आईजीएनटीयू में सिकल
सेल पर सेमिनार हुआ संपन्न
सेल पर सेमिनार हुआ संपन्न
(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) प्रदेश के राज्यपाल माननीय मंगु भाई पटेल ने कहा है कि सिकल सेल की बीमारी एक अनुवांशिकी बीमारी है। सिकल सेल की बीमारी से बचाव के लिए मध्यप्रदेश में समन्वित प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिकलसेल की बीमारी के विषय में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है, सिकल सेल की बीमारी किन कारणों से होती है और इससे कैसे बचा जा सकता है, इसके प्रति लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा है कि मध्यप्रदेश में सिकलसेल की बीमारी को समाप्त करने के लिए विश्वविद्यालयों में शोध होना चाहिए तथा शोध के परिणाम जनमानस तक पहुंचाना चाहिए।उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक द्वारा सिकल सेल की बीमारी के बचाव के लिए अच्छा शोध कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि अन्य विश्वविद्यालयों को भी सिकल सेल की बीमारी पर शोध करना चाहिए। राज्यपाल मंगु भाई पटेल आज जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक में सिकल सेल पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल कहा कि कोरोना महामारी 100 साल बाद आई है, जिसके बचाव के लिए निरंतर प्रयास किए गए किंतु सिकलसेल बीमारी कई सालों से है, जिस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया सिकल सेल बीमारी से लड़ने के लिए निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि गुजरात में सिकलसेल की बीमारी में कमी आई है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में भी सिकल सेल की बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करना होगा तथा सिकल सेल की बीमारी को समाप्त करने के लिए प्रयास करने होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि सिकलसेल बीमारी को समाप्त करने के लिए पहली बैठक राज्य भवन में हुई, दूसरी बैठक झाबुआ में हुई, तीसरी बैठक खरगोन में बुलाई गई और चौथी बैठक जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक में आयोजित की गई।उन्होंने कहा कि जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक सिकलसेल बीमारी के बचाव के लिए बेहतर से बेहतर प्रयास करें। राज्यपाल ने कहा कि मध्यप्रदेश के झाबुआ एवं अलीराजपुर जिले में सिकलसेल बीमारी से बचाव के लिए कार्य प्रारंभ हो गए हैं, मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य एवं अन्य जिलों में भी सिकल सेल के प्रति जागरूक करने तथा गर्भवती महिलाओं का स्क्रीनिंग का कार्य प्रारंभ कराएं।
राज्यपाल ने कहा कि युवाओं के विवाह के समय देखने की आवश्यकता है कि कहीं दंपत्ति में से कोई सिकल सेल से पीड़ित तो नहीं है, इसी प्रकार मां के गर्भ की जांच होनी चाहिए तभी सिकलसेल बीमारी से बचा जा सकता है। गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग होने से भी सिकल सेल रोग का पता लगाया जा सकता है। राज्यपाल ने कहा कि प्रसूति के बाद 72 घंटे में जांच करने पर भी सिकलसेल से पीड़ित बच्चे को राहत दिया जा सकता है। राज्यपाल ने कहा कि सिकलसेल बीमारी अनुवांशिकी बीमारी है इस बीमारी के संबंध में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि सिकलसेल बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़-नाटकों के माध्यम से जन जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि सिकलसेल बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अच्छी फिल्में भी बनाई जाएं तथा फिल्मों का प्रदर्शन प्राथमिकता के साथ जनजातीय बहुल क्षेत्रों में किया जाए।
सेमिनार को संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश शासन के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने कहा कि सिकलसेल की बीमारी के प्रति जागरूकता की आवश्यकता है,सिकलसेल के संबंध में चिकित्सकों को भी समुचित जानकारी होनी चाहिए। इसकी जांच ढंग से हो और दवाइयां भी उपलब्ध होनी चाहिए। सेमिनार को संबोधित करते हुए कुलाधिपति मुकुंद ईश्वरलाल शाह ने कहा कि राज्यपाल मंगु भाई पटेल सिकलसेल रोग के विषय में किसी डॉक्टर से भी ज्यादा जानकारी रखते हैं।उन्होंने कहा कि सिकलसेल बीमारी के प्रति लोगों को जागरूकता आवश्यक है।उन्होंने कहा कि जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक जनजातियों की कला, साहित्य, संस्कृति को संरक्षित करने का प्रयास कर रहा है तथा जनजातीय समुदाय को जागरूक करने का भी कार्य कर रहा है। सेमिनार को संबोधित करते हुए कुलपति जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी ने कहा कि जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक जनजाति के शौर्य पर लेखन का कार्य कर रहा है, वन औषधि के संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोगिक प्रशिक्षण पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। इस अवसर पर राज्यपाल मंगु भाई पटेल को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया गया।
सेमिनार में शहडोल सांसद हिमाद्री सिंह,अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान, सिकल सेल प्रकोष्ठ के संयोजक दीपक खांडेकर, कमिश्नर शहडोल संभाग राजीव शर्मा, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक शहडोल जोन डी.सी. सागर, कलेक्टर अनूपपुर सुश्री सोनिया मीना, पुलिस अधीक्षक अखिल पटेल एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
राज्यपाल कहा कि कोरोना महामारी 100 साल बाद आई है, जिसके बचाव के लिए निरंतर प्रयास किए गए किंतु सिकलसेल बीमारी कई सालों से है, जिस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया सिकल सेल बीमारी से लड़ने के लिए निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि गुजरात में सिकलसेल की बीमारी में कमी आई है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में भी सिकल सेल की बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करना होगा तथा सिकल सेल की बीमारी को समाप्त करने के लिए प्रयास करने होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि सिकलसेल बीमारी को समाप्त करने के लिए पहली बैठक राज्य भवन में हुई, दूसरी बैठक झाबुआ में हुई, तीसरी बैठक खरगोन में बुलाई गई और चौथी बैठक जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक में आयोजित की गई।उन्होंने कहा कि जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक सिकलसेल बीमारी के बचाव के लिए बेहतर से बेहतर प्रयास करें। राज्यपाल ने कहा कि मध्यप्रदेश के झाबुआ एवं अलीराजपुर जिले में सिकलसेल बीमारी से बचाव के लिए कार्य प्रारंभ हो गए हैं, मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य एवं अन्य जिलों में भी सिकल सेल के प्रति जागरूक करने तथा गर्भवती महिलाओं का स्क्रीनिंग का कार्य प्रारंभ कराएं।
राज्यपाल ने कहा कि युवाओं के विवाह के समय देखने की आवश्यकता है कि कहीं दंपत्ति में से कोई सिकल सेल से पीड़ित तो नहीं है, इसी प्रकार मां के गर्भ की जांच होनी चाहिए तभी सिकलसेल बीमारी से बचा जा सकता है। गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग होने से भी सिकल सेल रोग का पता लगाया जा सकता है। राज्यपाल ने कहा कि प्रसूति के बाद 72 घंटे में जांच करने पर भी सिकलसेल से पीड़ित बच्चे को राहत दिया जा सकता है। राज्यपाल ने कहा कि सिकलसेल बीमारी अनुवांशिकी बीमारी है इस बीमारी के संबंध में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि सिकलसेल बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़-नाटकों के माध्यम से जन जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि सिकलसेल बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अच्छी फिल्में भी बनाई जाएं तथा फिल्मों का प्रदर्शन प्राथमिकता के साथ जनजातीय बहुल क्षेत्रों में किया जाए।
सेमिनार को संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश शासन के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने कहा कि सिकलसेल की बीमारी के प्रति जागरूकता की आवश्यकता है,सिकलसेल के संबंध में चिकित्सकों को भी समुचित जानकारी होनी चाहिए। इसकी जांच ढंग से हो और दवाइयां भी उपलब्ध होनी चाहिए। सेमिनार को संबोधित करते हुए कुलाधिपति मुकुंद ईश्वरलाल शाह ने कहा कि राज्यपाल मंगु भाई पटेल सिकलसेल रोग के विषय में किसी डॉक्टर से भी ज्यादा जानकारी रखते हैं।उन्होंने कहा कि सिकलसेल बीमारी के प्रति लोगों को जागरूकता आवश्यक है।उन्होंने कहा कि जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक जनजातियों की कला, साहित्य, संस्कृति को संरक्षित करने का प्रयास कर रहा है तथा जनजातीय समुदाय को जागरूक करने का भी कार्य कर रहा है। सेमिनार को संबोधित करते हुए कुलपति जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी ने कहा कि जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक जनजाति के शौर्य पर लेखन का कार्य कर रहा है, वन औषधि के संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोगिक प्रशिक्षण पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। इस अवसर पर राज्यपाल मंगु भाई पटेल को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया गया।
सेमिनार में शहडोल सांसद हिमाद्री सिंह,अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान, सिकल सेल प्रकोष्ठ के संयोजक दीपक खांडेकर, कमिश्नर शहडोल संभाग राजीव शर्मा, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक शहडोल जोन डी.सी. सागर, कलेक्टर अनूपपुर सुश्री सोनिया मीना, पुलिस अधीक्षक अखिल पटेल एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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