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मुख्यमंत्री से मांग राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के मनोबल,स्वाभिमान एवं अधिकारों की रक्षा पर करें विचार

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) मध्यप्रदेश राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के मनोबल एवं व्यावसायिकता एवं राज्य के आंतरिक सुरक्षा हितों के संबंध में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान से मांग की गई है जिसके संबंध में उन्हें अभ्यावेदन भी दिया गया है जिसमें लेख किया है कि मध्यप्रदेश में राज्य पुलिस सेवा का कैडर राज्य का सबसे बड़ा राज्य सेवा का कहर है,जिसमें वर्तमान में 1269 अधिकारी कार्यरत है। आईपीएस अपॉइंटमेंट बाय प्रमोशन रेगुलेशन 1955 के अनुसार देश के अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में भी भारतीय पुलिस सेवा में अधिकारी 67 प्रतिशत सीधी भर्ती से आते है एवं 33 प्रतिशत राज्य पुलिस सेवा के उत्कृष्ट एवं लम्बी सेवा अधिकारियों में से चयनित होते है आईपीएस अप्वाइंटमेंट बाय प्रमोशन 1955 रेगुलेशन 5(1) के अनुसार 8 वर्ष के लम्बे सेवाकाल के बाद ही राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी को भारतीय पुलिस सेवा में चयन की पात्रता आती है। मध्यप्रदेश में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी कर कुप्रबंध के चलते वर्तमान में कई विसंगतियों एवं परेशानियों का सामना कर रहे हैं,जिनके कारण जहाँ देश में एक और अधिकांश राज्यों में राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा में 10 से 15 वर्ष के सेवाकाल वाले अधिकारियों का चयन हो रहा है,वहीं मध्यप्रदेश में भारतीय पुलिस सेवा में चयन की रखनेवाले लगभग 275 अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा में चयन के लिए प्रतीक्षारत है।स्थिति इतनी गंभीर है कि 25 वर्ष से अधिक सेवाकाल वाले राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी भी राज्य पुलिस सेवा कैडर के समुचित प्रबंधन न भारतीय पुलिस सेवा में चयन से वंचित रह रहे है। इसके कारण बड़ी संख्या में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को पूर्व सेवाकाल में एक पदोन्नति पाये बिना सेवानिवृत होने की स्थिति बन रही है,जिससे न केवल उनके सर्वधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है,अपितु राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के मनोबल,आत्मसम्मान,व्यावसायिकता एव काव्यरायणता पर अत्यन्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।यह स्थिति मध्यप्रदेश जैसे राज्य,जो साम्प्रदायिकता, आसकवाद, नक्सलवाद के अतिरिक्त देश के केन्द्र में 5 राज्यों से सीमावर्ती होने के कारण विभिन्न प्रकार की आपराधिक गतिविधियों से जूझ रहा है, के लिए अत्यन्त अवांछनीय है।
                 राज्य पुलिस सेवा के हम समस्त अधिकारीगण इस अभ्यावेदन के माध्यम से हमारे मनोबल,आत्मसम्मान, व्यावसायिकता एवं कर्त्तव्यपरायणता की रक्षा हेतु निम्न उपाय करने की करबद्ध प्रार्थना करते है-वर्तमान में प्रचलित राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा में चयन हेतु अधिकतम आयु सीमा 58 वर्ष है आईपीएस अपॉइंटमेंट बाय प्रमोशन 1955 रेगुलेशन 5(3)जिसके कारण से उत्कृष्ट सेवा एवं अत्यन्त वरिष्ठ होने के बाद भी राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा में चयन से वंचित हो जाते हैं।उदाहरण के लिए वर्तमान में मध्यप्रदेश में उत्कृष्ट सेवा के लगभग 150-200 ऐसे राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी होंगे, जो इस आयु सीमा के कारण बिना भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हुए सेवानिवृत्त हो जाएंगे।अंतः 56 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा को विलोपित किया जाये।  वर्तमान परिदृश्य में मध्यप्रदेश राज्य में सीधी भर्ती के आईपीएस के 38 पद रिक्त है, जहां एक और प्रत्येक वर्ष
मध्यप्रदेश में सीधी भर्ती के 2 से 4 अधिकारी संघ लोक सेवा आयोग से चयनित होकर आवंटित होते हैं,यही दूसरी ओर प्रत्येक वर्ष सीधी भर्ती के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी भी सेवा निवृत्त होते है (उदाहरण के लिए 2022 में राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा के 01 अधिकारी सेवानिवृत्त हुए व 2023 में राज्य पुलिस सेवा में भारतीय पुलिस सेवा के 04 अधिकारी सेवानिवृत्त होंगे ) । अतः वर्तमान में विद्यमान सीधी भर्ती के भारतीय पुलिस सेवा के रिक्त पदों को वन टाइम एक्सटेंशन देकर मध्यप्रदेश के राज्य पुलिस सेवा के उत्कृष्ट व लबी सेवा के अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाए। इस वन टाइम एक्सटेंशन से भारतीय पुलिस सेवा के सीधी भर्ती के अधिकारियों को उपलब्ध होने वाले पदों की संख्या में कोई कमी नहीं होगी, क्योंकि सीधी भर्ती के अधिकारी प्रत्येक वर्ष सेवानिवृत्त होते ही है एवं इसके अतिरिक्त की अवधारणा के तहत इन पदों को पुनः भारतीय पुलिस सेवा के सीधी भर्ती के पदों में सम्मिलित किया जा सकता है अतः वर्तमान में विद्यमान सीधी भर्ती के भारतीय पुलिस सेवा के रिक्त 38 पदों को वन टाइम एक्सटेंशन देकर मध्यप्रदेश के राज्य पुलिस सेवा के उत्कृष्ट व लंबी सेवा के अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाए। अखिल भारतीय सेवाओं के लिए नियमानुसार निर्धारित प्रति 5 वर्ष में होने वाला कैडर रिव्यू मध्यप्रदेश राज्य के लिए वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्य विभाजन के पश्चात् 2000 में न होकर 03 लाल विलंब से 2003 में हुआ। इसी प्रकार 2008 में होने वाला पंचवर्षीय कैडर रिव्यू 2009 में 01 वर्ष विलंब से हुआ, 2013 में होन याला कैडर रिव्यू 02 वर्ष विलंब से 2015 में एवं 2018 का कैडर रिव्यू 04 साल विलंब से 2022 में हुआ। इस प्रकार मध्यप्रदेश विभाजन से लेकर अभी तक के 04 कैडर रिव्यूज में ही 10 साल का बिलंब हो चुका है। इसके अतिरिक्त भारतीय पुलिस सेवा के कडर रिव्यू में 5 प्रतिशत से ज्यादा पद न बढ़ाए जाने को एक अधिकतम सीमा, प्रधानमंत्री कार्यालय के संदर्भ से लगाई जा रही है. जबकि प्रधानमंत्री कार्यालय ने वर्ष 2010 में भारतीय प्रशासनिक सेवा ने कैडर रिव्यू में 5% से ज्यादा पद न बढ़ाने का पत्र लिखा था। इस पत्र का भारतीय पुलिस सेवा कैडर रिव्यू से कोई संबंध नहीं है। अतः एक विशेष कैडर रिव्यू वर्ष 2023 में, बिना 5 प्रतिशत अधिकतम पदों की संख्या निर्धारण के साथ किया जावे।वर्तमान में राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा में चयन हेतु मात्र 33 प्रतिशत का कोटा है।जबकि मात्र भारतीय पुलिस सेवा में चयन हेतु ही मात्र 33 प्रतिशत का कोटा है। अन्य ग्रुप ए की केन्द्रीय सेवाओं जैसे आईएफएस आईआरएस आईआरटीएस आदि में ग्रुप श्री से चयन हेतु 50 प्रतिशत कोटा है। अतः भारतीय पुलिस सेवा में चयन हेतु राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को 50 प्रतिशत कोटा उपलब्ध कराया जाए।वर्तमान में कुछ राज्यों में भारतीय पुलिस सेवा में चयन हेतु राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी उपलब्ध न होने एवं कुछ राज्यों में इनकी अत्यन्त अधिकता होने से भारी असमानता है। ऐसे में राज्यों के राज्य पुलिस सेवा के भारतीय पुलिस सेवा में चयन हेतु पात्र, अधिकारियों का एक सेंट्रल पुल तैयार किया जाये, जिसमें से सहमति उपरांत, जिन राज्यों में कमी है, वहां उन्हें भारतीय पुलिस सेवा में चयन हेतु पात्र माना जाये ।।
 6. केन्द्रीय पुलिस संगठनों, भारतीय थल सेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय जल सेना आदि में पदोन्नति के लिए किसी विशिष्ट कैडर में जाने की अनिवार्यता नहीं है, जबकि राज्य पुलिस सेवा में पुलिस अधीक्षक व इसके ऊपर के पदो पर जाने के लिए भारतीय पुलिस सेवा संवर्ग में चयन की अनिवार्यता है। इस अनिवार्यता के कारण सैकड़ों उत्कृष्ट सेवा के राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी बिना पदोन्नति पाए सेवानिवृत्त होते हैं। अतः केन्द्रीय पुलिस संगठनों एवं सशस्त्र बलों के समान पदोन्नति दी जाए। जिस हेतु राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के लिए पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस महानिरीक्षक आदि के पद आरक्षित किए जायें।भारतीय पुलिस सेवा संवर्ग में वरिष्ठ ड्यूटी पदों सीनियर ड्यूटी पोस्ट  का 16.5 प्रतिशत लीव, जूनियर पोस्ट रिजर्व का होता है, जिसको राज्य पुलिस सेवा के पदोन्नति कोटा की गणना करते समय नहीं जोड़ा जाता है. ( मात्र एसडीपी एसडीआर ट्रेनिंग रिजर्व व सीडीआर को ही जोड़ा जाता है। ) परिणामस्वरूप उपरोक्त 16.5 प्रतिशत का 33 प्रतिशत कोटा राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को नहीं मिल पाता है। अतः भारतीय पुलिस सेवा संवर्ग के 16.5 प्रतिशत लीव व जूनियर पोस्ट रिजर्व भी 33 प्रतिशत पदोन्नति की पदों की गणना करते समय शामिल किया जाए।मध्यप्रदेश में राज्य पुलिस सेवा संदर्ग को अभी तक पांचवा वेतनमान (8900 ग्रेड पे) नहीं मिला है, जबकि एक ही प्रतियोगी परीक्षा से समकक्ष सेवा में भर्ती राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य वित्त सेवा संवर्ग को उक्त पंचम वेतनमान 2018 से ही स्वीकृत किया जा चुका है। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय का पत्र क्र. मु. मु./1/रापुस/3/309/2022 दिनांक 29-04-2022 के द्वारा अपने पूर्व पत्रों एवं शासन की पृच्छाओं के अनुक्रम में शासन को प्रस्ताव विस्तृत रूप से भेजा गया है।
         उपरोक्त वर्णित बिन्दुओं पर मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि मध्यप्रदेश राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के मनोबल एवं व्यावसायिकता एवं राज्य के आंतरिक सुरक्षा हितों के प्रकाश में निर्णय लिया जाये तो हम सभी आपके कृतार्थ होगे। दया याचिका संलग्न हस्ताक्षरकर्ता राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों की ओर से सादर प्रेषित है।
जितेन्‍द्र सिंह अध्‍यक्ष राज्‍य पुलिस सेवा संगठन  म.प्र. भोपाल,धनंजय शाह उपाध्‍यक्ष राज्‍य पुलिस सेवा संगठन म.प्र. भोपाल ने मांग की है।

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