लाइब्रेरी मिल सके जो अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर सके।
                                                                                                                    अनूपपुर ब्यूरो / हिमांशु बियानी

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