(चुभती बात - मनोज
द्विवेदी)
अनूपपुर (अंचलधारा) दर असल कभी कभी कुछ ऐसे वाकये हो जाते
हैं कि हम किसी व्यक्ति के बारे मे यह तय नही कर पाते कि उसका वास्तविक चरित्र
क्या है ? इसे समझने के लिये फिर आपको उसकी बातों पर नहीं,उसके आचरण- कार्य
व्यवहार पर नजर रखना होगा। कोई व्यक्ति गलती कर सकता है,किसी व्यक्ति के बारे मे
किसी घटना मात्र से समाज में गलतफहमी फैलाई जा सकती है ।लेकिन जनता जब नजदीकी से यह
समझ लेती है कि इसकी कथनी करनी दोनो मे दोष है तो उस व्यक्ति को अन्तिम अवस्था मे
पहुंचा कर ही दम लेती है।
विगत दिवस अनूपपुर जिला मुख्यालय में अखिल
भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव जुबेर खान की उपस्थिति में पार्टी पदाधिकारियों
,कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित की गयी। जिसमे सामान्य जाति के लोगों को लक्ष्य कर म
प्र सरकार के पूर्व मंत्री कांग्रेस के कद्दावर नेता बिसाहूलाल सिंह ने कहा कि
आदिवासी समाज सक्षम हो गया है ,उसे किसी बैसाखी की जरुरत नहीं । लोगों ने बेवजह
इसमे राजनीति देख ली तथा इसे टिकट व चुनाव से जोड लिया। जनजातीय समाज की मजबूती के
लिये तमाम सरकारों ने स्वतंत्रता के बाद से ही योजनाएं बनाई, लागू किया। अरबों
रुपये प्रतिवर्ष इस समाज के विकास के नाम पर खर्च किये जाते हैं। अब यदि इस समाज
के एक बडे नुमाईंदे के रुप मे बिसाहूलाल ने कहा है कि आदिवासी सक्षम हो गया है,उसे
किसी बैसाखी की जरुरत नही है तो इसे इसी रुप मे स्वीकार किया जाना चाहिए। अनुसूचित
जनजाति ,अनुसूचित जाति की मजबूती देश की मजबूती के लिये बहुत जरुरी है। लगभग २८ साल
के सम्पन्न् राजनैतिक जीवन के बाद यदि बिसाहूलाल सिंह ने कहा कि हम सक्षम हो गये
हैं तो इसे किसी विश्वनाथ,किसी उमाकान्त,किसी फुन्देलाळ या किसी मनोज अग्रवाल से
जोडा जाना उचित नही होगा। यह समीक्षा गलत तरीके से ,गलत दिशा मे ले जाई जा रही है।
एक कालरी वर्कर से विधायक व विधायक से दो बार
कैबिनेट मंत्री रहे बिसाहूलाल सिंह की सक्षमता का आंकलन लोगों ने सिर्फ उनकी
जमीनें,होटल, गाडियां, बैंक बैलेन्स,फार्म हाउस को देखकर नही किया है
क्योंकि यदि यह पैमाना आदिवासी समाज की सक्षमता का है तो इस समाज के सभी सरकारी
अधिकारी - कर्मचारी- सचिव- व्यापारी- ठेकेदारों की संपन्नता इसी वर्ग स्थिति के
किसी भी सामान्य जाति के लोगों से कयी गुना ज्यादा होगी। तब एक जिले मे बहुत से
बिसाहूलाल या इस तरह के सक्षम लोग मिल जाएगें।
कांग्रेस के मंच से यह कहने का साहस यदि
बिसाहूलाल ने किया है तो आपत्ति इसकी टायमिंग पर है। वे तो तभी सक्षम हो गये थे यब
उन्होने अपनी ही पार्टी के नेता पसान के पूर्व नपा अध्यक्ष शिवराज दत्त त्रिवेदी
को जेल भिजवा दिया था या उस वक्त जब अपनी पार्टी के कद्दावर नेता एम
एन सिंह, भूपेन्द्र सिंह को दर किनार कर दिया या उस वक्त जब समय समय पर जिले के
ब्राह्मण चेहरों में शुमार पं शंकर प्रसाद शर्मा, पं प्रेमकुमार त्रिपाठी या पं
पवन छिब्बर जैसों से चुसे हुए गन्ने जैसा व्यवहार किया। बिसाहूलाल सिंह ने तब अपनी
सक्षमता शब्दों से जाहिर नही की, लेकिन कार्यों से संकेत पूरे दिये। यह संकेत तब
के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से ज्यादा किसी ने ज्यादा किसी ने नहीं समझा । खैर !
अब जबकि बिसाहूलाल ने स्वयं के सक्षम होने का ऐलान कर दिया है तो इस पर सभी को
गर्व होना चाहिये। समाज - देश को सक्षम बिसाहूलाल सिंह ही चाहिये जिसे किसी बैसाखी
( फिर चाहे वह आरक्षण की ही क्यो न हो) की जरुरत न पडे।
दूसरा पक्ष यह भी कि यदि बिसाहूलाल ने यह बयान
राजनैतिक परिदृश्य मे दिया है तो यह उनकी स्वाभाविक राजनैतिक मॊत नही है।
आश्चर्यजनक ढंग से उन्होंने इसे वरण किया है,जिस पर कांग्रेस के प्रदेश -
राष्ट्रीय नेतृत्व को विचार करना चाहिए। पांचवी अनुसूची की आड मे जातिगत भेद
पैदाकर चुनावी फसल काटने की मंशा रखने वाले ऐसे पहले भी बहुत से नेता हुए हैं, जो
नही रह गये। न दुनिया मे ...न लोगों के जेहन में । जो व्यक्ति अपने ही
कार्यकर्ताओं ,नेताओं को जाति के चश्मे से देखे तो उसे नजर व नजरिया दोनो बदलने की
जरुरत है ।नही तो जनता तो उसे बदल ही देगी। अभी कुछ माह पूर्व राजेन्द्रग्राम मे
आदिवासी समाज के किसी कार्यक्रम मे जिस बिसाहूलाल सिंह के दर्शन हमने किये (
दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से मीडिया मे उनका भाषण हाईप नही पा सका अन्यथा वह बिसाहूलाल
आज राष्ट्रीय परिदृश्य मे सकारात्मक चेहरे के रुप में जाने जाते),अनूपपुर
कांग्रेसी मंच के बिसाहूलाल सिंह का चेहरा उससे बिल्कुल अलग है। यद्यपि चोलना के
ऐसे ही किसी जातिगत मंच से उन्होंने ब्राह्मणों के विरुद्ध जो अमर्यादित टिप्पणी
की थी ,वह अभी भी लोगों के जेहन मे है,तब समाज - देश हित मे इसे तूल नही दिया गया।
दर असल ऐसे बहुत से सक्षम जननेता हैं जो
राजनैतिक लाभ के लिये समाज - देश हित विरॊधी टिप्पणी करते रहे हैं। ऐसे तमाम (
चाहे वह किसी जाति- वर्ग- सम्प्रदाय, दल का क्यों न हो) लोगों को दर किनार करने की
जरुरत है। क्योंकि यह भाजपा ,कांग्रेस ,बसपा,सपा ,सामान्य- जनजातीय समाज के बीच का
विषय नहीं है। यह पूरे राष्ट्र ,संपूर्ण विश्व का मामला है। समरस भारत - समर्थ
भारत के विरुद्ध मामला है। ऐसी किसी हरकत,बयान,गतिविधि को स्वीकार नहीं किया जा
सकता ।
अनूपपुर ब्यूरो/हिमांशू बियानी
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