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सनातन धर्म और संस्कृति व सनातनियों के धार्मिक आस्था से खिलवाड़ बंद करे सरकार-श्रीधर शर्मा

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) जिले की धर्मनगरी अमरकंटक में मां नर्मदा के आशीर्वाद से अभिसिंचित मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव श्रीधर शर्मा ने वर्तमान सरकार की दोहरी मानसिकता पर आक्षेप लगाते हुए कहा है कि सनातन धर्म और संस्कृति के साथ सनातनियों के धार्मिक आस्था से सरकार को खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।श्री शर्मा ने सरकार पर आक्षेप लगाते हुए कहा है कि जब बात हिंदू और हिन्दुत्व की आती है तो सरकार का हस्तक्षेप प्रारंभ हो जाता है,जो कि करोड़ों सनातनियों की आस्था पर कुठाराघात है।भारत देश में सभी धर्मों का आदर किया जाता है और सभी धर्म के देवालयों उस धर्म के धर्म गुरुओं को सारे अधिकार प्राप्त होते हैं, लेकिन जब हिंदू धर्म के देवालयों की बात आती है, तो कई मंदिरों में सरकार का पूरा हस्तक्षेप है।हिंदू धर्म गुरुओं का लगातार अपमान किया जा रहा है और पूर्व में साधुओं की हत्या का मामला सामने आया,जिस पर आज तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई,जो कि सरकार की कुंठित मानसिकता को दर्शाता है।इस धर्म निरपेक्ष राष्ट्र में धर्म निरपेक्षता के नाम पर सनातन धर्म और संस्कृति की परम्परा पर कुठाराघात करते हुए धर्म गुरुओं का निरंतर अपमान किया जा रहा है,जो कि समझ से परे है।श्री शर्मा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व में शंकराचार्य जी के करकमलों से केदार नाथ मंदिर का पट खोलने की परम्परा रही है और इस वर्ष आदि गुरु शंकराचार्य के प्राकट्य उत्सव के शुभ अवसर पर भगवान केदार नाथ मंदिर का पट खोला गया,जिसमें ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी के उक्त स्थल पर मौजूदगी के बावजूद भी शंकराचार्य का प्रोटोकॉल नहीं होने का हवाला देकर एक धर्म गुरु का अपमान किया गया,जो कि एक धर्म गुरु का अपमान नहीं है बल्कि यह समूचे सनातन धर्म का अपमान है। श्री शर्मा ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि एक ओर भाजपा सरकार हिंदू राष्ट्र के राग आलाप कर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा कर रही है और दूसरी ओर सनातन धर्म के धर्म गुरुओं का अपमान किया जा रहा है।इस प्रकार की दोहरी मानसिकता को आम जनता भली प्रकार से समझ रही है और सरकार को ये दोहरा खेल खेलना बंद करना होगा।सनातन धर्म के धार्मिक स्थलों को सनातन धर्म के धर्म गुरुओं को सौंपने के स्थान पर सरकार का हस्तक्षेप क्यों? धर्म स्थलों को राजनीति से सदैव दूर रखा जाना चाहिए और धार्मिक स्थलों पर इस प्रकार का राजनीतिक खेल बंद होना चाहिए।

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