(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) जिले के जैतहरी तहसील एवं वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत पड़रिया के चोई गांव के जंगल में पांच हाथियों के समूह द्वारा शनिवार के दिन डेरा डाला हुआ है। हाथियों द्वारा शुक्रवार की सुबह कोतमा तहसील के पड़ौंर के बैगानटोला में सोन-केवई नदी पार कर जैतहरी तहसील के ग्राम पंचायत चोलना के बचहाटोला में बैगा समाज के तीन ग्रामीणो के घरों को तोड़कर घरों के अंदर रखे अनाज को खाने बाद कुकरगोड़ा गांव के छुहाईटोला,सरईहाटोला हो कर धनगवां बीट के कक्ष क्रमांक आर.एफ.337,338 में पहुंच कर दिन भर विश्राम करने बाद शुक्रवार की देर शाम जंगल से निकल कर ग्राम पंचायत पड़रिया के चोई गांव में वनचौकी टोला के पास बुद्धू भरिया का कच्चा मकान जो जंगल के समीप स्थित है मे तोड़-फोड कर अंदर रखे अनाज एवं खेत में लगे धान को खाते हुए पूरी रात खेरखाटोला में विभिन्न कृषकों के खेतों में लगी हाईब्रिड धान की फसलों को अपना आहार बनाते रहे।तथा शनिवार की सुबह 4.30 बजे पडमनिया टोला तालाब के पास हीरालाल पनिका के घर के पीछे से मिश्रित प्लांटेशन के जंगल कक्ष क्रमांक आर.एफ.336 बीट चोलना में पहुंचकर लेटकर,बैठकर विश्राम कर रहे हैं।
हाथियों के निरंतर विचरण के कारण प्रभावित गांव चोई,पड़रिया,कुकुरगोड़ा,बचहाटोला,चोलना तथा सोन एवं केवई नदी के उस पार कोतमा तहसील अंतर्गत ग्राम पडौंर,पोडी,चोड़ी,बरबसपुर लतार आदि एक दर्जन से अधिक गांव के ग्रामीण हाथियों के विचरण पर निरंतर निगरानी रखते हुए स्वयं भी एकत्रित होकर वन विभाग के सहयोग से हाथियों को गांव के बीच बस्ती में ना घुस पाए के प्रयास को लेकर पटाखा,हो-हल्ला,टीना-टपरा को बजा कर गांव की आवादी से दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।जिसमें ग्रामीण तथा वन विभाग को काफी लाभ मिल रहा है।जिस कारण हाथियों का समूह अपना पेट भरने के लिए धान एवं अन्य तरह की फसलों को अपना आहार बना कर सुबह होने पर पूरे दिन विश्राम करने के लिए निकटतम जंगल में पहुंचकर ठहर जा रहे हैं।इस दौरान वन परीक्षेत्र अधिकारी जैतहरी विवेक मिश्रा, परसहायक वेंकटनगर रामसुरेश शर्मा,डिप्टीरेंजर शिवचरण पुरी,चोलना बीट के वनरक्षक चरण सिंह,धनगवां बीट के वनरक्षक कोमल सिंह,वन्यजीव संरक्षक शशिधर अग्रवाल के साथ वन परीक्षेत्र जैतहरी के विभिन्न बीटो के वनरक्षक,सुरक्षाश्रमिक,ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि पूरी रात हाथियों की निगरानी में लगे रहे।वहीं गांव से अलग अकेले एवं जंगल के किनारे स्थित खेत एवं अन्य जगह मे कच्चे एवं पक्के मकान में रहने वाले ग्रामीणों को देर शाम होने पर सुरक्षित स्थान पर रहने की सलाह दिए जाने से अब ग्रामीण खुद भी सतर्कता वरतते हुए वन विभाग के निर्देशों का पालन करने में जुट गए हैं।यही कारण है कि निरंतर हाथियों के विचरण के बाद भी किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति विगत पांच दिनों के मध्य नहीं हो सकी है।
हाथियों के निरंतर विचरण के कारण प्रभावित गांव चोई,पड़रिया,कुकुरगोड़ा,बचहाटोला,चोलना तथा सोन एवं केवई नदी के उस पार कोतमा तहसील अंतर्गत ग्राम पडौंर,पोडी,चोड़ी,बरबसपुर लतार आदि एक दर्जन से अधिक गांव के ग्रामीण हाथियों के विचरण पर निरंतर निगरानी रखते हुए स्वयं भी एकत्रित होकर वन विभाग के सहयोग से हाथियों को गांव के बीच बस्ती में ना घुस पाए के प्रयास को लेकर पटाखा,हो-हल्ला,टीना-टपरा को बजा कर गांव की आवादी से दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।जिसमें ग्रामीण तथा वन विभाग को काफी लाभ मिल रहा है।जिस कारण हाथियों का समूह अपना पेट भरने के लिए धान एवं अन्य तरह की फसलों को अपना आहार बना कर सुबह होने पर पूरे दिन विश्राम करने के लिए निकटतम जंगल में पहुंचकर ठहर जा रहे हैं।इस दौरान वन परीक्षेत्र अधिकारी जैतहरी विवेक मिश्रा, परसहायक वेंकटनगर रामसुरेश शर्मा,डिप्टीरेंजर शिवचरण पुरी,चोलना बीट के वनरक्षक चरण सिंह,धनगवां बीट के वनरक्षक कोमल सिंह,वन्यजीव संरक्षक शशिधर अग्रवाल के साथ वन परीक्षेत्र जैतहरी के विभिन्न बीटो के वनरक्षक,सुरक्षाश्रमिक,ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि पूरी रात हाथियों की निगरानी में लगे रहे।वहीं गांव से अलग अकेले एवं जंगल के किनारे स्थित खेत एवं अन्य जगह मे कच्चे एवं पक्के मकान में रहने वाले ग्रामीणों को देर शाम होने पर सुरक्षित स्थान पर रहने की सलाह दिए जाने से अब ग्रामीण खुद भी सतर्कता वरतते हुए वन विभाग के निर्देशों का पालन करने में जुट गए हैं।यही कारण है कि निरंतर हाथियों के विचरण के बाद भी किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति विगत पांच दिनों के मध्य नहीं हो सकी है।
पटवारी हड़ताल
से नहीं हो रहा सर्वे
से नहीं हो रहा सर्वे
विगत 5 दिनों से हाथियों के निरंतर अनूपपुर जिले के कोतमा एवं जैतहरी तहसील अंतर्गत ग्रामीण अंचलों में विचरण के दौरान घर,बाड़ी एवं खेतों में लगी विभिन्न तरह की फसलों का निरंतर किया जा रहे नुकसान का सर्वेक्षण कई दिनों से चल रही पटवारी की हड़ताल के कारण नहीं हो पा रहा है।जिससे ग्रामीण एवं कृषक जान परेशान है जिसको देखते हुए ग्रामीणों ने जिले के जनप्रतिनिधियों, जिला प्रशासन एवं वन विभाग से हाथियों के द्वारा किए जा रहे नुकसान का घटना के दूसरे दिन ही सर्वेक्षण कराने तथा शीघ्र ही मुआवजा राशि प्रकरण बनाकर दिलाया जाने की मांग की है।
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