Anchadhara

अंचलधारा
!(खबरें छुपाता नही, छापता है)!

जिले की सुसज्जित पत्रकारिता की छाप पर लगा ग्रहण,फर्जी पत्रकारों की बाढ़ में असली चेहरे गायब...?

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) सन 2003 के पहले और आज की पत्रकारिता में दिन रात का अंतर देखने को मिलने लगा। जिला बनने के बाद अनूपपुर जिले के अंदर कुकुरमुत्ता की तरह पत्रकारों की बाढ़ आ गई।अनूपपुर जिले में चाहे प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया देखा जा रहा है कि प्रिंट मीडिया की पीडीएफ या समाचारों की कटिंग सोशल मीडिया पर वायरल होती है लेकिन हकीकत में समाचार पत्र लोगों के हाथों तक नहीं आ पाते उसके दर्शन भी नसीब नहीं होते।इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में गिने-चुने चैनल टीवी में देखने को मिलते हैं बाकी चैनलों का कहीं अता पता ठिकाना नहीं रहता।लेकिन आज ऐसे फर्जी पत्रकारों के कारण असली चेहरे पत्रकारिता की लाइन से गायब हो गए। आज राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी उन्हीं चेहरे को पहचानते हैं जो दिन रात चमकाने की भूमिका में अग्रसर रहते हैं।देखा जाता है कि 15 अगस्त,26 जनवरी, दीपावली पर कई अधिकारियों के यहां विज्ञापन बिल की गड्डियां लग जाती हैं और वह पेपर हकीकत में साल भर नजर नहीं आते।जनसंपर्क कार्यालय में पत्रकारों की लंबी सूची है। लेकिन कभी किसी ने उस सूची का अध्ययन नहीं किया उस सूची की वास्तविकता जानने की कोशिश नहीं की जिसके कारण फर्जी पत्रकारों की बाढ़ अनूपपुर जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है।अनूपपुर जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में वर्ष 2003 के पहले चुनिंदा पत्रकार हुआ करते थे,जो सामाजिक गतिविधि समेत शासन प्रशासन की खबर को प्रमुखता से निर्वहन किया करते थे और जिले में सुसज्जित पत्रकारिता की छाप हुआ करती थी।परंतु जिला निर्माण के बाद के वर्षों में पत्रकारो ने ऐसी धांसू एन्ट्री मारी हैं की शासन प्रशासन समेत अन्य कारोबारी इनसे बचने व पत्रकार नाम सुनते ही कोसों दूरी बनाने लगे हैं, नतीजा अच्छे उम्दा पत्रकारों को लज्जा समेत तमाम प्रकार के उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा हैं।
                      जिला प्रशासन को चाहिए सभी शासकीय कार्यालयों,पंचायतों से धमकी देने चमकाने वाले पत्रकारों को चिन्हित करा कर पत्रकारिता को कलंकित करने वालों पर ठोस कड़ी कार्रवाई करे। प्रेस के नाम पर वाहनों की चेकिंग भी की जाए तो असलियत खुलकर सामने आ जाएगी।इसमें जिला जनसंपर्क कार्यालय का भी सहयोग आवश्यक है।इसके साथ ही वास्तविक पत्रकारों की निगरानी में इनकी जांच होनी चाहिए जिससे पत्रकारिता कलंकित होने से बच जाए और शासन-प्रशासन,कारोबारी बेवजह परेशान होने से बच जाए।

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