(मनोज द्विवेदी, कोतमा,अनूपपुर)
अनूपपुर (अंचलधारा) अभी हाल
ही में संसद
की रक्षा मामलों
की स्थायी समिति
ने यह सिफारिश
की है कि
केन्द्र व राज्य
की सरकारी नौकरियों
के लिये पांच
साल की मिलिट्री
सेवा अनिवार्य की
जाए। इसने देश
मे नयी बहस
छेड दी है।
कार्मिक व प्रशिक्षण
विभाग को भेजी
सिफारिश मे कहा
गया है कि
सेना जवानो - अधिकारियों
की कमी से
जूझ रही है।इसके
लिये यह बेहतर
विकल्प हो सकता
है। प्राप्त जानकारी
के अनुसार थलसेना
मे ७६७९,नॊसेना
में १४३४ तथा
वायुसेना में १४६ अधिकारियों
की तथा थलसेना
में २०१८५, वायुसेना
में १५३५७ एवं
नोसेना मे १४७३०
जेसीओ तथा अन्य
पद रिक्त हैं।
देश जब सीमा
पर हमेशा तनाव
पूर्ण स्थिति मे
रहता हूं तो
ऐसी दशा मे
अधिकारियों व जवानो
की कमी गंभीर
विषय है। लेकिन
इससे निपटने के
लिये दिये गये
विकल्प पर सवाल
उठ सकते हैं।
सैन्य ताकत के
तुलनात्मक अध्ययनकारों का मानना
है कि अमेरिका,
रुस, चीन के
बाद भारत चॊथे
नम्बर पर है।
लेकिन यह भी
ध्यान देना होगा
कि भारत की
सीमाएँ हमेशा अशान्त ,विवादास्पद
रही हैं। चीन,पाकिस्तान, म्यामार,बांग्लादेश,
श्री लंका मे
सीमा उल्लंघन के
कारण दुनिया का
ध्यान खींचता रहा
है। युद्ध भी
अब सेनाऒ की
बडी संख्या के
स्थान पर आधुनिक
हथियारो,तकनीकी से लडे
जाते हैं। ऐसे
मे सेना मे
रिक्त पदों पर
सीधी भर्ती के
स्थान पर इसे
अन्य सरकारी नॊकरों
से भरने के
प्रस्ताव पर
व्यापक चर्चा ,विचार मंथन
किया जाना चाहिए
। देश वस्तुत:
द्रढ राजनैतिक
इच्छाशक्ति व कडे
अनुशासन से
मजबूत बनता है। नागरिक
जब अनुशासित, कर्तव्यनिष्ठ
होते हैं तो
देश विकसित व
मजबूत होता है।
देश में सैन्य
सेवा अनिवार्य किया
जाए या नहीं,
इससे अधिक जरुरी
है कि नयी
पीढी के लिये
सैन्य शिक्षा अनिवार्य
किया जाए। भारत
आने वाले समय
मे तव विश्व
शक्ति बनेगा जब
देश के नागरिकों
का कार्य आचरण
इस स्तर का
होगा। देश मे
कुछ संस्थाएं मसलन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्ग
के माध्यम से
मजबूत कर्तव्यनिष्ठ नागरिक
तैयार करने की
प्रक्रिया से जुडा
है तो इसी
प्रकार से गायत्री
परिवार, पतंजलि संस्थान
या कुछ अन्य
संगठन संस्कार,धर्म,योग ,अध्यात्म
के माध्यम से
अच्छे नागरिक बनाने
की दिशा में
कार्य कर रहे
हैं । दुर्भाग्यपूर्ण
तरीके से इन
प्रयत्नों को राजनैतिक
चश्मे से देखा
जाता है। बहरहाल
देश मे नयी
पीढी को अनुशासित,
कर्तव्यनिष्ठ, स्वस्थ बनाने के
लिये विद्यालयों - महाविद्यालयों
मे सैन्य शिक्षा
अनिवार्य करने की
दिशा मे कदम
उठाए जाने चाहिये।
यह शारिरिक- मानसिक
स्वस्थ नयी पीढी
को तैयार करेगा
। इसका असर
देश की सामाजिक,
आर्थिक, कानून व्यवस्था मे
परिलक्षित होगा। सैन्य शिक्षा
कॊ अनिवार्य विषय
के रुप मे
तीन से पांच
वर्षीय कोर्स के रुप
मे शामिल करने
मे देश का
हर नागरिक सैनिक
होगा । ऐसा
सैनिक जो न
केवल सीमाओं पर
अपितु देश के
भीतर हर मोर्चे
समस्याओं से लड
पाएगा।
अनूपपुर ब्यूरो/हिमांशू बियानी
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