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काल के गाल से बच गई रामबाई की जिंदगी


अनूपपुर (अंचलधारा) जब तक वर नहीं चाहेंगे तो काल भी कुछ नहीं बिगाड सकता, काल के गाल से भी जिंदगी बच निकलती है और मानव अपना सुखमय जिंदगी भले ही व्यतीत नह कर सके लेकिन जीवन तो बचा ही रहता है। इसी तारतम्य में जिला मुख्यालय से १४ कि.मी. दूर जनपद पंचायत एवं तहसील जैतहरी के ग्राम पंचायत पंगना के वार्ड नं. बरटोला निवासी श्रीमती रामबाई पति अमर सिंह गोंड उम्र ५२ वर्ष के यहां देखने को मिला। ग्रामीणों की मानें तो काल के गाल से बची रामबाई की जिंदगी बेहतर जिंदगी तो नहीं जी पा रही लेकिन किसी आमजन से कम भी नहीं है। ज्ञातव्य है रामबाई सिंह जनवरी २००७ में अपने घर में रात के समय सो रही थी कि अचानक एक जहरीले सांप ने उसके दोनों पांव को डस दिया। रामबाई सिंह के परिजनों ने जिला चिकित्सालय समय पर ना लाकर स्थानीय झाड फूंक, देशी उपचार, जडी-बूटी एवं अन्य औषधि के बूते काटे हुए सांप के जहर को निकालने का प्रयास किया लेकिन जब तक रामबाई के दोनों पांव जिला चिकित्सालय शहडोल के डॉक्टरों द्वारा नहीं काटे गये तब तक उसकी जिंदगी मौत से लडती रही।
         घर में सोते समय दस वर्ष पूर्व काटा था दोनों पांव में  जहरीला सांप

दोनों पांव में हुई थी गैंगरीन की बीमारी

सर्प दंश के बाद रामबाई के परिजनों ने बेहतर उपचार नहीं कराया, कहें या स्थानीय उपचार का साईड एफेक्ट हुआ जिसके चलते रामबाई के दोनों पांव में गैंगरीन नामक जैसे बडी बीमारी समा गई, जिसके चलते घुटने के नीचे तक उसके पांव में सडन गई थी।
ग्रामसभा पहुंचा था मामला
जब रामबाई सिंह के दोनों पांव गैंगरीन से ग्रसित हो गये तो उपचार के लिए उनके परिजन हार मानते हुए उक्त मामले को ग्राम सभा तक पहुंचाया। इस गंभीर समस्या को ध्यान में रखते हुए ग्राम पंचायत सचिव रामलखन पटेल ने नगर के वरिष्ठ समाजसेवी शशिधर अग्रवाल को घटना से अवगत कराये।
         अंततः शहडोल चिकित्सालय के डॉक्टरों को काटना पडा था पांव
शशिधर ने दिखाया सक्रियता
उक्त बीमारी एवं तडफती जिंदगी को देखकर शशिधर अग्रवाल हतप्रभ रह गये और उन्होंने मरीज को अपने वाहन में बैठाकर तत्कालीन कलेक्टर के.के. खरे के पास जा पहुंचे। कलेक्टर श्री खरे ने रामबाई की स्थिति को देखकर अति दुखी हुए और उन्होंने १० हजार रूपये की आर्थिक मदद कराकर तत्काल जिला चिकित्सालय शहडोल उपचार हेतु भेजवा दिये।
सर्जन राजेश पाण्डेय की मेहनत लाई रंग
विगत कई दिनों तक जिला चिकित्सालय शहडोल में पदस्थ डॉ राजेश पाण्डेय रामबाई का उपचार करते रहे, जब उन्हें सफलता नहीं मिली तो डॉ पाण्डेय ने उसके दोनों पांव का ऑपरेशन कर रामबाई की जिंदगी बचाने में जुट गये। आज राजेश पाण्डेय की मेहनत सुदूरवर्ती वनांचल क्षेत्र ग्राम पंगना में देखने को मिल रही है।
रामबाई के हौसले हैं बुलंद
रामबाई सिंह पहले गरीबी की जिंदगी जीती रही फिर दोनों पांव में जहरीले सांप ने डस दिया। परिजन एवं ग्रामीणों ने कई दिनों तक जडी-बूटी, झाडफूं करते रहे तत्पÜचात दोनों पांव में सडन हो गई, दोनां पांव का ऑपरेशन हुआ आज रामबाई के दोनों पांव नहीं है। फिर भी काल के गाल से बची रामबाई के हौसले किसी जवान से कम नहीं है।
रामबाई के प्रयास से लहलहा रही है बगिया
जिस रामबाई को ग्राम पंचायत पंगना के लोग तडफते देखे थे, उसके दोनों पांव अब नहीं है वह रामबाई अपने खेत एवं बाडी में आलू, टमाटर, बैगन, लौकी, गोभी, लहसुन, प्याज की खेती कर अपना घर बैठे जीवकोपार्जन कर रही है।
मूलभूत सुविधाओं की है कमी
चर्चा के दौरान ८० प्रतिशत विकलांग रामबाई सिंह ने बताई कि मेरे घर तक सडक नहीं है। बरसात के समय कीचड में मुझे घसिटना पडता है और ८० प्रतिशत विकलांग होने के बावजूद भी मुझे सिर्फ ३०० रूपये पेंशन दिये जा रहे हैं। उन्होंने कलेक्टर से मांग की है कि मेरे ८० प्रतिशत विकलांगता प्रमाण पत्र को गंभीरता से लेते हुए मुझे शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाया जाये और आने-जाने के लिए ट्राईसाईकिल जनपद के माध्यम से अगर मुझे मिल जाये तो मैं अपने गांव के वार्ड, मोहल्लों तक पहुंच सकूं।

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