(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) अनेकता में एकता,यही है हमारे देश की विशेषता।चाहे भिन्न हो धर्म हमारा भिन्न हमारी भाषा हो, एकता यूँ ही बनी रहे ये हम सबकी अभिलाषा हो।एकता की शक्ति सबसे महान है,अज्ञानी हैं वो लोगो जो इससे अनजान हैं।विविधता में एकता सबसे महान है,इसके आगे हर मुश्किल राह आसान है।यह हमारे भारत की विशेषता है। लेकिन भारतीय रेलवे एक है इसमें संदेह जबरदस्त है।कहने को तो कहा जाता है कि भारतीय रेलवे एक है लेकिन हकीकत में कुछ और है।उड़ीसा के चक्रधरपुर रेल मंडल के अंतर्गत सामान्य श्रेणी का टिकट 10 रुपए में उपलब्ध है। जबकि मेल एक्सप्रेस का टिकट 30 रुपए में उपलब्ध है। चक्रधरपुर के डीआरएम ने वरिष्ठ पत्रकार अरविंद बियानी द्वारा मांगी गई जानकारी में ट्वीट के माध्यम से यह बात बताई।जब उनसे यह जानना चाहा कि सामान्य श्रेणी का टिकट का प्रावधान सभी रेलवे में है तो उन्होंने ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी की भारतीय रेलवे ने आज सामान्य टिकटों (साधारण टिकट) की बिक्री फिर से शुरू की और कुछ क्षेत्रों में अनारक्षित डिब्बों में सवार होने की अनुमति दी।
लेकिन आश्चर्य की बात है कि जब बिलासपुर के डीआरएम, सीनियर डीसीएम को ट्वीट की जानकारी चक्रधरपुर डीआरएम की दी गई और जानना चाहा तो वहां से कोई जवाब नहीं मिला।रेलवे टिकट विंडो एवं यूटीएस से टिकट चेक किया गया तो दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की टिकट आज भी मिनिमम दर 30 रुपए में उपलब्ध है।लेकिन दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा टिकट दर को कम नहीं किया जा रहा।यात्रीगण चाहे मेमू ट्रेन से यात्रा करें या एक्सप्रेस ट्रेन से यात्रा करें उन्हें मिनिमम टिकट दर 30 रुपए ही अदा करना पड़ रहा है।जबकि दक्षिण पूर्व रेलवे चक्रधरपुर रेल मंडल अंतर्गत यात्रियों को सामान्य श्रेणी की टिकट आज भी मिनिमम टिकट दर 10 रुपए में उपलब्ध हो रही है।इस भेदभाव से रेलवे की दोहरी मानसिकता तो उजागर हो ही रही है वहीं भारतीय रेलवे एक हैं इस पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।लेकिन निर्वाचित सांसद,रेलवे जेडआरयूसीसी,
डीआरयूसीसी के मेंबर एवं निर्वाचित जनप्रतिनिधि सभी मौन साधे बैठे हुए हैं।कोई भी एसईसीआर की मनमानी पर रोक नहीं लगा पा रहा।केवल वह भारत में आय के मामले में अपने आप को अब्बल बताना चाह रही है इसके चक्कर में यात्री घुन की तरह पिस रहा है।आदिवासी क्षेत्र के गरीब भोले-भाले यात्री सड़क मार्ग से अधिक पैसे देकर यात्रा नहीं कर पाते छोटे-छोटे स्टेशनों पर ट्रेनों के स्टॉपेज बंद कर दिए गए टिकट दर में मनमानी वृद्धि आज भी जारी है।ट्रेनों को स्पेशल का रूप देकर रेलवे लूट पर लूट मचा रही है।लेकिन कोई बोलने वाला नहीं जिससे यात्रियों को मजबूरी में अधिक टिकट दर की राशि देकर यात्रा करने को मजबूर होना पड़ रहा है।कोई भी सांसद लोकसभा में इस बात को नहीं उठा रहा कि भारतीय रेलवे दोहरा मापदंड क्यों अपना रही है।अब केवल एक ही सलूशन सामने आता है की हाईकोर्ट की शरण में ही भारतीय रेलवे की दोहरी मानसिकता का पर्दाफाश हो सकता है।दूध का दूध पानी का पानी न्यायालय के निर्णय के बाद जनता के पटल पर आ जाएगा और जनता को हाई कोर्ट के निर्णय के बाद राहत मिलेगी ऐसी संभावना आम जनमानस कर रहा है। आवश्यकता है कि हाई कोर्ट का रास्ता सभी मिलकर अख्तियार करें तभी सही निर्णय जनता के पटल पर आ पाएगा।
लेकिन आश्चर्य की बात है कि जब बिलासपुर के डीआरएम, सीनियर डीसीएम को ट्वीट की जानकारी चक्रधरपुर डीआरएम की दी गई और जानना चाहा तो वहां से कोई जवाब नहीं मिला।रेलवे टिकट विंडो एवं यूटीएस से टिकट चेक किया गया तो दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की टिकट आज भी मिनिमम दर 30 रुपए में उपलब्ध है।लेकिन दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा टिकट दर को कम नहीं किया जा रहा।यात्रीगण चाहे मेमू ट्रेन से यात्रा करें या एक्सप्रेस ट्रेन से यात्रा करें उन्हें मिनिमम टिकट दर 30 रुपए ही अदा करना पड़ रहा है।जबकि दक्षिण पूर्व रेलवे चक्रधरपुर रेल मंडल अंतर्गत यात्रियों को सामान्य श्रेणी की टिकट आज भी मिनिमम टिकट दर 10 रुपए में उपलब्ध हो रही है।इस भेदभाव से रेलवे की दोहरी मानसिकता तो उजागर हो ही रही है वहीं भारतीय रेलवे एक हैं इस पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।लेकिन निर्वाचित सांसद,रेलवे जेडआरयूसीसी,
डीआरयूसीसी के मेंबर एवं निर्वाचित जनप्रतिनिधि सभी मौन साधे बैठे हुए हैं।कोई भी एसईसीआर की मनमानी पर रोक नहीं लगा पा रहा।केवल वह भारत में आय के मामले में अपने आप को अब्बल बताना चाह रही है इसके चक्कर में यात्री घुन की तरह पिस रहा है।आदिवासी क्षेत्र के गरीब भोले-भाले यात्री सड़क मार्ग से अधिक पैसे देकर यात्रा नहीं कर पाते छोटे-छोटे स्टेशनों पर ट्रेनों के स्टॉपेज बंद कर दिए गए टिकट दर में मनमानी वृद्धि आज भी जारी है।ट्रेनों को स्पेशल का रूप देकर रेलवे लूट पर लूट मचा रही है।लेकिन कोई बोलने वाला नहीं जिससे यात्रियों को मजबूरी में अधिक टिकट दर की राशि देकर यात्रा करने को मजबूर होना पड़ रहा है।कोई भी सांसद लोकसभा में इस बात को नहीं उठा रहा कि भारतीय रेलवे दोहरा मापदंड क्यों अपना रही है।अब केवल एक ही सलूशन सामने आता है की हाईकोर्ट की शरण में ही भारतीय रेलवे की दोहरी मानसिकता का पर्दाफाश हो सकता है।दूध का दूध पानी का पानी न्यायालय के निर्णय के बाद जनता के पटल पर आ जाएगा और जनता को हाई कोर्ट के निर्णय के बाद राहत मिलेगी ऐसी संभावना आम जनमानस कर रहा है। आवश्यकता है कि हाई कोर्ट का रास्ता सभी मिलकर अख्तियार करें तभी सही निर्णय जनता के पटल पर आ पाएगा।
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