(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भाजपा एवं कांग्रेस के साथ ही अन्य दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी।घोषणा के बाद टिकटो के वितरण को लेकर थोड़ा बहुत द्वंद था लेकिन उसे पार्टी में ऊपर बैठे शीर्ष नेताओं ने सलटा दिया।पार्टी के अंदरूनी कोई विरोध अब नहीं रह गया।
भाजपा के लोग भाजपा का काम कर रहे हैं वहीं कांग्रेस के लोग कांग्रेस का काम कर रहे हैं।हां यह जरूर है की दल-बदलू ही केवल विरोध का राग अलाप रहे हैं।
वास्तविक भाजपाई और वास्तविक कांग्रेसी कहीं कोई विरोध नहीं कर रहे।भाजपा एवं कांग्रेस के साथ ही अन्य दलों से प्राप्त टिकटधारी अपने-अपने चुनाव प्रचार अभियान का श्री गणेश कर चुके हैं और चुनावी माहौल धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है।लेकिन 2 तारीख को पूरी तस्वीर साफ होने के बाद चुनाव प्रचार में ठंड के माहौल की तरह तेजी आ जाएगी और ठंड का माहौल भी लोगों के पसीने
बहाने का काम करेगा।चुनाव के लिए काफी कम दिनों का समय उम्मीदवारों के पास है।हर जगह उम्मीदवार पहुंच जाए यह मुमकिन नहीं दिख रहा।लेकिन जो उम्मीदवार 5 साल मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ बनाकर रखा था उसके लिए यह चुनाव वरदान है।क्योंकि 5 वर्ष तक लगातार वह उम्मीदवार अपने मतदाताओं के बीच जाता रहा।
मतदाताओं की आशाओं के अनुरूप गांव का शहर का विकास करता रहा।लेकिन नए उम्मीदवारों के लिए हर घर पहुंच पाना नामुमकिन सा प्रतीत होता है।उम्मीदवार के साथ कार्यकर्ताओं का सबसे बड़ा योगदान चुनाव में रहता है।कार्यकर्ता अलग-अलग गुटों में बटकर घर-घर जाकर अपने-अपने प्रत्याशियों का प्रचार प्रसार करते हैं।
वहीं प्रत्याशी भी सभी गांव में पहुंचता जरूर है लेकिन घर-घर में जाकर प्रचार-प्रसार नहीं कर पाता।वह भी उस गांव के कोई प्रमुख स्थान पर पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर फिर से मतदाताओं से आशीर्वाद मांगता है।यह सिलसिला लगातार चलता रहता है और मतदाताओं के फैसले को प्रत्याशी स्वीकार करते हुए मतगणना का इंतजार करता है।
भाजपा के लोग भाजपा का काम कर रहे हैं वहीं कांग्रेस के लोग कांग्रेस का काम कर रहे हैं।हां यह जरूर है की दल-बदलू ही केवल विरोध का राग अलाप रहे हैं।
वास्तविक भाजपाई और वास्तविक कांग्रेसी कहीं कोई विरोध नहीं कर रहे।भाजपा एवं कांग्रेस के साथ ही अन्य दलों से प्राप्त टिकटधारी अपने-अपने चुनाव प्रचार अभियान का श्री गणेश कर चुके हैं और चुनावी माहौल धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है।लेकिन 2 तारीख को पूरी तस्वीर साफ होने के बाद चुनाव प्रचार में ठंड के माहौल की तरह तेजी आ जाएगी और ठंड का माहौल भी लोगों के पसीने
बहाने का काम करेगा।चुनाव के लिए काफी कम दिनों का समय उम्मीदवारों के पास है।हर जगह उम्मीदवार पहुंच जाए यह मुमकिन नहीं दिख रहा।लेकिन जो उम्मीदवार 5 साल मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ बनाकर रखा था उसके लिए यह चुनाव वरदान है।क्योंकि 5 वर्ष तक लगातार वह उम्मीदवार अपने मतदाताओं के बीच जाता रहा।
मतदाताओं की आशाओं के अनुरूप गांव का शहर का विकास करता रहा।लेकिन नए उम्मीदवारों के लिए हर घर पहुंच पाना नामुमकिन सा प्रतीत होता है।उम्मीदवार के साथ कार्यकर्ताओं का सबसे बड़ा योगदान चुनाव में रहता है।कार्यकर्ता अलग-अलग गुटों में बटकर घर-घर जाकर अपने-अपने प्रत्याशियों का प्रचार प्रसार करते हैं।
वहीं प्रत्याशी भी सभी गांव में पहुंचता जरूर है लेकिन घर-घर में जाकर प्रचार-प्रसार नहीं कर पाता।वह भी उस गांव के कोई प्रमुख स्थान पर पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर फिर से मतदाताओं से आशीर्वाद मांगता है।यह सिलसिला लगातार चलता रहता है और मतदाताओं के फैसले को प्रत्याशी स्वीकार करते हुए मतगणना का इंतजार करता है।
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