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परीक्षाओं को दृष्टिगत रख कलेक्टर ने ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग पर लगाया प्रतिबंध

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) कलेक्टर आशीष वशिष्ठ ने आदेश जारी कर कहा है कि वर्तमान समय में विद्यालय एवं महाविद्यालय की परीक्षाओं को दृष्टिगत रखते हुए छात्र-छात्राओं के अध्ययन, अध्यापन कार्य में ध्वनि विस्तारक यंत्रों के अत्यधिक उपयोग से व्यवधान उत्पन्न हो रहा है।इन तथ्यों से उन्हें यह तुष्टि हो गयी है कि शांत वातावरण कायम रखने के लिये जिला अनूपपुर क्षेत्र में उपयुक्त वैधानिक प्रतिबंध लगाना आवश्यक है।अतएव म.प्र.कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 (क्रमांक-1 सन् 1986) की धारा-2 के चरण (ख) में उल्लिखित ‘‘ध्वनि विस्तारक’’ जिसका अभिप्रेत कोई ध्वनि वर्धक (एम्पलीफायर) या कोई अन्य युक्ति (डिवाइज) जो ध्वनि के प्रवर्धन के प्रयोजन के लिये उपयोग में लायी जाती हो सार्वजनिक शांति में बाधक होने से इनके उपयोग पर कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट आशीष वशिष्ठ ने म.प्र. कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 की धारा 7 एवं 10 (2) के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए तत्काल प्रभाव से विद्यालय एवं महाविद्यालय की परीक्षाओं को देखते हुये 01 मार्च 2023 से मई 2023 तक रात्रि 10.00 बजे से प्रातः 06.00 बजे तक प्रतिबंध लगा दिया है।
       कलेक्टर आशीष वशिष्ठ ने आदेश में कहा है कि (ध्वनि प्रदूषण विनियमन एवं नियंत्रण) नियम 2000 के प्रावधानों के तहत संबंधित व्यक्ति,संस्था ध्वनि विस्तारकाें का उपयोग 1/4 वाल्यूम में ध्वनि स्तर परिवेशी ध्वनि मानक 10 डेसीबल अनाधिक) प्रातः 06.00 बजे से रात्रि 10.00 बजे तक अनुमति उपरांत प्रयोग कर सकेगा,जो कोई इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा या उल्लंघन करने का प्रयास करेगा या उल्लंघन किये जाने का दुष्प्रेरण करेगा, उसके विरुद्ध म.प्र.कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 की धारा 15(1) के अधीन न्यायालयीन कार्यवाही की जावेगी,ऐसा व्यक्ति 06 माह तक के कारावास या एक हजार रूपये तक जुर्माना अथवा दोनो के दण्ड का भागी होगा। कलेक्टर आशीष वशिष्ठ ने विशिष्ट परिस्थितियों में विभिन्न क्षेत्रों में उपरोक्त अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत लिखित आवेदन पर अनुमति प्रदान करने हेतु म.प्र. कोलाहल नियंत्रण अधिनियम,1985 के प्रावधानों के अधीन विनिर्दिष्ट शर्तों के साथ अनुमति प्रदान करने के लिए अनुभाग अन्तर्गत संबंधित अनुविभागीय अधिकारी, उपखण्ड मजिस्ट्रेट को विहित प्राधिकारी के रूप में सशक्त किया है तथा अनुविभागीय अधिकारियों को अनुमति की सूचना संबंधित थानों में आवश्यक रूप से दिए जाने के निर्देश दिए हैं।

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