अब तो आलम यह है
कि अस्सी से नब्बे प्रतिशत दुकान सुबह से देर रात तक खुली रहती है जिससे चर्चा है कि
जिला मुख्यालय में बैठे श्रम विभाग के अधिकारियों ने लगता है कि प्रतिबन्ध हटा दिया
है जिससे दुकानदार पूरी तन्मयता से दुकानें खोल कर अपना व्यापार प्रतिदिन की तरह बखूबी कर रहे है।
जब जिले में गुमास्ता
एक्ट लागू किया गया था तो हाल ये था कि पूरा बाजार सुनसान रहता था ग्राहक मार्केट में
आना बन्द कर दिए थे क्योंकि दुकानें शत - प्रतिशत बन्द रहती थी और उन शुरूआती दिनों
में लोगों में भय भी व्याफ्त रहता था कि कही चालानी कार्यवाही नहीं हो जाए। लेकिन धीरे-धीरे
लोगों का भय समाप्त हो गया जैसे कि उनकी श्रम विभाग से सेंटिंग हो गई हो और वह दिलेरी
से सड़को तक फैलाकर अपनी - अपनी दुकानें पूर्ण रुप से खोलने लगे।
क्या कहता है गुमास्ता कानून
मध्यप्रदेश दुकान
एवं स्थापना अधिनियम 1958 की धारा 13 (1) के अन्तर्गत प्रावधान है कि गुमास्ता एक्ट
के तहत् सप्ताह के दिन सभी दुकानदारों को अपनी दुकानें बन्द रखनी होगी। साथ ही दुकान
या स्थापना में काम कर रहे कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश भी देना होगा।
जिला प्रशासन को
चाहिए कि गुमास्ता एक्ट लागू कराने वाले विभाग को आदेशित, निर्देशित करें कि गुमास्ता
एक्ट का शत - प्रतिशत पालन कराया जाए जिससे लोगों को गुमास्ता एक्ट की उपयोगिता समझ में आए। और जो भी गुमास्ता एक्ट के पालन में
लापरवाही कर रहा है सहयोग नहीं कर रहा है ऐसे लोगों पर चालानी कार्यवाही की जाए जिससे
गुमास्ता एक्ट का पालन शत - प्रतिशत हो सके। श्रम विभाग को चाहिए कि अवकाश वाले शनिवार
को भी अपनी ड्यूटी निभाए और पूरे बाजार का निरीक्षण जिला मुख्यालय का बराबर करते रहे
और जो भी दुकाने खुली मिले उस पर नियमानुसार चालानी कार्यवाही करें और यदि अनूपपुर
जिला मुख्यालय को गुमास्ता एक्ट से अलग कर दिया गया है तो उसकी बकायदा प्रेस विज्ञप्ति
जारी कर लोगों को जानकारी प्रदान कर दे जिससे जो बीस प्रतिशत लोग दुकाने नहीं खोल रहे
वो भी दुकाने खोलने लग जए।
अनूपपुर ब्यूरो/हिमांशू बियानी
अनूपपुर ब्यूरो/हिमांशू बियानी
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